Taj Mahal Case: ताजमहल के कमरे खोलने की मांग मामले में HC ने याचिकाकर्ता को फटकारा, कही ये बड़ी बात
Taj Mahal Row : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने आज ताजमहल (Taj Mahal) मामले पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा पहले पढाई करके आयें।
High Court on Taj Mahal Row : ताजमहल को शिव मंदिर होने का दावा और उसके बंद कमरों को खोलने की मांग करने वाले याचिका पर सुनवाई करते हुए आज इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) की लखनऊ बेंच ने काफी सख्त रुख अपनाया। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट (High Court) के लखनऊ बेंच के जस्टिस वीके उपाध्याय (Justice VK Upadhyay) ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा ताजमहल (Taj Mahal) किसने बनवाया इसके बारे में जानने के लिए पहले पढ़ कर आओ। जनहित याचिका का दुरुपयोग करने की जगह यूनिवर्सिटी में जाकर ताजमहल पर पीएचडी करें और अगर कोई रिसर्च करने से रोकता है तब हमारे पास आए।
क्या है याचिका?
ताजमहल को लेकर लंबे वक्त से कई हिंदू संगठनों एवं कई नेताओं द्वारा यह दावा किया जाता है कि ताजमहल एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाया गया है या मंदिर प्राचीन काल में भगवान शिव का था और इसे तेजो महालय के नाम से जाना जाता था। लंबे वक्त से चले आ रहे इस विवाद पर इसी साल 7 मई को भारतीय जनता पार्टी के नेता और अयोध्या के बीजेपी सोशल मीडिया प्रभारी डॉ रजनीश सिंह ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की।
इस याचिका में डॉ रजनीश सिंह ने मांग की कि ताजमहल के बंद पड़े कमरों को खोला जाए। रजनीश का दावा है कि इन कमरों में हिंदू देवी देवताओं की कई पुरानी मूर्तियां मौजूद है। दायर याचिका में रजनीश ने इन कमरों को खोलकर इनमें रखें मूर्तियों और शिलालेखों के बारे में गहनता से जांच करने की मांग की है। साथ ही उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से इस पूरे मामले की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन करने की भी मांग की है।
आज हाईकोर्ट में हुई मामले पर सुनवाई
बीजेपी नेता रजनीश सिंह द्वारा ताजमहल से जुड़े दायर की गई याचिका पर आज हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता रजनीश को जमकर फटकारा है। कोर्ट ने सख्त लहजे में याचिकाकर्ता रजनीश को कहा कि जनहित याचिका का दुरुपयोग ना करें। ताजमहल किसने बनवाया इसके बारे में जानना है तो पहले जाकर यूनिवर्सिटी में पीएचडी करें, पढ़ाई करने के बाद ही कोर्ट आएं।
कोर्ट ने आगे कहा अगर कोई रिसर्च करने से रोकता है तो सब हमारे पास आना। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस डीके उपाध्याय ने कहा कि कल को आप आएंगे कहेंगे कि आपको जज के चैंबर में जाना है। तो क्या कोर्ट आपको चेंबर में जाने देगा? यूनिवर्सिटी जाकर खुद इतिहास की पढ़ाई करें, आपके मुताबिक इतिहास नहीं पढ़ाया जाएगा।