अचरज में डाल देगा वरेण्य का विश्व रिकार्ड, महज 43 सेकंड में की 44 यूरोपीय देशों के झंडों की पहचान

Sonbhadra News: महज 3 वर्ष 28 दिन की उम्र में वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करने जैसी उपलब्धि जहां किसी अजूबे से काम नहीं है वहीं इसके पीछे की कहानी किसी को भी अचरज में डाल देने वाली है।

Update:2024-12-03 18:09 IST

तीन वर्ष के वरेण्य ने बनाया विश्व रिकार्ड (न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: सोनभद्र के एक नौनिहाल ने महज तीन वर्ष 28 दिन की उम्र में अद्भुत याद्दाश्त क्षमता का परिचय देते हुए विश्व रिकार्ड बनाने की कहानी अचरज में डाल देने वाली है। पिछले दिनों नोएडा में आयोजित प्रतियोगिता में महज 43 सेकंड में सभी 44 यूरोपीय देशों के झंडों को पहचान के साथ ही उसका उच्चारण कर जहां अपनी अद्भुत याद्दाश्त क्षमता का परिचय दिया। वहीं, अब तक के रिकार्ड में सबसे कम समय में वरेण्य विकास जायसवाल ने इस उपलब्धि को हासिल कर एक नया विश्व रिकॉर्ड बना डाला। वहीं, वरेण्य की इस कामयाबी को वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।

25 नवंबर 2021 को जन्म लेने वाला सोनभद्र का यह अद्भुत लाल जिला मुख्यालय राबटर्सगंज का रहने वाला है। नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन का पोता तथा विकाय जायसवाल का पुत्र वरेण्य नोएडा में रहकर पढ़ाई कर रहा है। वहीं, गत 28 अक्टूबर, को किड्स रिकार्ड से जुड़ी स्पर्धा का आयोजन किया गया था। इस दौरान वरेण्य ने, न सिर्फ़ 43 सेकंड में सटीकता और तेज़ी से प्रत्येक झंडे का नाम बताने में कामयाबी पाई बल्कि अपने असाधारण ज्ञान और याददाश्त का परिचय देकर र्प्रतियोगिता के दौरान मौजूद हर शख्स को दंग करके रख दिया। उसकी इस असाधारण उपलब्धि को वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में जगह दी गई है। इस उपलब्धि पर जिले के लोगों में प्रसन्नता की स्थिति है।

खेल-खेल में की झंडों की पहचान, ...और बन गया विश्व रिकॉर्ड

महज 3 वर्ष 28 दिन की उम्र में वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करने जैसी उपलब्धि जहां किसी अजूबे से काम नहीं है वहीं इसके पीछे की कहानी किसी को भी अचरज में डाल देने वाली है। पिता विकास जायसवाल और माता यामिनी का कहना है कि जन्म के डेढ़ साल बाद से ही, वरेण्य की चीज़ों को पहचानने और बताने की क्षमता दिखने लगी थी। इसको ध्यान में रखते हुए उसे खेल-खेल में जनरल नॉलेज से जुड़ी चीज सिखाई जाने लगी। झंडों की तरफ उसकी दिलचस्पी बढ़ी तो उसे विभिन्न देशों के झंडों को पहचानने और उसका उच्चारण का बोध खेल-खेल-खेल में कराया जाने लगा। बच्चे की भी इन चीजों में दिलचस्पी बढ़ती गई और उसने अपनी अद्भुत याददाश्त क्षमता के जरिए विश्व रिकॉर्ड बना डाला।

Tags:    

Similar News