समाजवादी पार्टी 19 को सूबे के जनपदों में देगी बड़े पैमाने पर धरना, कारण जानें यहां
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी 19 दिसम्बर को मण्डलस्तर के बजाय अब जनपदस्तर पर धरना देगी। यह धरना नागरिकता संशोधन विधेयक, बेकारी, मंहगाई, महिलाओं पर अत्याचार और किसानों की समस्याओं को लेकर दिया जाएगा।
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी 19 दिसम्बर को मण्डलस्तर के बजाय अब जनपदस्तर पर धरना देगी। यह धरना नागरिकता संशोधन विधेयक, बेकारी, मंहगाई, महिलाओं पर अत्याचार और किसानों की समस्याओं को लेकर दिया जाएगा।
यह जानकारी देते हुए पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार ने नागरिकता बिल लाकर देश और समाज को बांटने की साजिश की है। इस बिल से समाज के बड़े वर्ग में तनाव और आक्रोश व्याप्त हो गया है। यह केन्द्र सरकार की भ्रमित राजनीति का हिस्सा है ताकि जनता का ध्यान मूल मुद्दों और आर्थिक मंदी से भटकाया जा सके।
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पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के बाद देश में व्यापार धंधा चैपट हो गया है। कई व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हो गए हैं। हजारों नौजवान बेरोजगार हो गए है। केन्द्र सरकार की मेक इन इण्डिया, स्टार्ट अप इण्डिया, मुद्रालोन आदि योजनाओं का कोई लाभ युवा वर्ग को नहीं मिला है। करोड़ों शिक्षित नौजवान रोजी रोटी के अभाव में मारे-मारे घूम रहे हैं।
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भाजपा की आर्थिक नीतियों के चलते मंहगाई की मार से जनसामान्य त्रस्त है। खाद्यान्न, ईधन, परिवहन सबके दाम आसमान छू रहे हैं। जनता की आम जिंदगी दूभर हो चली है। महिलाओं-बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ रही है। प्रदेश में कानून का नहीं वरन् माफियाओं का राज है। छात्रों की बेतहाशा फीस वृद्धि से गरीब व कमजोर शिक्षा से वंचित किए जा रहे हैं। बुनकरों को समाजवादी सरकार में दी गई पावर लूम पर फ्लैट रेट की सुविधा समाप्त कर बिजली सबसे मंहगी उत्तर प्रदेश में कर दी गई है।
गन्ना, धान, आलू आदि के किसान घोर संकट में
सपा का कहना है कि गन्ना, धान, आलू आदि के किसान घोर संकट में है। परन्तु प्रदेश की भाजपा सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है। बड़ी संख्या में गन्ना किसानों को पर्ची नहीं दी जा रही है जिसके कारण गन्ना माफिया उन किसानों को गन्ना 225 से 250 रू0 प्रति कुंतल बेचने पर मजबूर किया जा रहा है। प्रशासन की मिली भगत से गन्ना माफिया गन्ना केन्द्रों पर गन्ना उतराई शुल्क जबरन वसूल कर रहे हैं। किसानों का पिछले वर्षों का लगभग 5000 करोड़ रूपया गन्ना मूल्य अभी तक गन्ना मिल मालिकों द्वारा भुगतान नहीं किया गया है। वर्तमान गन्ना सत्र का भुगतान मिल मालिकों द्वारा नहीं किया जा रहा है।
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समाजवादी पार्टी की मांग है कि किसानों पर लगे फर्जी मुकदमें वापस हों, आर्थिक जुर्माना समाप्त हो, आलू का लाभप्रद समर्थन मूल्य दिया जाए और ओलावृष्टि से नष्ट हुई सरसों, गेंहू की फसल का मुआवजा किसानों को दिया जाए।