20 साल बाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, गैंगरेप के दो आरोपियों को किया बरी
हाई कोर्ट ने गैंग रेप के दो दोषियों को 20 साल बाद बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया है। जबकि तीसरे दोषी की पहले ही मौत हो चुकी है। फैसला सुनाते हुए जस्टिस रंजना पांडेय ने कहा कि यह बात मानने योग्य नहीं है कि तीन लोग किसी महिला का तीन घंटे तक बारी बारी से देा दो बार गैंग रेप करते रहें और उसे बाहरी या भीतरी कोई चेाट न पहुंचे और वह भी तब जब आरेापितों के पास कोई असलहा भी न हो और न ही वे धमका रहें हो।;
लखनऊ: हाई कोर्ट ने गैंगरेप के दो दोषियों को 20 साल बाद बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया है। जबकि तीसरे दोषी की पहले ही मौत हो चुकी है। फैसला सुनाते हुए जस्टिस रंजना पांड्या ने कहा कि यह बात मानने योग्य नहीं है कि तीन लोग किसी महिला का तीन घंटे तक बारी बारी से देा दो बार गैंगरेप करते रहें और उसे बाहरी या भीतरी कोई चेाट न पहुंचे और वह भी तब जब आरेापितों के पास कोई असलहा भी न हो और न ही वे धमका रहें हो।
जस्टिस रंजना ने साल 1996 में दायर आपराधिक अपील को दो दशक बाद मंजूर करते हुए कहा कि विचारण कोर्ट ने अपीलार्थियेां को कमजोर और अविश्वसनीय सबूतों के आधार पर दोषी सिद्ध करने में गंभीर गलती की थी। कोर्ट ने कहा कि विक्टिम के बयान और उसके द्वारा बताई गई कहानी विरोधाभासेां और अविश्सनीयता से भरी हुई है जिस पर भरेासा नहीं किया जा सकता है। विरोधाभासी बयानेां और चोटों के न पाए जाने से पूरा अभियेाजन कथानक असम्भाव्य और संदेहात्मक हो जाता है।
क्या है मामला ?
मामला बारांबकी के कोतवाली थाने से जुड़ा है। अभियेाजन कथानक के मुताबिक, 15 सितंबर 1991 को लल्लू अवस्थी ने थाने पर सूचना दी कि शिव करन सिंह चौरसिया के फ्लैट पर ट्रांसपेार्ट कंपनी चलती है। फ्लैट के एक कमरे में चौरसिया के दो नौकर भारत भूषण और विजय शर्मा दरवाजा बंद कर एक लड़की का रेप कर रहे हैं। लड़की कमरे से चिल्ला रही है। लल्लू ने कहा कि वह अपने दोस्त उदय नारायण को फ्लैट के बाहर खड़ा कर पुलिस को सूचना देने आया है।
सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची तो कमरा बंद मिला। आरेापित हरि शंकर चौरसिया मौके पर मिला। उसने चाबियेां से कमरे का दरवाजा खेाला तो भारत और विजय मौके से भाग गए। विक्टिम ने पुलिस को बताया कि तीनेां ने उसके साथ रेप किया। चौरसिया को मौके से ही गिरफतार कर लिया गया। अगले दिन विक्टिम का मेडिकल हुआ जिसमें उसे केाई चोंटे न आना बताया गया। बाद में भारत भूषण और विजय ने भी 30 सितंबर 1991 को कोर्ट मे सरेंडर कर दिया। विक्टिम ने अपने कलम बंद बयान में भी तीनेां आरेापितों पर गैंग रेप का चार्ज लगाया।
क्या था तीनों दोषियों का तर्क ?
विचारण के दौरान तीनों दोषियों ने अलग-अलग कारणों से उन्हें झूठा फंसाने का तर्क दिया और कहा कि उन्हें दुर्भावनावश फंसाया जा रहा है। हरि शंकर ने कहा कि उन्हेाने शिवकरन का फ्लैट किराए पर ले रखा है जिसे खाली करवाने के लिए यह षड्यंत्र रचा गया है। भारत भूषण ने कहा कि विक्टिम उससे एक गैस कनेक्शन और गैस चूल्हा चाहती थी। वहीँ विजय ने कहा कि विक्टिम नारायण गैस सर्विस में नौकरी चाहती थी और उसे लगता था कि उसकी वजह से उसे नौकरी नहीं मिल रही है। कोर्ट ने तीनों को 23 अगस्त 1996 को गैंगरेप के आरोप में पांच-पांच साल की सजा और एक हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी। जिसे तीनेां ने हाई कोर्ट मे अपील कर चुनौती दी थी।
अपील स्वीकार करते हुए जस्टिस रंजना ने साक्ष्येां का विश्लेषण कर पाया कि विक्टिम का बयान मेडिकल और अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्यो में काफी विरोधाभास हैं। कोर्ट ने कहा कि वैसे तो रेप के मामलों में विक्टिम का बयान ही सजा के लिए पर्याप्त होता है, लेकिन यदि कलम बंद बयान और कोर्ट में विचारण के दौरान दिए गए बयान में युक्तयुक्त भिन्नता पाई जाती है तो फिर अपीलेट कोर्ट सारी परिस्थितियेां पर गौर कर निर्णय लेने का स्वतंत्र है। कोर्ट ने कहा कि रेप के झूठे अरेापों के मामले असामान्य नहीं है।
इन आधारों पर जस्टिस किया बरी
विक्टिम ने कोई प्राथमिकी नहीं दी। लल्लू जिसने प्राथमिकी लिखाई थी वह बयान मे मुकर गया। उसने कहा कि उसकी भैंस खो गई थी। जिसकी रिपेार्ट लिखाने वह थाने गया था। जहां उससे सादे कागज पर हस्ताक्षर कराया गया था। विवेचक ने विक्टिम के कपड़े लेकर उसकी जांच नही कराई।
कोर्ट ने कहा कि सूचनाकर्ता लल्लू को यह कैसे मालूम हो सकता था कि बंद कमरे में कौन-कौन रेप कर रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि घटना सुबह 11 बजे से शाम 5 के बीच की बताई जाती है। सूचनाकर्ता का अपने साथी को वहां खड़ा कर वहां से 2 किमी दूर पुलिस को सूचना के लिए जाना और शाम 6 बजे पुलिस का आकर विक्टिम को बचाना अविश्सनीय लगता है। इसके साथ ही जिस गवाह के सामने पुलिस ने विक्टिम की रिकवरी की बात कही वह भी विचारण में मुकर गया।
विचारण कोर्ट के सामने पेश गवाहों और सबूतों के विश्लेषण के बाद कोर्ट ने पाया कि विक्टिम ने तख्त पर रेप की बात कही और कहा कि उसे जांघ और पीठ में चोट आई थी। यह भी कहा कि एक आरेापित ने उसे गाल पर मारा भी था लेकिन मेडिकल में डॉक्टर ने न कोई बाहरी चेाट की बात कही और न आंतरिक चोट की।