UP Election 2022 7th Phase: पीएम मोदी और अखिलेश की पकड़ पर सबकी निगाहें, काशी व आजमगढ़ से निकलेगा बड़ा संदेश
UP Election 2022 7th Phase: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में पार्टी को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत लगाई है।
UP Election 2022 7th Phase: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Vidhan Sabha Chunav) के सातवें चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और पूर्व मुख्यमंत्री व सपा मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के संसदीय क्षेत्र में भी मतदान होना है। अपने गढ़ में ताकत दिखाने के लिए दोनों सियासी दिग्गजों ने चुनाव प्रचार (Election Campaign) के आखिरी दिनों में अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में मतदाताओं का समर्थन हासिल करने की कोशिश की। दोनों नेताओं पर दूसरे चुनाव क्षेत्रों में अपने दलों के प्रत्याशियों को जीत दिलाने की भी बड़ी जिम्मेदारी थी और इसी कारण से अभी तक दूसरे चुनाव क्षेत्रों में ही सभाएं कर रहे थे।
चुनावी शोर थमने से पहले दोनों नेताओं ने अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों में पार्टी को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत लगाई। 2017 के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2017) में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) में भाजपा गठबंधन का प्रदर्शन शानदार रहा था जबकि आजमगढ़ (Azamgarh) में सपा ने ताकत दिखाई थी। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि इस बार के चुनाव में दोनों नेताओं के गढ़ में उनकी पार्टियों का प्रदर्शन कैसा रहता है।
वाराणसी में भाजपा का शानदार प्रदर्शन
2017 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्रों वाराणसी में भाजपा और सहयोगी दलों ने शानदार प्रदर्शन किया था। वाराणसी जिले की सभी आठ विधानसभा सीटों पर भाजपा गठबंधन को जीत हासिल हुई थी। भाजपा ने 6 सीटों पर कब्जा कर लिया था जबकि सुभासपा और अपना दल ने एक-एक सीट पर जीत हासिल की थी। मौजूदा चुनाव में सियासी हालात बदले हुए हैं और अब सुभासपा ने समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिला लिया है जबकि अपना दल (एस) अभी भी भाजपा के साथ ही बना हुआ है।
पीएम मोदी ने इसलिए लगाई ताकत
पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण वाराणसी में भाजपा ने पूरी ताकत लगा रखी है। सियासी पंडितों का मानना है कि वाराणसी के चुनावी नतीजों से बड़ा सियासी संदेश निकलेगा और इसे पीएम मोदी से जोड़कर देखा जाएगा। यही कारण है कि वाराणसी के चुनावी नतीजों के साथ पीएम मोदी की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है। इसी कारण पीएम मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी में भव्य रोड शो निकाला था ताकि इसके जरिए वाराणसी और पूर्वांचल की अन्य सीटों पर समीकरण साधा जा सके।
शनिवार को उन्होंने वाराणसी के खजुरी इलाके में एक बड़ी चुनावी सभा को भी संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विपक्षी दलों को परिवारवादी बताते हुए भाजपा को समर्थन देने की अपील की। उनका कहना था कि डबल इंजन की सरकार ही प्रदेश का सही मायने में विकास कर सकती है। चुनावी सभा को संबोधित करने से पूर्व उन्होंने महमूरगंज स्थित रमन निवास में काशी के प्रबुद्धजनों के साथ संवाद भी किया।
आजमगढ़ में अखिलेश की प्रतिष्ठा दांव पर
आजमगढ़ संसदीय सीट से 2014 में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) सांसद चुने गए थे जबकि 2019 के संसदीय चुनाव में सपा मुखिया अखिलेश यादव आजमगढ़ से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचे थे। आजमगढ़ के चुनावी नतीजों के साथ अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है। इसी कारण सपा ने इस जिले में पूरी ताकत झोंक रखी है। चुनावी शोर थमने से पहले अखिलेश यादव ने अपने संसदीय क्षेत्र की चुनावी सभाओं के जरिए सपा प्रत्याशियों की चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश की।
सपा के साथ बसपा की भी मजबूत पकड़
आजमगढ़ पर समाजवादी पार्टी के साथ बसपा की भी मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। यदि 2017 के विधानसभा चुनावों को देखा जाए तो आजमगढ़ जिले की 10 सीटों में से 5 सीटों पर सपा को जीत हासिल हुई थी। बसपा ने भी ताकत दिखाते हुए 4 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब हो सकी थी। भाजपा को सिर्फ फूलपुर पवई सीट पर जीत मिली थी और वहां पर पूर्व सांसद रमाकांत यादव के बेटे अरुण कांत ने जीत हासिल की थी। इस बार रमाकांत सपा के टिकट पर इसी सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं जबकि पिता के चुनाव मैदान में उतरने के कारण अरुण कांत ने किनारा कर लिया है।
दोनों दिग्गजों की पकड़ पर सबकी निगाहें
प्रदेश विधानसभा के आखिरी चरण में सोमवार को वाराणसी और आजमगढ़ समेत पूर्वांचल के 9 जिलों की 54 सीटों पर मतदान होना है। पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के कारण वाराणसी और अखिलेश यादव का संसदीय क्षेत्र होने के कारण आजमगढ़ पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। भाजपा और सपा दोनों दलों ने दोनों जिलों में पूरी ताकत झोंक रखी है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने शुक्रवार को पीएम मोदी के रोड शो के बाद वाराणसी में रोड शो करके अपनी ताकत दिखाई थी। शनिवार को उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में चुनावी सभाएं कीं। अब यह देखने वाली बात होगी कि दोनों सियासी दिग्गज अपने-अपने संसदीय क्षेत्रों पर कितनी पकड़ कायम रख पाते हैं।
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