तबादले की चली तलवार, नोएडा प्राधिकरण में मचा हड़कंप

Update:2018-06-29 21:39 IST

नोएडा: तबादला नीति के तहत शासन स्तर पर पहली सूची जारी होते ही प्राधिकरण में शुक्रवार को हड़कंप मच गया। जूनियर इंजीनियर से लेकर मुख्य परियोजना अभियंता तक के कर्मचारियों को तबादले की सूची में डाल दिया गया। इनका तबादला लखनऊ, गोरखपुर, यमुना व ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में किया गया। इसमें कई कर्मचारी ऐसे भी हैं जिनके सेवा निवृत्‍त होने में तीन महीने से कम का समय ही बचा है। खास बात यह है कि ये सूची तब जारी की गई जब नोएडा एम्प्लाईज एसोसिएशन की तरफ से तबादला नीति के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। जिस पर दो जुलाई को सुनवाई होनी है। वहीं, प्रदेश भर के प्राधिकरण इसके विरोध में हल्लाबोल करने की नीति बना रहे थे। ऐसे में यह सूची सभी के लिए चौंकाने वाली साबित हुई है।

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1976 में बना था प्राधिकरण

नोएडा शहर के विकास के लिए 17 अप्रैल 1976 को प्राधिकरण की स्थापना की गई। तब से लेकर अब तक यहां आला कमान के अलावा किसी भी कर्मचारी का तबादला नहीं किया गया था। इसकी एक वजह तबादला नीति का लागू नहीं होना था। सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने भ्रष्ट्राचार की इसे अहम कड़ी बताया गया। इसके साथ ही तबादला नीति की नियमावली बनाई गई। इसी नियमावली को कैबिनेट की बैठक में मंजूर किया गया। तब से लगातर अटकलें लगाई जा रही थीं कि कर्मचारियों के तबादले की सूची कभी भी जारी हो सकती है। इसके लिए कर्मचारियों का पूर्ण ब्यौरा भी मांगा जा रहा था। शुक्रवार को शासन स्तर पर बड़ा फैसला लेते हुए नोएडा प्राधिकरण के आठ कर्मचारियों के तबादले प्रदेश के विभिन्न प्राधिकरण में किए गए। जिसकी सूचना मिलते ही प्राधिकरण में हड़कंप मच गया।

कर्मचारियों ने सिर्फ नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से ही संपंर्क नहीं साधा बल्कि लखनऊ मुख्यालय तक फोन की घंटिया बजनी शुरू हो गईं। देरशाम तक स्पष्ट हो गया कि नोएडा प्राधिकरण ही नहीं बल्कि ग्रेटर नोएडा , यमुना एक्‍सप्रेस , लखनऊ व गोरखपुर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों के भी तबादले कर दिए गए हैं। इन सभी को तत्काल प्रभाव से अपना प्रभार ग्रहण करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

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पदनाम को लेकर असमंजस कायम

शासन स्तर पर तबादले की जो सूची जारी की गई। उसमे पदनाम को लेकर असमंजस कायम है। दरअसल, नोएडा में मुख्य परियोजना अभियंता के पद को महाप्रबंधक के नाम से पदनाम दिया गया है। इसी तरह वरिष्ठ परियोजना अभियंता के स्थान पर वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक पदनाम दिया गया है। बताते चलें कि तबादला नीति लागू होने से पहले ही नोएडा प्राधिकरण ने मुख्य कार्यपालक अधिकारी के जरिए शासन को पदनाम में बदलाव नहीं किए जाने, पेंशन प्रणाली लागू करने व राजपत्रित अधिकारी संबंधित मांग की थी। लेकिन शासन ने इन मांगो को नजरअंदाज करते हुए तबादले किए। ऐसे में विरोधी स्वर उठ सकते है।

यूपीएसआईडीसी को नहीं किया शामिल

नोएडा प्राधिकरण में जो पद हैं। वह यूपीएसआईडीसी में भी हैं। ऐसे में तबादला नीति में यूपीएसआईडीसी को शामिल नहीं किया गया है। इसे बिना शामिल किए ही यह तबादले प्रदेश के नौ प्राधिकरण में किए गए हैं। बताया गया कि भविष्य में यूपीएसआईडीसी को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। पहली सूची जारी होने के साथ अब सप्ताह भर में दूसरी सूची भी तैयार की जा रही है। जिसमें प्राधिकरण के अन्य कर्मचारियों का तबादला किया जा सकता है। नोएडा प्राधिकरण में वर्तमान में 1400 कर्मचारी, ग्रेटर नोएडा में 250 और यमुना में सात पद हैं।

दो जुलाई को होनी थी मामले की सुनवाई

तबादला नीति के विरोध में नोएडा एम्प्लाइज एसोसिएशन की ओर से इलाहाबाहद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर दो जुलाई को सुनवाई की जानी थी। लेकिन इससे पहले ही शासन स्तर से तबादले की सूची जारी कर दी गई। वहीं, विरोध के लिए प्रदेश के सभी प्राधिकरण को एक जुट कर एक नीति तैयार की जा रही थी। शायद इसकी भनक शासन को लग चुकी थी। लिहाजा सुनवाई से पहले ही तबादलों की सूची जारी कर दी गई।

इनका हुआ तबादला

होम सिंह यादव मुख्य महाप्रंधक (नोएडा प्राधिकरण) से लखनऊ विकास प्राधिकरण, संदीप चंद्रा नोएडा से महाप्रबंधक यमुना विकास प्राधिकरण, सिद्धांत गौतम नोएडा से सहायक महाप्रबंधक यमुना विकास प्राधिरकरण, रामपाल वर्मा नोएडा से वरिष्ठ वित्त एवं लेखा अधिकारी यमुना विकास प्राधिकरण, ज्ञान चंद नोएडा से वित्तीय अधिकारी यमुना विकास प्राधिकरण, कालू राम वर्मा नोएडा से वरिष्ठ प्रबंधक गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण, विमलेश सिंह नोएडा से प्रबंधक प्लानिंग एंड आर्किटेक्‍ट गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण और आरएस यादव नोएडा से वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक जनस्वास्थ्य लखनऊ औद्योगिक विकास प्राधिकरण ट्रांसफर किए गए हैं।

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