Taj mahal Case: ताजमहल मामले पर इलाहाबाद HC में एक और याचिका दायर, अब अयोध्या-वृंदावन के संत सामने आए
Taj mahal Case: ताजमहल मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक और याचिका (Petition) दायर की गई है। यह याचिका वृंदावन महेश्वर धाम के महामंडलेश्वर धर्मेंद्र गिरी ने दायर की है।
Another Petition Filed On Taj Mahal : ताजमहल (Taj Mahal) मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में एक और याचिका (Petition) दायर की गई है। यह याचिका वृंदावन महेश्वर धाम के महामंडलेश्वर धर्मेंद्र गिरी (Dharmendra Giri) ने दायर की है।
वृंदावन महेश्वर धाम के महामंडलेश्वर धर्मेंद्र गिरी (Dharmendra Giri) द्वारा दायर याचिका में अपील की गई है कि, जगतगुरु परमहंस आचार्य (Paramhansa Acharya) को भगवा वस्त्र (Saffron Clothes) और ब्रह्म दंड के साथ 'तेजो महालय' (ताजमहल को कहते हैं) में प्रवेश दिया जाए।
'हमें डरना नहीं है'
जगतगुरु परमहंस आचार्य ने एक वीडियो जारी कर कहा है, कि 'हमें बिल्कुल भी नहीं डरना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) जब तक हैं, तब तक हमें डरना नहीं है।' उन्होंने इन दोनों नेताओं पर भरोसा जताया।
मुगलों ने तोड़ा,..अब वो मंदिर फिर बनेंगे
जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने आगे बताया, 'मंगलवार को वृंदावन महेश्वर धाम के महामंडलेश्वर धर्मेंद्र गिरी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।' उन्होंने कहा, 'विदेशी आक्रांताओं और मुगल शासकों (Mughal's) ने करीब 40 हजार मंदिरों को ध्वस्त किया। अब वो मंदिर फिर से बनेंगे।'
ताजमहल अभी क्यों है विवाद में?
उल्लेखनीय है कि, विवादों की वजह से ताजमहल एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, विवाद इस बात को लेकर है कि ताजमहल मंदिर है या मकबरा? इसी मुद्दे पर बहस छिड़ी है। अभी विवाद ताजमहल के बंद 22 कमरों को लेकर है। जिसका रहस्य दिनों दिन गहराता जा रहा है। इसी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Allahabad High Court Lucknow Bench) में एक याचिका अयोध्या के बीजेपी (BJP) नेता ने दायर की है।
इस वजह से विवाद ने पकड़ा तूल
गौरतलब है कि, जगतगुरु परमहंस आचार्य को ताजमहल के पश्चिमी गेट (West Gate Of Taj Mahal) पर सीआईएसएफ (CISF) के जवानों ने भगवा वस्त्र पहने होने और ब्रह्म दंड की वजह से रोक दिया था। जिसके बाद आगरा में हिंदूवादी संगठनों ने जमकर हंगामा (Ruckus) किया। धीरे-धीरे यह मामला तूल पकड़ने लगा। जिसके बाद, एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद (Archaeologist) राजकुमार पटेल ने पूरे मामले की जांच कराई। बावजूद, मामला शांत नहीं हुआ।