सदियों तक सुरक्षित रहेगा राम जन्मभूमि का इतिहास, किया जाएगा ये बड़ा काम

अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक सुरक्षित बनाए रखने के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है। मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट की गहराई में एक टाइम कैप्सूल रखा जाएगा।

Update:2020-07-27 20:22 IST
ram mandir

अंशुमान तिवारी

लखनऊ: अयोध्या में प्रस्तावित राम मंदिर का इतिहास हजारों साल तक सुरक्षित बनाए रखने के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है। मंदिर के गर्भगृह में 200 फीट की गहराई में एक टाइम कैप्सूल रखा जाएगा। इस कैप्सूल को रखने का मकसद दिया है कि भविष्य में कभी भी राम जन्मभूमि और राम मंदिर को लेकर कोई विवाद न पैदा हो। इस टाइम कैप्सूल के भीतर राम जन्मभूमि और उससे जुड़ा पूरा ब्योरा दर्ज होगा।

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200 फीट की गहराई में रखा जाएगा टाइम कैप्सूल

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल में यह जानकारी देते हुए बताया कि हम चाहते हैं कि भविष्य में राम जन्मभूमि को लेकर कोई भी विवाद न पैदा हो। इसी मकसद से टाइम कैप्सूल की व्यवस्था की जा रही है और इसे गर्भगृह में 200 फीट की गहराई में रखा जाएगा।

दर्ज होगा राम जन्मभूमि का पूरा विवरण

इसमें राम मंदिर से जुड़ा पूरा ब्योरा दर्ज होगा। सैकड़ों साल बाद भी यदि कोई श्री राम जन्म भूमि के बारे में जानना चाहेगा तो उसे पूरी जानकारी मिल जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर की आधारशिला रखेंगे मगर वैदिक अनुष्ठान का काम 3 अगस्त से ही शुरू हो जाएगा। 5 अगस्त के कार्यक्रम को लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा।

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ताकि भविष्य में ना पैदा हो कोई विवाद

चौपाल ने कहा कि राम जन्मभूमि के इतिहास को सिद्ध करने के लिए कोर्ट में काफी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है। इसीलिए टाइम कैप्सूल बनाकर नीचे डालने का फैसला किया गया है ताकि भविष्य में यदि किसी तरह का विवाद होता है तो उसे आसानी से सुलझाया जा सके। उन्होंने कहा कि भविष्य में जब भी कोई इतिहास के बारे में जानकारी लेना चाहेगा तो उसे श्री राम जन्मभूमि के संघर्ष के इतिहास के बारे में जानकारी मिल जाएगी।

आखिर टाइम कैप्सूल है क्या

प्रस्तावित राम मंदिर के निर्माण स्थल पर टाइम कैप्सूल रखे जाने की बात का खुलासा होने के बाद एक बार फिर इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर टाइम कैप्सूल होता क्या है। टाइम कैप्सूल एक कंटेनर की तरह होता है जिसे विशेष प्रकार के तांबे से बनाया जा रहा है।

इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि यह सैकड़ों साल तक खराब नहीं होता और जब भी इसे जमीन से बाहर निकाला जाएगा तो इसमें मौजूद सभी दस्तावेज पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे। टाइम कैप्सूल पर किसी भी प्रकार के मौसम का कोई बुरा असर नहीं होता और यही कारण है कि इसे कभी भी किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचती। जमीन में काफी नीचे दफन होने के कारण यह पूरी तरह सुरक्षित रहता है।

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स्पेन में मिला 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल

स्पेन के बर्गोस में 30 नवंबर 2017 को करीब 400 साल पुराना टाइम कैप्सूल मिला था। यह टाइम कैप्सूल यीशु मसीह की मूर्ति के रूप में था। मूर्ति के भीतर रखा गया दस्तावेज पूरी तरह सुरक्षित था जिसमें 17वीं शताब्दी की आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जानकारी दी गई थी। फिलहाल इसे ही सबसे पुराना टाइम कैप्सूल माना जा रहा है क्योंकि अभी तक इसके बाद कोई और टाइम कैप्सूल नहीं मिला है।

इंदिरा गांधी ने लाल किले में रखा था टाइम कैप्सूल

वैसे देश में यह पहला मौका नहीं होगा जब किसी स्थान पर टाइम कैप्सूल रखा जा रहा है। जानकारों के मुताबिक अब तक देश में लगभग आधा दर्जन जगहों पर इस तरह के टाइम कैप्सूल रखे जा चुके हैं। ऐसे स्थानों में ऐतिहासिक लाल किला भी शामिल है। यहां पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने टाइम कैप्सूल रखा था जिसे 32 फुट नीचे रखा गया था।

मोदी पर भी लगा था आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो 2011 में विपक्ष ने उन पर भी टाइम कैप्सूल दफनाने का आरोप लगाया था। विपक्ष का कहना था कि मोदी ने गांधीनगर में निर्मित महात्मा मंदिर के नीचे टाइम कैप्सूल दफनाया है जिसमें उनकी उपलब्धियों का बखान किया गया है।

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कानपुर आईआईटी ने भी उठाया था कदम

आईआईटी कानपुर ने भी अपने स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के दौरान पिछले 50 साल के इतिहास की जानकारियों से भरा एक टाइम कैप्सूल जमीन के नीचे रखा था। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने फरवरी 2010 में इस टाइम कैप्सूल को जमीन के नीचे रखा था। इसके अलावा कानपुर के ही चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में भी टाइम कैप्सूल रखा गया है। इस टाइम कैप्सूल में विश्वविद्यालय का इतिहास और उससे जुड़ी तमाम जानकारियों को दर्ज किया गया है।

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