UP कैबिनेट: CM सुपोषण घर के निर्माण का फैसला, 10 जिलों में शुरू होगी योजना
यूपी की स्थिति कुपोषण के मामले में बदतर है। नेशनल हेल्थ सर्वे में पाया गया कि 0 से 5 वर्ष तक के 6 प्रतिशत बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं।
लखनऊ: यूपी की स्थिति कुपोषण के मामले में बदतर है। नेशनल हेल्थ सर्वे में पाया गया कि 0 से 5 वर्ष तक के 6 प्रतिशत बच्चे गंभीर कुपोषण के शिकार हैं।
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नीति आयोग की बैठक में भी इसका उल्लेख हुआ था कि हम लोगों को जल्द से जल्द कुछ करना चाहिए। इसको गति देने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री सुपोषण घर के निर्माण का फैसला किया गया है।
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राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि प्रदेश के आठ पिछड़े जिले और सीतापुर व गोंडा को मिलाकर दस जिलों में सीएचसी, पीएचसी और ब्लाक स्तर पर स्वास्थ्य विभाग जगह देगा। बाल विकास मंत्रालय की तरफ से बेड लगाया जाएगा। उनके कंसलटेंट नियुक्त होंगे।
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स्टाफ नर्स और दो कुक कम केयर टेकर और क्लीनर देंगे। यह नियुक्तियां आउटसोर्सिंग के माध्यम से की जाएगी। इससे स्तनपान प्रबंधन, जन्म के समय अल्प वजन वाले बच्चों को पोषण संबंधी देखभाल, महिला को डिस्चार्ज के बाद स्वास्थ्य और पोषण संबंधी जानकारी दी जाएगी।
कुपोषण दूर करने को प्रोत्साहन, हर बच्चे के रिफर पर 200 रूपये
सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि इस योजना को प्रोत्साहन के माध्यम से प्रमोट किया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 50 रूपये प्रति लाभार्थी दिया जाएगा, जो वह रेफर करेंगे। साथ ही साथ डिस्चार्ज के बाद 15 दिन पर चार फालोअप होगा। मुख्य सेविका को 200 रूपये प्रति बच्चा भी दिया जाएगा।
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प्रोत्साहन के माध्यम से प्रमोट कर रहे हैं। डीएम रिपोर्ट लेंगे। इसमें देखा जाएगा कि बाल विकास परियोजना अधिकारी हर मंगलवार मुख्यमंत्री सुपोषण घर का भ्रमण कर अपनी रिपोर्ट लगाएं। जिला कार्यक्रम अधिकारी इसकी रिपोर्ट लगाएंगे। डीएम इसकी मानीटरिंग करेंगे। इस पर पूरा 5.33 करोड़ खर्च आएगा।