Swami Prasad Maurya Resigns: बसपा की तरह ही BJP को स्वामी ने दिया झटका, कमल छोड़ साइकिल पर हुए सवार

Swami Prasad Maurya Resigns: भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से हड़कंप मच गया है।

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Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2022-01-11 09:47 GMT

लखनऊ: कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य का बीजेपी से इस्तीफ, अखिलेश यादव से मिले 

Lucknow: विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav 2022) के पहले भाजपा सरकार (BJP Government) में कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे (cabinet minister swami prasad maurya resigns) से हड़कंप मच गया है। इसी तरह पिछले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा (Bahujan Samaj Party) विधान मंडल दल से इस्तीफा दिया था।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा छोड़कर भाजपा जॉइन किया था

स्वामी प्रसाद मौर्य के पिछले की महीनों से भाजपा छोड़ने के कयास लगाए जा रहे थे। उनके बेटे उत्कर्ष मौर्य (Utkarsh Maurya) के समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party President Akhilesh Yadav) से मुलाकात के बाद इस बात के कयास लगने शुरू जो गए थे कि जल्द ही वह भाजपा (BJP) छोड़ देंगे। अब उम्मीद इस बात की है कि जल्द ही वह सपा का दामन थाम लेंगे।

बसपा सुप्रीमो मायावती के ख़ास थे कभी स्वामी प्रसाद मौर्य

कहा जा रहा है कि उनके साथ आधा दर्जन विधायक उनके साथ सपा में शामिल होंगे स्वामी ने जब पिछली बार बसपा छोड़कर भाजपा जॉइन किया था उस समयस्वामी प्रसाद मौर्य इस समय उत्तरप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। एक समय उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती (BSP supremo Mayawati) के खास सिपहसालारों में शुमार किया जाता था।

यूपी विधानसभा चुनाव 2012 में हार के बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिए गए

यूपी विधानसभा 2012 (UP Vidhansabha Chunav 2012) में विधानसभा चुनाव में बसपा की हार के बाद मायावती के साथ मौर्य के संबंधों में खटास आती गई। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने मौर्य को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था। उनकी जगह रामअचल राजभर (Ram Achal Rajbhar) को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था।

यहां यह बताना जरूरी है कि वर्ष 2007 में रायबरेली जिले के ऊंचाहार से बसपा के टिकट पर बुरी तरह हारने के बाद उन्होंने पार्टी के लोगों की सलाह पर उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया था। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने उनसे अपने बेटे उत्कर्ष और बेटी संघमित्रा के लिये चुनाव का टिकट लिया जो ना चाहते हुए भी उन्हें दिया गया। हालांकि उनका बेटा और बेटी चुनाव हार गये।

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