UP Politics: यूपी विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित,सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर चले तीर
UP Politics: विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही 20 फरवरी को शुरू हुई थी। 22 फरवरी को प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की ओर से सदन में 6 लाख 90 हजार 243 करोड़ 60 लाख रुपए का बजट पेश किया गया था।
UP Politics: उत्तर प्रदेश विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने सभी सदस्यों को होली की शुभकामनाएं देने के साथ सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने की घोषणा की। बजट सत्र में 11 दिन की कार्यवाही के दौरान सदन सिर्फ 36 मिनट के लिए स्थगित हुआ और कुल मिलाकर 83 घंटे 15 मिनट तक सदन की कार्यवाही चली। विधानसभा के अंतिम दिन फोटो सेशन भी हुआ जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव भी मौजूद थे।
बजट सत्र के 11 दिनों की कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर तीर चले। इस दौरान प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की हत्या का मामला भी गूंजा। इस प्रकरण पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'मिट्टी में मिला दूंगा' वाला बयान काफी चर्चा में रहा। विपक्ष के नेता और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी सरकार पर तीखे हमले करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। इस दौरान प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा बजट भी पेश किया गया।
योगी सरकार ने पेश किया सबसे बड़ा बजट
विधानसभा के बजट सत्र की कार्यवाही 20 फरवरी को शुरू हुई थी। 22 फरवरी को प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना की ओर से सदन में 6 लाख 90 हजार 243 करोड़ 60 लाख रुपए का बजट पेश किया गया था। यह प्रदेश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा बजट है। इस बार के बजट में योगी सरकार की ओर से हर वर्ग के लिए बड़े ऐलान किए गए हैं। इसके साथ ही भाजपा के सियासी एजेंडे को भी धार देने की कोशिश की गई। योगी सरकार की ओर से पेश किए गए बजट को मिशन 2024 की तैयारियों के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
हालांकि विपक्ष की ओर से आरोप लगाया गया कि सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में प्रदेश के सर्वांगीण विकास पर फोकस नहीं किया गया है। विपक्ष ने कई वर्गों की अनदेखी किए जाने का आरोप भी लगाया।
योगी और अखिलेश के बीच जमकर चले तीर
बजट सत्र के दौरान 11 दिनों तक चली सदन की कार्यवाही में सबसे अच्छी बात यह रही कि ज्यादा समय तक सदन को स्थगित नहीं करना पड़ा। 11 दिनों के दौरान सिर्फ 36 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित हुई। इस दौरान प्रदेश के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सदन में विधायकों ने अपनी राय रखी। हालांकि इस दौरान इलाहाबाद शूटआउट का मामला भी गरमाया रहा। इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी पर अतीक अहमद को संरक्षण देने का आरोप लगाया। उन्होंने प्रदेश में माफिया संस्कृति का अंत करने और माफिया राज को मिट्टी में मिला देने की बड़ी घोषणा भी कर डाली। हालांकि उनके इस बयान को लेकर विवाद भी पैदा हुआ और अखिलेश यादव समेत विपक्ष की ओर से मुख्यमंत्री के इस बयान पर आपत्ति जताई गई। बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान कई मौकों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव के बीच गरमागरम बहस भी देखने को मिली।
अंतिम दिन 58 साल बाद लगी अदालत
यूपी विधानसभा के बजट सत्र का 11वां दिन ऐतिहासिक रहा। 58 साल बाद शुक्रवार को सदन में अदालत लगी और छह पुलिसकर्मी कटघरे में पेश हुए। विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के दोषी इन पुलिसकर्मियों को स्पीकर सतीश महाना ने एक दिन की सजा सुनाई। विशेषाधिकार हनन का यह मामला 2004 का है।सजा के ऐलान के बाद मार्शल इन सभी पुलिसकर्मियों को सदन से लॉकअप में ले गए।
शुक्रवार को सदन में लगी अदालत के दौरान स्पीकर सतीश महाना ने सभी दलों के नेताओं से उनका पक्ष पूछा। इस पर अधिकांश विधायकों ने स्पीकर को सजा पर फैसला लेने के लिए अधिकृत करने की बात कही। दोषी पुलिसकर्मियों को भी सदन में अपनी सफाई पेश करने का मौका दिया गया।
दोषी पुलिसकर्मियों की ओर से तत्कालीन सीओ अब्दुल समद ने सदन से माफी मांगी। बाद में स्पीकर सतीश महाना ने दोषी पुलिसकर्मियों को एक दिन की सजा देने का ऐलान किया। इससे पहले विधानसभा में 1964 में अदालत लगी थी।
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