गरीबों के हमदर्द सभी दल, वोट भी लेंगे लेकिन MP-MLA बनाएंगे करोड़पति

राजनीतिक दल अपने भाषणों और नीति सिद्धांतों में बार–बार गरीबों-कमजोर वर्ग के लोगों के उत्‍थान का दावा करते दिखाई देते हैं, लेकिन जब प्रदेश की सबसे बडी पंचायत में प्रतिनिधि चुनने का मौका आता है तो उन्‍हें केवल करोड़पति ही दिखाई देते हैं।

Update:2020-10-30 09:07 IST
उत्तर प्रदेश प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर सभी राजनीतिक दलों ने आश्‍चर्यजनक तरीके से करोड़पतियों को ही बढ़चढ़कर मौका दिया है।

अखिलेश तिवारी

लखनऊ: गरीबों के हमदर्द होने का दावा सभी राजनीतिक दल करते हैं। अन्‍त्‍योदय का नारा, ईडब्‍लयूएस का आरक्षण भी देंगे, लेकिन जब सत्‍ता की कुर्सी पर बैठने के लिए प्रतिनिधि चुनने का मौका आएगा तो केवल करोड़पति ही नजर आएंगे। प्रदेश की सात विधानसभा सीटों पर सभी राजनीतिक दलों ने आश्‍चर्यजनक तरीके से करोड़पतियों को ही बढ़चढ़कर मौका दिया है। बहुजन समाज पार्टी ने तो सभी सातों प्रत्‍याशी करोड़पति ही मैदान में उतारे हैं। राजनीतिक दलों में राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी और परिवर्तन समाज पार्टी ही हैं जिन्‍होंने गरीबों पर दांव लगाया है।

राजनीतिक दल अपने भाषणों और नीति सिद्धांतों में बार–बार गरीबों-कमजोर वर्ग के लोगों के उत्‍थान का दावा करते दिखाई देते हैं, लेकिन जब प्रदेश की सबसे बडी पंचायत में प्रतिनिधि चुनने का मौका आता है तो उन्‍हें केवल करोड़पति ही दिखाई देते हैं। सत्‍ता की दौड में करोड़पतियों को मौका देने का आलम यह है कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घाटमपुर व टूंडला सीट पर भी राजनीतिक दलों को ऐसा कार्यकर्ता नहीं मिल पाया जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर हो। दलितों को देश की मुख्‍यधारा में लाने की जोर-शोर से वकालत करने वाली बहुजन समाज पार्टी ने तो सबसे ज्‍यादा चौंकाते हुए अपने सभी प्रत्‍याशी करोड़पति क्‍लब से ही चुने हैं। उसे भी अपनी पार्टी में कोई ऐसा कार्यकर्ता चुनाव लड़ाने योग्‍य नहीं मिला जो करोड़पति न हो।

चुनाव सुधार के लिए कार्य करने वाली संस्‍था एडीआर ने चुनाव आयोग में दर्ज सूचनाओं के आधार पर जो ब्‍यौरा जारी किया है उसके अनुसार सात सीटों पर हो रहे विधानसभा के उपचुनाव में 39% यानी 34 प्रत्याशी करोड़पति हैं। चुनाव मैदान में डटे सभी प्रत्याशियों की अमीरी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सभी की औसत संपत्ति 2.91 करोड़ है।

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पांच करोड़ से अधिक संपत्ति वाले 17% प्रत्याशी हैं जबकि 2 करोड़ से अधिक संपत्ति वाले 12 प्रत्याशी हैं। 50 लाख से लेकर दो करोड़ की संपत्ति वाले प्रत्‍याशी भी 24% लोग हैं जबकि 10 लाख से 50 लाख की संपत्ति वाले भी 24 प्रतिशत हैं। दस लाख से कम संपत्ति वालों में केवल 23% प्रत्याशी मैदान में हैं। इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि 5 करोड़ से अधिक संपत्ति वाले 15 प्रत्याशी,दो करोड़ से 5 करोड़ के बीच में 10 प्रत्याशी, 50 लाख से दो करोड़ के बीच में 21 और 10लाख से 50 लाख की संपत्ति वाले प्रत्‍याशियों की तादाद भी 21 ही है। 10 लाख से कम संपत्ति में 20 प्रत्याशी हैं।

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राजनीतिक दलों के किनारा करने के बावजूद गरीबों ने ठोंका दावा

प्रदेश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने भले ही उपचुनाव में करोड़पतियों को ही अपनी पहली पसंद मानते हुए बढ़चढ़कर उन्‍हें चुनाव मैदान में उतारा है, लेकिन लोकतंत्र की असीम शक्ति के दम पर कमजोर वर्ग के लोगों ने हिम्‍मत नहीं हारी है। बड़े हौसले के साथ वह भी चुनाव मैदान में राजनीतिक दलों के करोड़पतियों के मुकाबले कूद पडे हैं। सबसे कम संपत्ति वाले प्रत्‍याशियों में राहुल भाटी बुलंदशहर सीट पर राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं और उनके पास कोई संपत्ति नहीं है। फिरोजाबाद की टूंडला सीट से चुनाव लड़ रहे सतीश कुमार को परिवर्तन समाज पार्टी ने मौका दिया और उनकी कुल संपत्ति 22811 है जबकि देवरिया सीट पर निर्दलीय राजन यादव उर्फ आरती बाबा ने भी ताल ठोंक रखी है और उनकी कुल संपत्ति दस हजार चार सौ रुपया ही है।

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बसपा के सातों प्रत्‍याशी करोड़पति

विधानसभा उपचुनाव की सात सीटों पर कुल 87 प्रत्‍याशी मैदान में हैं जिसमें 34 प्रत्याशी करोड़पति हैं। बहुजन समाज पार्टी के सभी सातों प्रत्याशी करोड़पति हैं, समाजवादी पार्टी के छह प्रत्याशी में पांच प्रत्याशी करोड़पति हैं और कांग्रेस के छह प्रत्‍याशी में चार प्रत्याशी करोड़पति हैं। इसी तरह बीजेपी के छह में से 4 प्रत्याशी करोड़पति हैं। 22 निर्दलीय प्रत्‍याशियों में भी आधा दर्जन यानी छह करोड़पति हैं।

समाजवादी पार्टी के देवरिया सीट पर प्रत्‍याशी ब्रह़माशंकर त्रिपाठी सबसे अमीर हैं तो दूसरे नंबर पर मल्‍हनी जौनपुर से चुनाव लड़ रहे बाहुबली नेता धनंजय सिंह हैं। तीसरे नंबर पर सबसे अमीर प्रत्‍याशी राष्‍ट्रीय लोकदल ने बुलंदशहर सीट पर प्रवीण कुमार सिंह को उतारा है। सबसे कम संपत्ति वालों में राहुल भाटी बुलंदशहर सीट पर राष्ट्रीय जनक्रांति पार्टी से चुनाव मैदान में हैं। उनकी कोई संपत्ति नहीं है जबकि देवरिया सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे राजन यादव उर्फ आरती बाबा की संपत 10400 और फिरोजाबाद की टूंडला सीट से परिवर्तन समाज पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ रहे सतीश कुमार की कुल संपत्ति 22811 है।

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करोड़ों के मालिक लेकिन कहां से कमाया, कुछ पता नहीं

उपचुनाव में दो प्रत्याशी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी आयकर विवरणी शामिल ही नहीं की है। यानी चुनाव आयोग को भी नहीं पता चल सका है कि उनके पास इतनी संपत्ति कहां से आई। जाहिर है कि वह लोगों के प्रतिनिधि बनकर विधानसभा में जाने को तैयार हैं लेकिन मतदाताओं को यह बताने को तैयार नहीं हैं कि उन्‍होंने इतना पैसा कमाया कहां से है जबकि उनके पास करोड़ों की प्रॉपर्टी है।

इसमें जौनपुर की मल्‍हनी सीट से राष्ट्रीय अपना दल प्रत्याशी जय सिंह यादव हैं जिन्‍होंने अपनी 7 करोड़ अट्ठासी लाख 60 हजार की संपत्ति का ऐलान किया है लेकिन आयकर की विवरणी दाखिल नहीं की है। इसी तरह कानपुर नगर की घाटमपुर सीट पर बीएसपी प्रत्याशी कुलदीप संखवार हैं जिन्होंने एक करोड़ 78 लाख 35 हजार के प्रॉपर्टी की घोषणा की है लेकिन आय के स्रोत की जानकारी छुपा ली है।

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