UP Assembly Election: क्या गोरखपुर में समाजवादी पार्टी के पतन का कारण बनेंगे चंद्रशेखर आजाद रावण
UP Assembly Election: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चंद्रशेखर आजाद रावण गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। लेकिन उनके यहां से चुनाव लड़ने से भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा समाजवादी पार्टी को नुकसान होने की आशंका लगाई जा रही है।
UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, प्रदेश में सियासी पारा वैसे ही और ऊपर चढ़ता जा रहा है। राजनीतिक पार्टियों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। वहीं अपने सियासी समीकरण को साधने के लिए सभी राजनीतिक दल पूरा जोर लगा रहे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को इस चुनाव में घेरने के लिए विपक्षी दल पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं।
गोरखपुर विधानसभा सीट (Chandrashekhar Azad Gorakhpur assembly seat) इन दिनों उत्तर प्रदेश की सियासत का एक बहुत बड़ा केंद्र बना हुआ है। जिसका सबसे बड़ा कारण है यह सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद है तो वहीं दूसरा कारण है कि योगी आदित्यनाथ 2022 विधानसभा चुनाव में इसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जिसके बाद से इस सीट को लेकर विपक्षी दलों में मंथन चालू हो गया है कि कौन से उम्मीदवार को योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोरखपुर से खड़ा किया जाए। इसी सिलसिले में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण ने गोरखपुर शहर विधानसभा (Gorakhpur Assembly Seat) सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के खिलाफ चुनावी रण में उतारने का फैसला किया है। लेकिन देखना यह होगा कि चंद्रशेखर का यह दाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को नुकसान पहुंचाएगा या समाजवादी पार्टी को क्योंकि, गोरखपुर की सियासत में हमेशा से गोरखनाथ मठ बहुत बड़ा फैक्टर रहा है।
इस बार के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी गोरखपुर विधानसभा सीट से बहुत बड़ा दांव खेलना चाहती है क्योंकि उसके सामने प्रतिद्वंदी के रूप में योगी आदित्यनाथ रहने वाले हैं समाजवादी पार्टी इस बार गोरखपुर विधानसभा सीट से अपने उम्मीदवार के रूप में गोरखपुर के मौजूदा विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल (Radha Mohandas Agrawal) को रख रही है लेकिन फिलहाल राधा मोहन दास अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं अगर टिकट ना मिलने से मनमुटाव होने के संभावना में राधा मोहन दास अग्रवाल समाजवादी पार्टी में शामिल होते हैं तो समाजवादी पार्टी उन्हें गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ाएगी।
इसके साथ ही समाजवादी पार्टी गोरखपुर से किसी बड़े ब्राम्हण चेहरे को भी चुनाव लड़वाने के दूसरे विकल्प के रूप में सोच रही है। हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर से बड़े नेता रहे स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी ने अपने परिवार सहित समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। अगर राधा मोहन दास अग्रवाल सपा की ओर से गोरखपुर शहर से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो ऐसी स्थिति में पूरी उम्मीद है कि समाजवादी पार्टी उपेंद्र शुक्ला (Upendra Shukla) की पत्नी को ही मैदान में उतारेगी। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि समाजवादी पार्टी को एक ब्राह्मण चेहरा मिल जाएगा साथ ही उस परिवार का इतिहास भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहने के कारण जनता के बीच एक अलग संदेश जाएगा। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के नेता विनय शंकर तिवारी (Vinay Shankar Tiwari) ने उपेंद्र शुक्ला की पत्नी को अखिलेश यादव से मिलवाया था जिसके बाद उन्होंने पूरे परिवार सहित समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया।
चंद्रशेखर के चुनाव लड़ने से सपा को होगा नुकसान
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad Gorakhpur assembly seat) रावण का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोरखपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना भारतीय जनता पार्टी के लिए उतना नुकसानदायक नहीं होगा जितना कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के लिए। क्योंकि जो दलित वोट समाजवादी पार्टी या कांग्रेस पार्टी को जाने वाला रहेगा उन वोटों का बंटवारा चंद्रशेखर आजाद के पक्ष में हो जाएगा। जिसका सबसे बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी को होने की पूरी संभावना है। इस बात को समझने के लिए हमें गोरखपुर शहर विधानसभा सीट के मतदाताओं का जातिगत समीकरण देखना होगा।
गोरखपुर शहर विधानसभा का जातीय समीकरण
अगर गोरखपुर शहर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो गोरखपुर शहर विधानसभा सीट पर कुल साढ़े चार लाख के करीब मतदाता हैं। जिसमें इस क्षेत्र में 45000 मुस्लिम मतदाता तो 48000 दलित मतदाता हैं। वहीं 50000 से अधिक ब्राह्मण मतदाता भी हैं। लेकिन गोरखपुर शहर विधानसभा सीट पर ब्राम्हण वोट बैंक के अलावा निषाद वोट बैंक और वैश्य वोटरों की संख्या बहुत ज्यादा निर्णायक होता है। अगर वैश्य वोटरों की संख्या भी 30,000 से अधिक है। वहीं गोरखपुर विधानसभा सीट के निषाद वोटरों की संख्या देखें तो यहां करीब 40,000 से अधिक निषाद वोटर्स हैं। गोरखपुर विधानसभा सीट पर दलित मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है ऐसे में चंद्रशेखर आजाद का यहां से चुनाव लड़ने से दलित वोटों के बीच बंटवारा होने की पूरी संभावना है। वोटों के इस बंटवारे से भारतीय जनता पार्टी को उतना नुकसान नहीं होगा जितना समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी को होगा। क्योंकि निषाद पार्टी का भारतीय जनता पार्टी के साथ इस चुनाव में गठबंधन है जिससे निषाद वोटर्स भारतीय जनता पार्टी के लिए इस सीट पर लगभग-लगभग फिक्स वोट माने जाते हैं। इसके अलावा गोरखपुर विधानसभा सीट से ब्राह्मण और वैश्य वोटर्स भी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में ज्यादा नजर आते हैं।
अखिलेश और चंद्रशेखर के बीच गठबंधन की चर्चा
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए समाजवादी पार्टी से चंद्रशेखर आजाद के पार्टी की गठबंधन को लेकर काफी सुगबुगाहट हो रही थी। गठबंधन के लिए समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) और चंद्रशेखर आजाद रावण के बीच में एक मुलाकात भी हुई थी। लेकिन इस मुलाकात में सीटों के बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच बात नहीं बन पाई और यह गठबंधन होते-होते रह गया उसी के बाद चंद्रशेखर आजाद ने गोरखपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया।
क्या बीजेपी को टक्कर दे पाएंगे चंद्रशेखर
भीम आर्मी (Bhim Army) के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद रावण (Chandra Shekhar Azad Ravan) का सबसे ज्यादा प्रभाव सहारनपुर के आसपास के विधानसभा सीटों पर माना जाता है। चंद्रशेखर आजाद रावण को दलितों का एक बड़ा नेता माना जाता है। मगर ऐसे में उनका गोरखपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना, वह भी तब जब शहर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ को चुना है तो चंद्रशेखर आजाद के लिए भारतीय जनता पार्टी को टक्कर दे पाना बहुत मुश्किल नजर आता है। क्योंकि, गोरखपुर विधानसभा सीट पर लगभग चार दशक से गोरखनाथ मठ (Gorakhnath Mandir) का यहां के चुनाव पर प्रभाव पड़ता रहा है और योगी आदित्यनाथ इसी गोरखनाथ मठ के मठाधीश भी हैं।
गोरखपुर सीट पर विपक्ष कमजोर
गोरखपुर शहर विधानसभा सीट से अगर विपक्ष के उम्मीदवार की बात करें तो अभी तक कांग्रेस पार्टी और समाजवादी पार्टी में से किसी ने भी प्रत्याशियों का घोषणा नहीं किया है। समाजवादी पार्टी अभी भी इस सीट से उम्मीदवार को लेकर कन्फ्यूजन में है। जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी लगातार विपक्ष पर हमलावर भी है भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि विपक्ष के पास बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए कोई नेता ही नहीं बचा है।
चुनाव शेड्यूल
इस बार का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव कुल 7 चरणों में संपन्न होगा। पहले चरण के लिए मतदान 10 फरवरी को होंगे, जबकि आखिरी चरण के लिए मतदाता अपने मतों का प्रयोग 7 मार्च को करेंगे चुनाव परिणाम बाकी के 4 राज्यों के चुनाव परिणाम के साथ 10 मार्च को घोषित होंगे। वहीं बात अगर गोरखपुर विधानसभा सीट की करें तो यहां पर चुनाव छठे चरण में 3 मार्च को होगा और चुनाव परिणाम 10 मार्च को घोषित होगा।