नोएडा: बजट पर मिली जुली रही प्रतिक्रिया, कई निराश तो कुछ खुश

मध्ययम वर्ग के लिए कोई खास प्रावधान नहीं किए गए। टेक्स व जीएसटी में छूट नहीं दी गई। हालांकि सरलीकरण की बात की जा रही है। किसानों को भी निराशा ही हाथ लगी। फसल पर मिलने वाले लोन पर कोई बढ़ोतरी नहीं की गई।

Update:2021-02-01 20:23 IST
कहीं आशा तो कहीं निराशा के बीच की कड़ी को जोड़ता दिखा आम बजट

नोएडा आम बजट में सस्ते मकानों की खरीदी के लिए आवास ऋण के ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की अतिरिक्त कर कटौती को एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च, 2०22 तक करने की घोषणा की है। इस कदम से सुस्त पड़े रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग बढ़ाने में मदद मिल सकती है। सरकार ने 2०19 के बजट में दो लाख रुपये से ऊपर डेढ़ लाख रुपये की अतिरिक्त कटौती की घोषणा की थी। पहली बार और 45 लाख रुपये तक का मकान खरीदने वालों के लिए यह लाभ दिया गया। सोमवार को 2०21-22 के बजट भाषण में कहा कि सरकार सभी के लिए आवास और किफायती मकानों को प्राथमिकता के क्षेत्रों में रखती है। वहीं, सिंगल विंडो क्लीयरेंस की मांग को लेकर कुछ नहीं कहा गया। ऐसे में कहीं न कहीं निराशा भी हाथ लगी।

सकारात्मक बजट

कुल मिलाकर यह एक सकारात्मक बजट है। नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर की दिशा में बड़े कदम की सराहना करते हैं। अफोर्डेबल हाउसिग को बढ़ावा देते हुए प्रोजेक्ट्स के लिए एक वर्ष के लिए टैक्स हॉलिडे को बढ़ाकर, एक साल के लिए पहली बार घर खरीदने वालों को होम लोन पर अतिरिक्त 1.5 लाख की ब्याज कटौती, मांग को और बढ़ावा देगी। जो वास्तव में बहुत जरूरी पॉजिटिव पुश लेकर आती।

 

एबीए कॉर्प और प्रेजिडेंट (इलेक्ट), क्रेडाई - वेस्ट्रन यूपी

मार्च 2०22 तक लगभग 8,5०० किलोमीटर के राजमार्ग इन्फ्रा काम देने के वादों के साथ बुनियादी ढांचे को दिया जाने वाला मजबूत बढ़ावा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रियल एस्टेट क्षेत्र को लाभान्वित करेगा। उम्मीद कर रहे थे कि यह बजट सिगल विडो क्लीयरेंस और सेक्टर को उद्योग की स्थिति के मुद्दों को संबोधित करेगा, लेकिन इसे अछूता छोड़ दिया गया है।

 

स्पेक्ट्रम मेट्रो सागर सक्सेना, प्रोजेक्ट हेड,

रियल एस्टेट उद्योग के लिए सरकार का ध्यान और प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। किफायती आवास रियल्टी, उद्योग के महत्वपूर्ण खंड के रूप में उभरा है। किराये के आवास प्रवासी श्रमिकों के लिए निवास की समस्या को काफी हद तक हल करेंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बढ़ावा देने से रियल एस्टेट उद्योग को भी अप्रत्यक्ष रूप से लाभ होगा। यह रियल एस्टेट उद्योग के लिए एक अच्छा बजट रहा।

 

 

धीरज जैन, डायरेक्टर, महागुन ग्रुप

वित्त वर्ष 22 में एमएसएमई के लिए 15,7०० करोड़ रुपये और अगले पांच वर्षों के लिए मनिफैक्चरिंग सेक्टर के लिए 1.97 ट्रिलियन क्षेत्र को से लाभ होगा। एक वर्ष के बाद, रोजगार सृजन के लिए बजट बनाना इन सेक्टर्स को मजबूत करना महत्वपूर्ण था और सरकार ने इसे हासिल करने की कोशिश की है। रियल एस्टेट सेक्टर सबसे बड़ा नियोक्ता है और यह कुछ प्रत्यक्ष उपायों की उम्मीद कर रहा था, लेकिन बजट निराशाजनक निकला।

 

विजय वर्मा, सीईओ, सनवर्ल्ड ग्रुप

इस बजट से रियल एस्टेट क्षेत्र की लंबे समय से लंबित मांग पूरी नहीं हुई है। हम पूरे क्षेत्र के लिए उद्योग की स्थिति और सुचारू कामकाज के लिए सिगल विडो क्लियरेंस की मांग कर रहे हैं, सरकार ने इन आवश्यकताओं पर कोई टिप्पणी नहीं की है। कुल मिलाकर, वित्त मंत्री द्बारा की गई बजट घोषणाएं रियल एस्टेट के नजरिए से इनडायरेक्ट लाभ देगा जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य घोषणाएं सेक्टर को लाभ देंगी।

 

औद्योगिक परिदृश्य में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा, मेक इन इंडिया का बढ़ेगा कद

बजट 2०21-22 बजट में एमएसएमई सेक्टर को राहत दी है। इस सेक्टर के बजट को दोगुना कर दिया गया है। एमएसएमई को विकसित करने के लिए 157०० करोड़ रुपए दिए गए। बीते साल 2०2०-21 के बजट से ये दोगुना है। 2०2०-21 के बजट में एमएसएमई को 7572 करोड़ रुपए दिए गए थे। छोटी कंपनियों के लिए पेडअप कैपिटल सीमा बढ़ाई जाएगी। आत्म निर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल योजना पर जोर देने की बात कही गई है। जाहिर तौर पर इससे एमएसएमई को नई ताकत मिलेगी। कच्चे मॉल पर लगने वाली कस्टम डियूटी को कम किया गया है। इससे एमएसएमई सेक्टर को राहत मिली है।

बैंलेस और सुलझा हुआ बजट है। कोविड-19 महामारी के दौर में अर्थव्यवस्था को उभारने की दिशा में अच्छा कदम है। हालांकि लघु एंव मध्यम उद्योगो के लिए सिर्फ 15 हजार करोड रुपये का प्रावधान किया गया है पर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंको में 22 हजार करोड की प्रत्यक्ष पूंजी निवेश से उद्योगों को काफी राहत मिलेगी। कंपनी अधिनियम व एल.एल.पी. अधिनियम में हुई देरी व त्रुटियों के लिए पूर्व में घोषित आपराधिक प्रावधानों को साधारण प्रावधानों में परिवर्तित करने का हम स्वागत करते हैं। सोलर, मोबाईल पार्ट एंव ऑटो पार्ट पर बढ़ाई गई कस्टम ड्यूटी आत्मनिर्भर भारत एंव मेक इन इंडिया की ओर बढता कदम है। इस्पात एंव तॉबे में ड्यूटी घटाना कच्चे माल की सुचारू एंव उचित दर पर उपलब्धता सुनिचित करेगा ।

 

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नोएडा एन्ट्रेप्रिनियोर्स एसोसिएशन अध्यक्ष

-एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए गए। आर्थिक बोझ नहीं डाला गया यह बेहतर है। कोरोना वैश्विक काल में जहा उद्योग चलाने में परेशानी थी वहां 15 हजार करोड़ रुपए कम है लेकिन विगत वित्तीय वर्ष की तुलना में दोगुना सार्थक कदम है। स्टॉर्टअप को टेक्स में छूट व कच्चे मॉल सस्ता करने की डिमांड की जा रही थी। टेक्स में छूट मिलने से राहत मिली है। हालांकि कपास पर ० से 1० प्रतिशत तक टेक्स बढ़नो का असर बाजार पर दिखेगा। ओवर ऑल बजट उद्यमियों के लिए साकारत्कम है।

 

उम्मीद के विपरीत किसान व व्यापारियों के हाथ आई निराशा

 

बजट से व्यापारियों को निराशा हाथ लगी है। पेट्रोल डीजल पर अतरिक्त सेस लगने से पहले से ही महंगा पेट्रोल डीजल और महंगा हो जाएगा। जिससे महंगाई और बढ़ेगी। मध्ययम वर्ग के लिए कोई खास प्रावधान नहीं किए गए। टेक्स व जीएसटी में छूट नहीं दी गई। हालांकि सरलीकरण की बात की जा रही है। किसानों को भी निराशा ही हाथ लगी। फसल पर मिलने वाले लोन पर कोई बढ़ोतरी नहीं की गई।

व्यापारियों को निराशा ही हाथ लगी है। सेस लगाने से पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ेंगे इसके महंगाई बढ़ेगी। कोविड की मार सबसे ज्यादा व्यापारी वर्ग पर पड़ी है। इनको राहत देने वाली बात बजट में नहीं है। जीएसटी में छूट दी जानी चाहिए थी।

 

उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल अध्यक्ष ने कहा-

-सरकार का ध्यान चुनाव होने वाले राज्यों की ओर ज्यादा है। इसके केरल तमिलनाडु बंगाल आदि शामिल है। वहां कारिडोर स्थापना की बात की जा रही है। कोरोना काल में फ्रंट वारियर की तौर पर रहे व्यापारियों के लिए कुछ भी नहीं है। इस बार हमे निराशा ही हाथ लगी।

उप्र युवा व्यापार मंडल

आम बजट में किसानों को बहुत निराशा हुई। इस बजट में किसानों को मिलने वाले लोन की धनराशि में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। जबकि कृषि लागत लगातार बढ़ती जा रही है। और न ही कृषि यंत्रों व कीटनाशक दवाई खरीदने पर जीएसटी टेक्स छूट दी गई है। इसलिए बजट किसान हितैषी नहीं है।

 

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संयोजक नोएडा युवा मोर्चा भाकियू (भानू)

हर बार की तरह निराशा ही हाथ लगी। उम्मीद बहुत रहती थी लेकिन मिला नहीं। एमएसएमई पर गारंटी को लेकर कोई भी सार्थक बात नहीं की गई। कृषि यंत्रों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहिए।

रिपोर्टर दीपांकर जैन

 

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