UP DGP: कौन होगा देश के सबसे बड़े सूबे का अगला पुलिस प्रमुख, रेस में ये नाम सबसे आगे
UP DGP: बेहतर लॉ एंड ऑर्डर के लिए जरूरी है काबिल पुलिस अधिकारी के हाथों में प्रदेश के पुलिस की कमान। लगभग 10 महीनों से उत्तर प्रदेश की पुलिस कार्यवाहक डीजीपी के मातहत काम कर रही है।
UP DGP: 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को बनाए रखना किसी भी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। चुनावों में लॉ एंड ऑर्डर हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। खासकर मौजूदा योगी सरकार के लिए तो ये एक यूएसपी की तरह है। बेहतर लॉ एंड ऑर्डर के लिए जरूरी है काबिल पुलिस अधिकारी के हाथों में प्रदेश के पुलिस की कमान। लगभग 10 महीनों से उत्तर प्रदेश की पुलिस कार्यवाहक डीजीपी के मातहत काम कर रही है।
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ऐसे में प्रदेश में स्थायी पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति को लेकर कवायद तेज हो गई है। इस पद के लिए प्रदेश के कई वरीष्ठ आईपीएस अधिकारी रेस में हैं, जिनमें से अधिकांश 1988 बैच के अधिकारी हैं। मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी जिनके पास इंटेलिजेंस के साथ-साथ विजिलेंस का भी अतिरिक्त प्रभार है। वो भी इस रेस में हैं। कार्यवाहक डीजीपी डॉ डीएस चौहान इस माह की 31 तारीख को रिटायर होने वाले हैं।
ऐसी चर्चा है कि अगर सीएम योगी आदित्यनाथ उन्हें स्थायी डीजीपी नियुक्त करते हैं तो उनका कार्यकाल आगे बढ़ाया जा सकता है। अगर ऐसा नहीं होता है तो वे 31 मार्च को सेवानिवृत हो जाएंगे। देवेंद्र सिंह चौहान को पिछले साल मई में प्रदेश का कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक बनाया गया था। तत्कालीन डीजीपी मुकुल गोयल को पद से हटाने के बाद उनकी नियुक्ति हुई थी।
कौन हैं आईपीएस डीएस चौहान ?
आईपीएस डॉक्टर डीएस चौहान की छवि एक साफ-सुथरी छवि वाली आईपीएस अधिकारी की रही है। 1988 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी चौहान साल 2020 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे थे। वे उस दौरान सीआरपीएफ में आईजी के पद पर तैनात थे। वे मूलरूप से मैनपुरी जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बतौर एसपी नोएडा और बुलंदशहर जैसे जिलों में काम किया है। तेज तर्रार और मेहनती अधिकारी माने जाने वाले डीएस चौहान को योगी सरकार स्थायी डीजीपी नियुक्ति करती है या नहीं आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जाएगा।
ये नाम भी हैं डीजीपी के रेस में शामिल
यूपी के नए पुलिस महानिदेशक की रेस में 1988 बैच के पांच आईपीएस अधिकारियों का नाम आगे चल रहा है। इनमें हैं डीजी जेल आनंद कुमार, सीबीसीआईडी विजय कुमार, अनिल कुमार अग्रवाल और डॉ राजकुमार विश्वकर्मा शामिल हैं। इसके अलावा मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान तो हैं ही। इसके अलावा रेस में 1989 में एक आईपीएस अधिकारी भी शामिल है। आईबी में तैनात शफी एहसान रिजवी को भी दावेदार के रूप में देखा जाता है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो 1988 बैच के आईपीएस अधिकारियों में से ही किसी एक के नाम की लॉटरी लग सकती है।
इन दो नामों की सबसे अधिक चर्चा
नए डीजीपी की रेस में शामिल मौजूदा कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान इस माह 31 मार्च को, अनिल कुमार अग्रवाल अप्रैल में और डॉ राजकुमार विश्वकर्मा मई माह में रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में इन तीन सीनियर अधिकारियों की दावेदारी थोड़ी हल्की पड़ रही है। इनके मुकाबले आईपीएस अधिकारी आनंद कुमार और विजय कुमार की दावेदारी मजबूत है।
मूल रूप से बिहार के रहने वाले आईपीएस अधिकारी आनंद कुमार का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। यूपी कैडर के अधिकारी कुमार ने विभिन्न जिलों के एसपी रहते हुए कई अपराधियों का खात्मा किया है। मुजफ्फरनगर जैसे चुनौतीपूर्ण जिले में उन्होंने कई अपराधियों को एनकाउंटर में ढ़ेर किया था। कहा जाता है कि जब से उन्हें डीजी जेल बनाया गया तब से प्रदेश की जेलों में सुधार की दिशा में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। यही वजह है कि उनकी दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है।