Sonbhadra News: पूर्वांचल के चर्चित मामले में हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय, नवजात खरीद मामले में निधि सिंह को मिली जमानत
Sonbhadra News: हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह मानते हुए कि आरोपी महिला है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और नवजात के लिए जारी किए गए कथित फर्जी जन्म प्रमाण पत्र में उसकी कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं है।
Sonbhadra News: पड़ोसी जिले चंदौली के एक नामी अस्पताल से प्रसव के बाद खरीदे गए नवजात शिशु के साथ बाबतपुर एयरपोर्ट पर पकड़े गए दंपती के मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। इस मामले की मुख्य आरोपी निधि सिंह को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने यह मानते हुए कि आरोपी महिला है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और नवजात के लिए जारी किए गए कथित फर्जी जन्म प्रमाण पत्र में उसकी कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं है, जमानत याचिका स्वीकार कर ली।
फ्लाईट पकड़ने के लिए पहुंचे दंपति पर सीआईएसएफ को हुआ था शक
प्रकरण को लेकर वाराणसी के फूलपुर थाने में पुलिस की तरफ से दर्ज कराए गए केस के मुताबिक सीआईएसएफ से मिली सूचना के आधार पर पुलिस से जुड़ा व्यक्ति एयरपोर्ट पहुंचा तो वहां एक महिला और एक पुरुष नवजात शिशु के साथ बैठे मिले। उन्होंने अपना नाम निधि सिंह और अशोक पटेल बताया। महिला ने बताया कि उसकी देवरानी वंदना पटेल निःसंतान है, इसलिए उसने केबी अस्पताल दुल्हीपुर, मुगलसराय, चंदौली से 50 हजार रुपये में यह बच्चा खरीदा है और वह उसके साथ बेंगलुरु जा रही है। बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र दिखाया गया, जिसके अनुसार बच्चे का नाम रुद्रांश सिंह पुत्र वंदना पटेल है। जन्म प्रमाणपत्र को फर्जी बताया गया।
आगे बढ़ी छानबीन तो यह मामला आया सामने
पुलिस ने जब मामले की छानबीन आगे बढ़ाई तो संबंधित अस्पताल के डॉक्टर जमील खान ने धारा 180 बीएनएस के तहत बयान दर्ज कराते हुए कहा कि उनके अस्पताल में बच्चे का जन्म हुआ था और पक्षों की सहमति से, इसे निधि सिंह को 50,000 के लेन-देन पर सौंप दिया गया था और इसी क्रम में अस्पताल द्वारा जन्म प्रमाण पत्र भी जारी किया गया था।
जन्मदाता मां सहित अन्य ने नहीं किया अभियोजन का समर्थन
प्रकरण को लेकर जेल में बंद चल रही निधि सिंह ने सोनभद्र निवासी अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा के जरिए हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की। गत 24 अक्टूबर को न्यायमूर्ति करूणेश सिंह पवांर की बेंच ने मामले की सुनवाई की। पाया कि बच्चे की जन्मदाता बताई जा रही मां के साथ उसके माता-पिता का भी बयान दर्ज किया गया है लेकिन उनके द्वारा अभियोजन पक्ष के कथन का समर्थन नहीं किया गया है।
बचाव पक्ष का दावा: नहीं की गई कोई जालसाजी
वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि बच्चे को जन्मदात्री मां ने अपने माता-पिता की सहमति से जमानत याचिकाकर्ता को सौंपा है। उसने न कोई अपराध किया न ही कोई जालसाजी की। क्योंकि उसके द्वारा जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। आवेदिका का इससे पहले का कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। अधिवक्ता एके मिश्रा ने बताया कि उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए बेंच ने, आरोपी को जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित किया है।