सही समय पर सही सुझाव से रोकी जा सकती है आत्महत्या

किसी भी व्‍यक्ति द्वारा की गयी आत्‍महत्‍या से सिर्फ उसी व्‍यक्ति का जीवन ही नहीं समाप्‍त होता है, बल्कि परिजनों की परेशानियां बढ़ती हैं, साथ ही समाज का भी नुकसान होता है। संतोष की बात यह है कि यह समस्‍या लाइलाज नहीं है, आत्‍महत्‍या की इस प्रवृत्ति को रोकना पूरी तरह संभव है।

Update: 2023-07-30 03:27 GMT

लखनऊ: किसी भी व्‍यक्ति द्वारा की गयी आत्‍महत्‍या से सिर्फ उसी व्‍यक्ति का जीवन ही नहीं समाप्‍त होता है, बल्कि परिजनों की परेशानियां बढ़ती हैं, साथ ही समाज का भी नुकसान होता है। संतोष की बात यह है कि यह समस्‍या लाइलाज नहीं है, आत्‍महत्‍या की इस प्रवृत्ति को रोकना पूरी तरह संभव है, बस जरूरत है दूसरे लोगों द्वारा ऐसे व्‍यक्तियों के लक्षणों को पहचानने की और उनसे बात कर उनका दुख बांटने की।

आज आवश्‍यकता इस बात की है कि सही समय पर सही सुझाव अगर परेशान व्‍यक्ति को मिल जाये तो आत्‍महत्‍या के प्रत्‍येक केस को रोका जा सकता है।

यह भी पढ़ें…महाराष्ट्र चुनाव: जानें अमित शाह ने अपने भाषण में खून की नदियों का क्यों किया जिक्र

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ के तत्‍वावधान में गुरूवार को आईएमए भवन में विश्‍व मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य दिवस पर आयोजित पत्रकार वार्ता में आईएमए लखनऊ के ऐडिटर व मनोचिकित्‍सक डॉ अलीम अहमद सिद्दीकी ने कही। डॉ अलीम ने कहा कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में प्रति 40 सेकंड में एक व्‍यक्ति आत्‍महत्‍या कर लेता है जबकि भारत में यह दर प्रति पांच मिनट में एक है।

यह भी पढ़ें…खतरनाक साजिश! ​कश्मीर में हाफिज सईद की रैली, जानें क्या है मकसद

डॉ अलीम ने बताया कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने विश्‍व मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य दिवस की इस बार की थीम आत्‍महत्‍या की ‘रोकथाम और जागरूकता’ है। इस बारे में डॉ अलीम ने बताया कि आजकल की जीवन शैली जिसमें व्‍यायाम का अभाव है, खानपान भी अलग है और सबसे बड़ी बात है कि व्‍यक्ति समस्‍याओं में घिरा रहता है। उन्‍होंने कहा कि हालांकि कोई भी समस्‍या ऐसी नहीं है जिसका हल न हो, और यह भी सही है कि किसी भी समस्‍या का हल आत्‍महत्‍या नहीं है, क्‍योंकि इससे समस्‍यायें खत्‍म नहीं होती हैं, बल्कि बढ़ जाती हैं।

यह भी पढ़ें…सेना ने की एयरस्ट्राइक, बिछ गईं आतंकियों की लाशें, 12 जिहादी ढेर

उन्‍होंने बताया कि लोगों को चाहिये कि अगर उनके घर में, मित्र, रिश्‍तेदार या कोई और जानपहचान वाला अगर कभी निराशाजनक बातें कहते हुए यह कहे कि ३भाई बहुत परेशानी है, इससे अच्‍छा है कि मर जायें।

डॉ अलीम ने बताया कि इसी समय जिस व्‍यक्ति से यह बात परेशान व्‍यक्ति ने कही है, वह पलटकर उससे उसकी समस्‍या पूछते हुए उसके समाधान के प्रति उसे समझाये, यही नहीं यह भी समझाये कि आत्‍महत्‍या किसी परेशानी का हल नहीं है। उन्‍होंने कहा कि परेशान व्‍यक्ति भी इस बात को आसानी से समझ लेता है क्‍योंकि आत्‍महत्‍या के विचार थोड़े ही समय के लिए आते हैं।

Tags:    

Similar News