लखनऊ: पीलीभीत कांड में 25 साल पहले तीर्थयात्रा से वापस लौट रहे 11 सिखों को उग्रवादी बताकर फेक एनकाउंटर में मारने के मामले में सीबीआई की लोकल कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। इसमें सभी 47 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
आइए जानते हैं इस पूरे फेक एनकाउंटर कांड की आखिर क्या है पूरी कहानी।
क्या था पूरा मामला
-12 जुलाई, 1991 को नानकमथा, पटना साहिब, हुजूर साहिब व अन्य तीर्थ स्थलों पर सिखों का जत्था गया था।
-यात्रा के बाद 25 सिख तीर्थ यात्रियों का जत्था घर लौट रहा था,
-सुबह करीब 11 बजे पीलीभीत जिले के कछालाघाट पुल के पास पुलिस ने इन यात्रियों की बस यूपी-26, 0245 रोक ली।
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मुठभेड़ बताकर पुलिस ने किया था कत्ल
-इनमें से 11 सिख तीर्थ यात्रियों को बस से उतार लिया गया।
-पुलिस उन्हें नीली बस में बिठाकर अपने साथ ले गई थी।
-इन्हें बाद में मुठभेड़ बताकर बेरहमी से कत्ल कर दिया गया।
-पीलीभीत पुलिस ने सिख तीर्थयात्रियों से भरी बस से 11 युवकों को उतारा था
-लेकिन इनमें से 10 की ही लाश मिली, जबकि शाहजहांपुर के तलविंदर सिंह का आज तक पता नहीं चला।
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पुलिस ने दर्ज किए तीन मुकदमें
-पुलिस ने मामले को लेकर पूरनपुर, न्यूरिया और बिलसंडा थाने में तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए थे।
-विवेचना के बाद पुलिस ने इन मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी।