हिंसा की घटनाओं की न्यायिक जांच हो: भाकपा

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर संघ और भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हुये इस पर गहरी चिन्ता जताई है।

Update: 2019-12-28 16:48 GMT

लखनऊ: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर संघ और भाजपा के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हुये इस पर गहरी चिन्ता जताई है।

भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही समूची शासकीय मशीनरी को संघ की वैमनस्यपूर्ण विचारधारा के अनुसार ढाला गया जिसका परिणाम सीएए और एनआरसी विरोधी आंदोलन के दौरान देखने को मिला।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के कार्यालयों और नेताओं के आवासों पर पहुंचने वाली पुलिस आंदोलन को सरकार विरोधी की कार्यवाही बताती रही और संगीन दफाओं में गिरफ्तार करने की धमकियां देती रहीं। जहां कोई हाथ लगा उस पर न केवल संगीन धाराएं लगाईं गईं अपितु उनके साथ मारपीट तक की गयी। इसके अलाबा कई आला अधिकारी सीएए और एनआरसी के पक्ष में जनता को समझाते दिखे।

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भाकपा के राज्य सचिव गिरीश ने कहा कि अल्पसंख्यकों पर दबाव बना कर काले कानून के पक्ष में पर्चे बंटवाये जा रहे हैं। बुलंदशहर में अल्पसंख्यकों द्वारा नुकसान की भरपाई भी दबाव में की गयी मालूम देती है और अब सरकार इसका स्तेमाल अवैध तरीके से नुकसान की भरपाई की वसूली को जायज ठहराने के लिए इस्तेमाल कर रही है।

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उन्होंने कहा कि मेरठ में एसपी सिटी और एडीएम द्वारा अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान चले जाने की धमकी का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस के आला अधिकारी और भाजपा के प्रवक्ता उनके बचाव में जुट गये हैं। पूरी प्रशासनिक मशीनरी और संवैधानिक संस्थाओं को आरएसएस की प्रदूषित और संविधान विरोधी विचारधारा में लपेटा जारहा है।

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