सोनू व मोनू सिंह बसपा से निष्कासित
बसपा की सुल्तानपुर जिला यूनिट द्वारा जारी पत्र के मुताबिक पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सोनू सिंह व उनके भाई मोनू सिंह की पार्टी में अनुशासनहीनता अपनाने व पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की दी गई रिपोर्ट की विभिन्न सूत्रों से छानबीन करने के बाद इनको पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी ने सुल्तानपुर से बीते लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी रहे चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह और उनके ब्लाक प्रमुख भाई यशभद्र सिंह उर्फ मोनू सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने और अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से बाहर कर दिया है।
बसपा की सुल्तानपुर जिला यूनिट द्वारा जारी पत्र के मुताबिक पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सोनू सिंह व उनके भाई मोनू सिंह की पार्टी में अनुशासनहीनता अपनाने व पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने की दी गई रिपोर्ट की विभिन्न सूत्रों से छानबीन करने के बाद इनको पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
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जारी पत्र में आगे कहा गया है कि निष्कासित सोन व मोनू सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में कई बार चेतावनी दी जा चुकी है लेकिन इसके बावजूद भी इनकी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया है, जिसकी वजह से पार्टी हित में इनको निष्कासित कर दिया गया है।
लोकसभा चुनाव-2019 में मेनका गांधी के खिलाफ महागठबंधन प्रत्याशी थे सोनू सिंह
गौरतलब है कि सुल्तानपुर की राजनीति इन दोनों भाइयों के इर्दगिर्द ही घूंमती है। चन्द्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह हर रविवार को जनता दरबार लगाते है और क्षेत्र की जनता के मामलों व समस्याओं का हल निकालते है। सोनू सिंह के पिता इंद्रभद्र सिंह का भी इलाके में बहुत दबदबा था वह ब्लाक प्रमुख थे।
इंद्रभद्र सिंह की हत्या करवा दी गयी थी जिसमे संत ज्ञानेश्वर का नाम आया था। कुछ ही महीनों के बाद संत ज्ञानेश्वर की भी हत्या कर दी गयी जिसमे दोनों भाई सोनू व मोने सिंह नामजद हुए लेकिन अदालत में उन पर आरोप सिद्ध नहीं हो पाया।
इसके बाद वर्ष 2002 में चंद्रभद्र सिंह ने सपा के सिम्बल पर इसौली विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर बसपा की कामिल फरोग को लगभग 25 हजार वोटों से हराया और कम उम्र में पहली बार विधायक चुने गए। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर दूसरी बार विधायक चुने गए लेकिन दो साल बाद वर्ष 2009 में सपा से इस्तीफा देकर चंद्रभद्र सिंह बसपा में शामिल हो गये। इसौली विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में चंद्रभद्र सिंह ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की।
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यशभद्र सिंह कई बार ब्लॉक प्रमुख चुने जा चुके हैं
वहीं साल 2012 में चंद्रभद्र सिंह ने बसपा से नाता तोड़ पीस पार्टी से सुलतानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा कोटे से वह सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र से सपा-बसपा महागठबंधन प्रत्याशी थे लेकिन भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी से चुनाव हार गए थे। उनके छोटे भाई यशभद्र सिंह मोनू ने भी वर्ष 2019 में इसौली से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन उनको भी हार का सामना करना पड़ा। इसके पहले यशभद्र सिंह कई बार ब्लॉक प्रमुख चुने जा चुके हैं।