Sonbhadra : सोनभद्र को रेशम वस्त्र उत्पादन का बड़ा केंद्र बनाने की तैयारी, पायलट प्रोजेक्ट का निरीक्षण कर सीडीओ ने जानी स्थिति
Sonbhadra News: मधुपुर इलाके के बट में एक हस्तकला प्रतिष्ठान के जरिए संचालित रेशम धागा उत्पादन केंद्र का निरीक्षण करते हुए सीडीओ ने चरखा धागा और मटका धागा दोनलों की स्थिति जानी।
Sonbhadra News :रेशम उत्पादन के मामले में यूपी में प्रमुख स्थान रखने वाला सोनभद्र जल्द ही रेशम वस्त्र उत्पादन के मामले में भी बड़ी पहचान बनाता नजर आ सकता है। इसको लेकर शनिवार को जहां मुख्य विकास अधिकारी जागृति अवस्थी ने मधुपुर में संचालित पायलट प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया और वहीं, पांच माह पूर्व वस्त्र उत्पादन के शुरू हुए कार्य के उत्साहजनक परिणाम को देखते हुए, इस कार्य को विस्तार दिए जाने के लिए, पड़ने वाली जरूरतों पर चर्चा की। कार्य को विस्तार देने और आने वाले समय में टसर रेशम से जुड़े सभी उत्पाद यहीं तैयार करने को लेकर, सोलर आधारित योजना/प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया।
वाराणसी के मार्केट में तेजी से बढ़ी सोनभद्र के टसर रेशम कपड़े की मांग
मधुपुर इलाके के बट में एक हस्तकला प्रतिष्ठान के जरिए संचालित रेशम धागा उत्पादन केंद्र का निरीक्षण करते हुए सीडीओ ने चरखा धागा और मटका धागा दोनलों की स्थिति जानी। बताया गया कि रेशम कोया का जिले के कृषकों से क्रय कर पूरे वर्ष यहां धागा उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। जुलाई 2024 से यहां हैंडलूम की 4 लूम स्थापित करते हुए, रेशम के कपड़ा बुनाई का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। धागा की गुणवत्ता में सुधार हो, इसके लिए केंद्रीय रेशम बोर्ड यहां काम करने वाली महिलाओं को पिछले माह प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया गया। इसके बाद से धागा की गुणवत्ता में काफी सुधार आया और बुनाई कार्य में प्रयोग किये जाने से उच्च कोटि का टसर रेशम कपड़ा तैयार हुआ। इसके चलते टसर रेशम की मांग वाराणसी के बाजार में तेजी से बढ़ गई है।
चरखा और मटका धागा का कार्य करती मिलीं 150 महिलाएं
महिला स्वावलंबन से से जुड़े इस पायलट प्रोजेक्ट का जिस वक्त निरीक्षण करने सीडीओ पहुंची, उस वक्त 150 महिलाएं चरखा एवं मटके से धागा निकालते और धागा को बॉबिन में भरते हुए, कपड़े की बुनाई कार्य कर रही थी। जानकारी करने पर पता चला कि मधुपुर, बट्ट, गौराही, सुकृत, बघोर, मझुई आदि गांवों की महिलाएं इस केंद्र पर कार्य के लिए लगाई गई हैं। सीडीओ ने सरिता, पार्वती, प्रीति आदि महिलाओं से जानकारी ली तो पता चला कि उन्हें रेशम धागा और वस्त्र उत्पादन के कार्य से प्रति माह पांच से सात हजार मिल जा रहे हैं। महिलाओं का कहना है िकवह सुबह 10 बजे के करीब यहां आती हैं और शाम चार बजे चली जाती हैं। इससे उनके घरेलू कार्य में कोई अवरोध भी नहीं होता और उन्हें हर माह अतिरिक्त आय हो जाती है, जिससे घरेलू खर्चे, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई आदि कार्य में मदद मिलती हैं।
महिलाओं की तरफ से 40 और चरखों की जताई गई जरूरत
कार्य कर रही महिलाओं से सीडीओ से 40 और चरखों को उपलब्ध कराने की मांग की। कहा कि कई अन्य महिलाएं भी यहां कार्य करने की इच्छुक हैं लेकिन चरखा न होने से उन्हें काम का अवसर नहीं मिल पा रहा है। इस पर सीडीओ ने सहायक निदेशक रेशम को निर्देशित किया कि इस स्थल पर रेशम धामा और वस्त्र बुनाई को विस्तार देने के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता है? इसे कितनी सीमा तक विस्तार दिया जा सकता है? इसके बारे में पूरा प्रस्ताव, सोलर सिस्टम को जोड़ते हुए प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। कहा कि प्रस्ताव इस तरह से बनाया जाए कि आने वाले समय में जिले में ही टसर रेशम से जुड़े सभी उत्पाद तैयार कर लिए जाएं ताकि जनपद में उत्पादित हो रहे टसर रेशम कोया का पूरा उपयोग जनपद में ही किया जा सके। इस दौरान संबंधित संस्था के सचिव धनजंय सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।