Sonbhadra Exclusive: कोयले के अनियमित भंडारण में तय हो सकती है खरीदारों-रेलवे की जवाबदेही, सुप्रीम कोर्ट से एनसीएल को राहत

Sonbhadra Exclucive: एनसीएल की तरफ से दाखिल की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिस कोयला भंडारण को लेकर एनसीएल का दायित्व निर्धारित किया गया है वास्तव में भंडारण की जिम्मेदारी रेलवे और कोयला क्रेताओं की है। एनसीएल की इस भंडारण में न तो कोई भूमिका है, न ही इसके लिए कोई अनुमति दी गई है जिस जमीन पर भंडारण का मामला सामने आया है।

Update:2023-12-17 18:45 IST

कोयले के अनियमित भंडारण में तय हो सकती है खरीदारों-रेलवे की जवाबदेही, सुप्रीम कोर्ट से एनसीएल को राहत, 8 करोड़ कम हुई पेनाल्टी: Photo- Social Media

Sonbhadra Exclucive: पूर्व मध्य रेलवे की कृष्णशिला रेलवे साइडिंग के पास, लाखों टन कोयले के अनियमित भंडारण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से जल्द ही एक और बड़ा फैसला आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत के बाद एनसीएल की तरफ से पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कोष में 2 करोड़ की धनराशि जमा करते हुए, मौके की वस्तु स्थिति और कोयला भंडारण को लेकर पूरी रिपोर्ट एनजीटी में दाखिल कर दी गई है। रिपोर्ट में उल्लिखित तथ्यों को देखते हुए माना जा रहा है कि मामले में रेलवे और कोयला खरीदारों की जिम्मेदारी तय करते हुए भी एनजीटी के तरफ से बड़ा फैसला आ सकता है।

एनसीएल का दावा: भंडारण के लिए रेलवे और कोयले के खरीदार जिम्मेदार

एनसीएल की तरफ से दाखिल की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिस कोयला भंडारण को लेकर एनसीएल का दायित्व निर्धारित किया गया है वास्तव में भंडारण की जिम्मेदारी रेलवे और कोयला क्रेताओं की है। एनसीएल की इस भंडारण में न तो कोई भूमिका है, न ही इसके लिए कोई अनुमति दी गई है जिस जमीन पर भंडारण का मामला सामने आया है। उस जमीन को भी एनसीएल बरसों पूर्व उपयोग-उपभोग के लिए रेलवे को सौंप चुका है।

दावों को लेकर एनसीएल ने इन तथ्यों को बनाया है आधार

सीसीएल की तरफ से दाखिल रिपोर्ट में बताया गया है कि रेलवे की तरफ से 24 अक्टूबर 1988 को ऊर्जा मंत्रालय, कोयला विभाग से 105.81 एकड़ जमीन को पट्टे पर देने या पट्टे पर देने की मंजूरी का अनुरोध किया गया था। इसके क्रम में 105.81 एकड़ जमीन करैला रोड-बीना-जयंत शाखा के निर्माण के लिए रेलवे को दी गई थी। जिस 35 बीघे एरिया पर कोयले के भंडारण का मामला है, वह बीना लाइन के अंतर्गत आता है। कृष्णशिला रेलवे साइडिंग अच्छी शेड वाली रेलवे साइडिंग है। पूर्व मध्य रेलवे के परिचालन नियंत्रण/भौतिक कब्जे में है।साइडिंग का उपयोग विभिन्न कोयला उपभोक्ताओं द्वारा कोयले के परिवहन के लिए किया जाता है।


दावा : भंडारण वाली जमीन वास्तविक रूप से रेलवे के भौतिक कब्जे में

दाखिल की गई रिपोर्ट/ अनुपालन आख्या में एनसीएल की तरफ से बताया गया है कि 35 बीघे की भूमि रेलवे के वास्तविक भौतिक कब्जे में है जिसका उपयोग रेलवे द्वारा भंडारण/परिवहन के लिए किया जाता है। ग्राहकों/क्रेता तक कोयले के भंडारण/परिवहन में नॉर्दन कोलफील्ड को कोई अधिकार नहीं है। कृष्णशिला रेलवे स्टेशन माल वाहक प्लेटफार्म की तुलना में अन्य सार्वजनिक परिवहन का भी स्टेशन है। कृष्णशिला रेलवे गुडशेड साइडिंग के लिए एनसीएल क्लॉज चार (खदान का माइन बैरियर/चेकपोस्ट) पर विक्रेता/क्रेता के भरे हुए ट्रकों के पार होते ही, एनसीएल की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है।

एनसीएल को दिए गए थे 10 करोड़ जमा करने के निर्देश

बता दें कि मामले में एनजीटी की तरफ से एनसीएल को पर्यावरण क्षतिपूर्ति के रूप में 10 करोड़ जमा करने का निर्देश दिया गया था। साथ ही उपचारात्मक उपाय अपनाने के लिए भी जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। एनसीएल ने इसको लेकर एनजीटी में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी जिसको खारिज कर दिया गया था। इसके बाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फरियाद लगाई गई थी जहां से एनसीएल की तरफ से जमा की जाने वाली 10 करोड़ की धनराशि को घटाकर 2 करोड़ निर्धारित किया गया। उसे जमा करते हुए एनसीएल की तरफ से पूरे तथ्यों से एनजीटी को अवगत कराया गया है।

कोयला भंडारण को लेकर 13 खरीदारों ने दाखिल की थी दावेदारी

बताते चलें कि कोयला भंडारण को लेकर 13 खरीदारों ने दावा प्रस्तुत किया था जिनके पक्ष में कोयला अवमुक्त करने की कार्रवाई भी की गई थी। एनसीएल की तरफ से ऐसे सभी 13 खरीदारों की सूची भी एनजीटी को उपलब्ध कराई गई है। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि खरीदारों पर भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए पेनल्टी अधिरोपित की जा सकती है।

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