Sonbhadra News: भंडारण लाइसेंस के नाम पर परमिट में मिला बड़ा फर्जीवाड़ा, जालसाजों के हाथ लगे सिक्योरिटी पेपर से हड़कंप, जांच में जुटी पुलिस
Sonbhadra News: पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक पुलिस जांच में चोपन में दर्ज मामले का मास्टर माइंड दीपचंद द्विवेदी निवासी विसुंदरपुर सिविल लाईन थाना कोतवाली शहर मिर्जापुर को पाया गया है।;
Sonbhadra News: चोपन थाना क्षेत्र में भंडारण लाइसेंस के नाम पर दो क्रशर प्लांट संचालकों सहित पांच के खिलाफ नामजद और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज कराए केस का मामला अभी पूरी तरह सुलझ भी नहीं पाया था, कि ओबरा थाना क्षेत्र में भंडारण लाइसेंस के नाम पर जारी होने वाले परमिटों की आड़ में, बड़ा फर्जीवाडे का खेल सामने आने से हड़कंप मच गया है। लाइसेंसधारकों को ही दिए जाने वाले सिक्योरिटी पेपर, जालसाजों तक कैसे पहुंच गए? इस मसले ने भी खनन जगत से जुड़े लोगों को बेचैन कर दिया है। फिलहाल एक क्रशर प्लांट संचालिका की तरफ से, फर्जीवाड़े को लेकर ओबरा थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। मामले में पुलिस धारा 419, 420, 467, 468, 471 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर छानबीन में जुटी हुई है।
ऐसे सामना आया फर्जीवाड़े का यह खेल
मेसर्स उर्मिला स्टोन क्रसिंग कंपनी की तरफ से पुलिस को जानकारी दी गई कि उसके फर्म के हक में बिल्ली मारकुंडी में 194 एकड़ एरिया में खनिज भंडारण का लाइसेंस स्वीकृत है। 30 अक्टूबर को खान विभाग से फोन के जरिए सूचना दी गई कि उनके फर्म के नाम पर गत वाहन संख्या बीआर-45-जीबी-1053 के नाम जारी परमिट (ई-फार्म-सी) 30 अक्टूबर को चेकिंग के दौरान फर्जी पाया गया है। फर्म स्तर पर मामले की छानबीन की गई तो पता चला कि मूल फार्म सी और अवैध फार्म सी दोनों में दिनांक और समय अलग-अलग है। फर्जी परमिट तैयार करने वालों के हाथ सिक्योरिटी पेपर कैसे लगे, इसको लेकर हड़कंप की स्थिति बनी रही। मामले में जिस वाहन के नाम वास्तव में परमिट जारी हुआ था, उसकी डुप्लीकेट कापी कैसे और किस रूप में तैयार होगा, दूसरे वाहन के पास पहुंची, इसको लेकर जांच की मांग की गई। ओबरा पुलिस के मुताबिक मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी गई है।
पांच महीने पहले पकड़ा गया था एक करोड़ का फर्जीवाड़ा
इससे पहले 27 मई 2023 को आशीष कुमार ज्येष्ठ खान अधिकारी की तरफ से चोपन थाने में भंडारण लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के बाद भी, अवैध रूप से ई-प्रपत्र- सी जनरेट कर राज्य सरकार को रायल्टी और खनिज मूल्य के रूप में एक करोड़ 39 लाख 640 की राजस्व क्षति पहुंचाने का केस दर्ज कराया गया था। मामले में चोपन पुलिस ने मेसर्स एस कंस्ट्रक्सन एंड सप्लायर्स बिल्ली मारकुण्डी के पार्टनर सत्य प्रकाश केशरी, निवासी शिवनगर कालोनी ओबरा, मेसर्स मां दुर्गा माइनिंग एंड कंस्ट्रक्शन मीतापुर-प्रीतनगर, चोपन के संचालक गणेश कुमार अग्रवाल निवासी राममंदिर कालोनी ओबरा, उनकी कंपनी के कंप्यूटर ऑपरेटर श्याम कुमार प्रजापति निवासी जूड़ा हरधन, चंदौली, आशुतोष मिश्रा निवासी गौरवनगर, चोपन, रविकांत पाण्डेय निवासी अहरौरा, मिर्जापुर एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471 आईपीसी और 3 लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी।
पुलिस जांच में मिर्जापुर का दीपचंद पाया गया मास्टर माइंड
पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक पुलिस जांच में चोपन में दर्ज मामले का मास्टर माइंड दीपचंद द्विवेदी निवासी विसुंदरपुर सिविल लाईन थाना कोतवाली शहर मिर्जापुर को पाया गया है। उसने मंजय कुमार गोड़ के नाम वाले आधार कार्ड से मोबाइल नंबर 9170796296 का सिम हासिल किया और दीपचंद से मिलकर फर्जी ई प्रपत्र सी तैयार करते हुए राज्य सरकार को राजस्व की क्षति पहुंचाई। मामले में सहयोगी की भूमिका निभाने वाले रविकांत पाण्डेय को गत जून माह में ही गिरफ्तार कर लिया गया था। वहीं मंजय कुमार गोंड़ निवासी बेदौली कला भटौली थाना देहात कोतवाली मीरजापुर की तलाश जारी थी, जिसे भी बृहस्पतिवार को चोपन बस स्टैंड से गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी में प्रभारी निरीक्षक चोपन विश्वनाथ प्रताप सिंह और मामले के विवचेक डाला चौकी इंचार्ज संजय कुमार सिंह ने अहम भूमिका निभाई ।
गहनता से हुई जांच तो कई सफेदपोशों तक पहुंच सकती है जांच
कहा जा रहा है कि चोपन और ओबरा दोनों थानों में दर्ज केस की ईमानदारी से जांच की गई तो परमिट फर्जीवाड़े के इस काले कारोबार में कई सफेदपोशों का भी नाम सामने आ सकता है। इसको देखते हुए, हर किसी निगाहें की पुलिस की जांच पर टिकी हुई हैं।