Yogi Adityanath Birthday: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नहीं 'टॉफी वाले बाबा' कहिए...
वैसे तो योगी का हठयोग, बागी अंदाज, तल्ख तेवर ही सुर्खियों में रहता है, लेकिन बच्चों के बीच वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या गोरक्षपीठाधीश्वर नहीं 'टॉफी वाले बाबा' की पहचान रखते हैं।
गोरखपुर: वैसे तो योगी का हठयोग, बागी अंदाज, तल्ख तेवर ही सुर्खियों में रहता है, लेकिन बच्चों के बीच वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या गोरक्षपीठाधीश्वर नहीं 'टॉफी वाले बाबा' की पहचान रखते हैं। बतौर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी या फिर मुख्यमंत्री रहते हुए उनकी संवेदनशीलता कायम है। मुख्यमंत्री बनने के पहले तो बच्चों से नजदीकियां सुर्खियां नहीं बनती थीं, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद बच्चों से उनका प्रेम अखबार और न्यूज चैनलों में भी स्थान पाने लगा है।
बीते 26 मई को कोरोना की तैयारियों को लेकर कुशीनगर पहुंचे योगी से 8 साल की बच्ची की गुफ्तगू सुर्खियां बनी थीं। बच्ची को देखते ही सीएम योगी खुद को रोक नहीं पाए। इस दौरान एक बार फ़िर बच्चों के लिए सीएम योगी का प्यार दिखाई दिया। 8 साल की बच्ची ने सीएम योगी को गुलाब का फूल देकर कहा कि 'दादा ... ये फूल और मूर्ति मैं आपके लिए लाई हूं।' दो साल पहले गोरखपुर के पिपराइच में चीनी मिल का निरीक्षण करने पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने बच्चों को हेलीकॉप्टर की सैर कराकर बड़ा तोहफा दिया था। चीनी मिल का निरीक्षण करके हेलीपैड लौटते वक्त मुंडेरी गढ़वा गांव के बच्चों की टोली के जयकारों ने सीएम का ध्यान खींचा तो वह उनके पास गए।
प्यार और पुचकार के साथ सीएम जब उन्हें मेहनत से पढ़ाई करने और खेलने के लिए प्रेरित कर रहे थे, तभी एक बच्चे ने हेलीकॉप्टर दिखाने की फरमाइश कर दी। सीएम ने तत्कालीन ग्राम प्रधान पप्पू सिंह से गांव में मौजूद शिक्षा एवं खेल की व्यवस्था की जानकारी ली और फिर बच्चों के साथ हेलीकॉप्टर की ओर बढ़ गए। सीएम ने हेलीकॉप्टर में उनके साथ कुछ वक्त बिताया। इसके बाद बच्चों को खूब पढ़ने की नसीहत देकर रवाना हुए।
चौक से है सीएम योगी का भावुक रिश्ता
महराजगंज के चौक स्थित महाविद्यालय में प्राचार्य रहे डॉ.रजनीश मल्ल योगी संग बच्चों का प्रेम भावुक अंदाज में बयां करते हैं। डॉ.मल्ल बताते हैं कि इलाके में भी परिषद के चार स्कूल और कालेज हैं, इसलिए निरीक्षण के लिए वहां उनके आने-जाने का सिलसिला लगा रहता है। योगी जब भी वहां जाते, बच्चे उनकी गाड़ी के पीछे हो लेते हैं। महराजगंज में एक दैनिक अखबार में वरिष्ठ रिपोर्टर नीरज श्रीवास्तव कहते हैं कि 'बच्चों के चेहरे पर खुशी देखने के लिए वह आसपास की दुकान से टॉफी मंगाते और कतार लगवाकर बच्चों को खुद अपने हाथ से बांटते। जब बच्चों को यह टॉफी योगी की हर चौक यात्रा में मिलने लगी तो वह इसे अपना अधिकार समझने लगे।
हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद बच्चों को मलाल है कि उनके टॉफी वाले बाबा कम आते हैं।' गोरखनाथ मंदिर के मीडिया प्रभारी विनय गौतम बताते हैं कि 'महराजंज के चौक बाजार में पीठ की खेती हैं। जहां पर बहुत सारे कामगार वहां काम करते हैं, खेती होती है। बतौर सांसद अक्सर वह 15 दिन में जाते रहते थे। जैसे ही बाबा की गाड़ी चौक मंदिर के पास पहुंची थी वहां बच्चे लाइन लगा लेते थे। उन्हें योगी जी से लड्डू और टॉफी खाने के लिए मिलता था। चौक जंगल की देवी की सोनाड़ी देवी प्रसिद्ध मंदिर है। वहां का वहां जाने पर पता चला कि वहां भी बच्चे टॉफी के लिए पहले से लाइन से लगे हुए हैं। महाराज जी उन सबको टॉफी बांटने के बाद कुछ बच्चों से बात भी करते थे। बच्चों की भाषा मे पूछते कहां पढ़ते हो रे ? क्या नाम है तेरा ? क्यों स्कूल नहीं जाती है ? इस प्रकार के मधुर वचनों से पूछते थे। बच्चे बहुत खुश हो जाते थे।'
टॉफी वाले बाबा कहकर दौड़ पड़ते हैं वनटांगियां गांव के बच्चे
वनटांगिया गांवों में बच्चों के बीच 'टॉफी वाले बाबा' के नाम से प्रसिद्ध मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बाल प्रेम से सभी परिचित हैं। वे हर साल वनटांगिया गांव में मिठाइयां, पटाखे और किताबें बांटकर बच्चों के साथ दिवाली मनाते हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी ने तिकोनिया जंगल में वनटांगिया गांव में दिवाली मनाई थी। योगी को देखकर वनटांगिया गांव के बच्चे 'टॉफी वाले बाबा' कहकर उनकी तरफ दौड़ पड़ते हैं। योगी भी स्नेह भाव से बच्चों को दुलार करते हैं, फिर वंदना और सांस्कृतिक गीतों के साथ उनका स्वागत किया जाता है। सीएम योगी का वनटांगिया और बच्चों के प्रति स्नेह देखकर हर कोई भाव-विभोर हो जाता है।
गाड़ी में बैठने से पहले पूछते थे, टॉफी है कि नहीं
गोरखनाथ मंदिर के मीडिया सलाहकार और योगी आदित्यनाथ के साथ पिछले डेढ़ दशक से साये की तरह रहने वाले विनय गौतम बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ जी बच्चों के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। गोरखपुर का सांसद रहते हुए क्षेत्र में निकलने से पहले उनकी गाड़ी में 10 से 20 पैकेट तक टॉफी रख लिए जाते थे। और वे स्वयं उस बात का पूछ लिया करते थे कि गाड़ी में टॉफी है कि नहीं। क्षेत्र में निकलने के दौरान वे गांव के रास्ते में खेतों में कहीं दूर काम करते दिखते थे।
इनके बीच वहां कुछ बच्चे दिख जाए तो महाराज जी अपनी गाड़ी रोकवा लेते थे। और वे स्वयं गाड़ी से नीचे उतर कर उन्हें बुला लेते। आओ रे,आओ रे, आओ रे। हालांकि कुछ बच्चे पहले उनको देखकर डर के भागने लगते, लेकिन बाद में फिर उसमें से एक दो बच्चे हिम्मत करके वापस आते थे तो देखते थे कि बाबा टॉफी दे रहे हैं, और फिर बच्चों की लंबी लाइन लग जाती थी। इनमे बच्चे तो बच्चे वहां खेतों में काम कर रहीं महिलाएं और पुरूष भी उस टॉफी को आशीर्वाद स्वरूप लेने के लिए लाइन लगा लेते थे। यहाँ कुल 5 से 10 मिनट तक समय होता था फिर आगे निकल जाते थे। ऐसे राह चलते कम से कम वह 8 से 10 जगह से रुक जाते थे।
सभी फ़ोटो-विनय गौतम