Hardoi News: गर्मी में बढ़ जाता बीमारियों का प्रकोप, जानें कौन सी बीमारी से कैसे करें बचाव

Hardoi News:अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो यह संक्रमण हवा में फैल जाता है। ऐसे में स्वस्थ व्यक्ति को किसी संक्रामक रोग के मरीज से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।

Update: 2023-04-20 12:52 GMT
मरीज की स्वास्थ्य जांच करते विशेषज्ञ। Photo: newstrack media.

Hardoi News: गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है और इसी के साथ संक्रामक रोग भी बढ़ रहे हैं। सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। नेचरोपैथ विशेषज्ञ डॉ. राजेश मिश्र ने बताया कि वर्तमान समय में बसन्त ऋतु चल रही है। यह ऋतु मार्च से लेकर मई के मध्य तक रहती है। इस मौसम में जुकाम व बुखार होना सामान्य बात है। इसलिए हमें इस मौसम में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जाड़े के दिनों में शरीर में कफ का संचय होता है और इस संचित कफ को शरीर बसन्त ऋतु में बाहर निकालने लगता है।

संक्रामक रोगों से रहें सावधान

गर्मी के मौसम में लू चलने के साथ बीमारियों का प्रकोप बढ़ने लगता है। कुछ बीमारियां तो सामान्य होती हैं, जिनका इलाज आसान होता है। लेकिन कुछ बीमारियां गंभीर होती हैं, जिनका समय पर इलाज नहीं करवाया गया तो ये जानलेवा साबित हो सकती हैं। खसरा, श्वसन प्रणाली का एक वायरस इन्फेक्शन है। यह एक संक्रामक रोग है जो कि संक्रमित व्यक्ति के बलगम और लार के संपर्क के कारण फैलता है। अगर संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है तो यह संक्रमण हवा में फैल जाता है। यह संक्रमण औसतन 7-10 दिनों तक प्रभावी होता है। आम तौर पर यह बचपन में होने वाला संक्रामक रोग है।

पीलिया के ये होते हैं लक्षण

पीलिया गर्मी के मौसम में सबसे ज्यादा होता है। पीलिया में मरीज को पीला पेशाब आता है और उसके नाखून, त्वचा एवं आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। बेहद कमजोरी, जी मचलाना, बुखार, वजन में कमी, मतली, हल्के रंग का मल, पेट दर्द, भूख न लगना आदि परेशानियां भी रहने लगती हैं। टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से होने वाला संक्रामक रोग है जो कि संक्रमित भोजन या पानी के सेवन से होता है। इस बीमारी में 104 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा बुखार रहना, भूख कम लगना, सिर दर्द रहना, शरीर में दर्द, आलस्य और दस्त होना शामिल हैं। इस बीमारी में कई लोगों को छाती में कफ जम जाता है। पेट में दर्द भी रहता है। यह रोग आंतों, दिल, फेफड़ों, गुर्दें और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।

पहले की लाइफस्टाइल का असर रहता है गर्मी तक

डॉक्टर मिश्र ने कहा कि जाड़े में आहार-विहार ठीक रखें तो इस स्थिति से बचा जा सकता है। यदि जुकाम आदि कफ जनित समस्या हो जाए तो कफ कारक आहार न लेकर श्लेष्मा विहीन आहार लेना चाहिए। इससे नया कफ नहीं बनेगा और पुराना निकल जाएगा। डॉक्टर मिश्र ने बताया कि ठंडी चीजें, केला, चावल, आलू, मैदा, दूध व दूध से बनी चीजों से बचें।

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