UP Election 2022: सपा का नैया डूबने का कारण बन सकता है ममता बनर्जी का सपा के लिए प्रचार करना, जानिए क्यों?

UP Election 2022: यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार चुनाव आयोग ने सियासी दलों को प्रचार के लिए केवल वर्चुअल रैली करने का अनुमति दिया है। जिसके बाद ममता बनर्जी समाजवादी पार्टी के लिए 10 फरवरी को लखनऊ में वर्चुअल रैली करेंगी।

Newstrack :  Bishwajeet Kumar
Update:2022-01-21 23:17 IST

Mamta with Akhilesh

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण इस बार के विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने कई तरह की पाबंदियां लगाई है। जिसमें चुनाव आयोग ने किसी भी प्रकार की जनसभा, रोड शो तथा रैली करने पर 22 जनवरी तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इस दौरान सभी राजनीतिक पार्टियां केवल वर्चुअल रैली या वर्चुअल संवाद कर सकते हैं। ऐसे नए नियमों के आने के बाद सभी राजनीतिक दल वर्चुअल तरीके से जनता से संपर्क साधने की प्रयास कर रही है।

इस बार के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के के चुनावी प्रचार के लिए अब सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ममता बनर्जी वर्चुअल रैली करेंगी। गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने पहले चुनाव आयोग द्वारा रैलियों पर प्रतिबंध लगाए जाने पर यह कहते हुए विरोध जताया था। अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से सवाल करते हुए कहा था की डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital Plateform) पर सबसे ज्यादा कब्जा भारतीय जनता पार्टी ने जमाया हुआ है ऐसे में छोटी पार्टियों को प्लेटफार्म पर जगह कैसे मिलेगा। लेकिन अब चुनाव प्रचार में समाजवादी पार्टी के साथ ममता बनर्जी आ रही हैं जिसके लिए 8 फरवरी को लखनऊ में दोनों नेता एक साथ मिलकर वर्चुअल रैली करेंगे।

क्या ममता के रैली से सपा को होगा फायदा?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए ममता बनर्जी द्वारा प्रचार किया जाना राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा समाजवादी पार्टी के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद दिखाई देता नहीं नजर आ रहा है। क्योंकि उत्तर प्रदेश की ज्यादातर जनता ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) को एक मुस्लिम पसंद नेता के तौर पर देखती है। जिसके कारण समाजवादी पार्टी को सवर्ण और कुछ हद तक पिछड़े वोटरों से भी नुकसान पहुंच सकता है इस बात को समझने के लिए हमें उत्तर प्रदेश की सियासत में जातिगत आंकड़ों को देखना होगा।

यूपी का जातिगत समीकरण

उत्तर प्रदेश के अगर जातिगत समीकरण को देखें तो यहां सबसे ज्यादा संख्या पिछड़ी जाति के वोटरों की है लेकिन उत्तर प्रदेश के कुल मतदाताओं में 23 फ़ीसदी से अधिक मतदाता सवर्ण वर्ग से आते हैं जिसमें 10 फ़ीसदी के करीब ब्राह्मण मतदाता, 9 फ़ीसदी के करीब राजपूत मतदाता तो वहीं 2 फ़ीसदी के करीब कस्यत मतदाता शामिल है। 2014 के बाद से ही पूरे देश में ज्यादातर सवर्ण मतदाता भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में वोट करते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में भी इन वोटरों की संख्या अधिक होने के कारण भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में बहुत बल मिलेगा यही सबसे बड़ा कारण है कि ममता बनर्जी का समाजवादी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार करना सपा के लिए कहीं घाटे का सौदा साबित हो जाए।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कई क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है इसमें पश्चिमी यूपी का भाग सबसे हैं क्योंकि पश्चिमी यूपी के ज्यादातर विधानसभा सीटों पर मुस्लिम वोटरों का दबदबा है। उन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटरों के बाद सबसे ज्यादा संख्या जाट और जाटव वोटरों का है। इसके अलावां सैनी, कुर्मी, वैश्य और ब्राह्मण जातियों की संख्या भी ठीक-ठाक है। लेकिन पश्चिमी यूपी के सभी सीटों पर मुस्लिम वोटर ही सबसे ज्यादा निर्णायक माने जाते हैं। इस लिहाज से ममता बनर्जी का समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करना पश्चिमी यूपी में समाजवादी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

चुनाव का शेड्यूल-

चुनाव आयोग (Election Commission) ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों (Date of UP Election) का ऐलान कर दिया है। इस बार उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव कुल 7 चरणों में संपन्न होंगे जिसमें पहले चरण के लिए मतदान 10 फरवरी को होगा। वहीं अंतिम चरण के मतदान के लिए मतदाता अपने मतों का प्रयोग 7 मार्च को करेंगे। जबकि चुनाव का परिणाम बाकी के 4 राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम के साथ 10 मार्च को घोषित होगा।

इन तारीखों को होगा मतदान-UP Election: सपा का नैय्या डूबने का कारण बन सकता है ममता बनर्जी का सपा के लिए प्रचार करना, जानिए क्यों?

पहले चरण के लिए मतदान 10 फरवरी को होगा, दूसरा चरण 14 फरवरी, तीसरा चरण 20 फरवरी, चौथा चरण 23 फरवरी, पांचवा चरण 27 फरवरी, छठा चरण 3 मार्च, सातवां चरण 7 मार्च और अंत में 10 मार्च को मतगणना होगी।

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