Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को झटका, हाथरस मामले में कहा- आपको ऐसी याचिका दाखिल नहीं करनी चाहिए
Supreme Court: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "राज्य को ऐसे मामलों में नहीं पड़ना चाहिए। वह इस मामले से संबंधित तथ्यों व परिस्थितियों में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है। ये परिवार को दी जानेवाली सुविधाएं हैं। इसमें हम लोगों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। राज्य को इन मामलों से दूर ही रहना चाहिए।
Supreme Court: हाथरस गैंगरेप हत्या मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दाखिल याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा पीड़िता परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने और परिवार को हाथरस से कहीं और शिफ्ट करने पर विचार करने के फैसले पर की गई अपील को खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार से कहा कि, "ये अपराध एक बेहद जघन्य और परेशान करने वाला है। राज्य सरकार को इस तरह की अपील नहीं करनी चाहिए।
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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "राज्य को ऐसे मामलों में नहीं पड़ना चाहिए। वह इस मामले से संबंधित तथ्यों व परिस्थितियों में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं है। ये परिवार को दी जानेवाली सुविधाएं हैं। इसमें हम लोगों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। राज्य को इन मामलों से दूर ही रहना चाहिए।
दरसल यूपी सरकार ने कहा था कि हम पीड़ित परिवार को स्थानांतरित करने के लिए तैयार हैं, लेकिन मामला सीर्फ इतना है कि वे दिल्ली व गाजियाबाद जैसे शहर में रहना चाहते हैं और मृतका के बड़े भाई को उसका आश्रित बता कर नौकरी की मांग कर रहे हैं। विवाहित बड़ा भाई आश्रित होगा कि नहीं ये कानून का सवाल है।
जानें क्या है हाथरस रेप मामला?
दिनांक 14 सितंबर, 2020 को चंदपा थाना क्षेत्र के बूलगढ़ी गांव में एक 19 वर्षिय दलित लड़की की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। परिजनों ने बताया कि पीड़िता की हत्या उस समय की गई थी जब वो मवेशियों के लिए चारा लेने निकली थी। घटना के बाद वह आंशिक रूप से लकवाग्रस्त हो गई थी। उसे नजदीक के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां पर उससे बयान भी दर्ज कराया गया। हालत बिगड़ता देख उसे दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जाहं उसने अंतिम सांस ली।
तीन आरोपी बरी
मार्च के पहले सप्ताह में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चारो आरोपियों को रेप केस से बरी कर दिया। एक आरोपी संदीप को आईपीसी की धारा 304 और दलितों पर अत्याचार मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई और 50 हजार का जुर्माना भी लगाया।