UP Election 2022: करहल का मैसेज दूर तक पहुंचना चाहती है सपा, आइये जाने क्यों स्पेशल अखिलेश के लिए ये सीट
UP Election 2022: करहल (karhal Assembly Seat Mainpuri) से चुनाव लड़ने के जरिये अखिलेश यादव और उनकी पार्टी फिरोजाबाद से कन्नौज तक पूरे यादव क्षेत्र में एक बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रही है।
UP Election 2022: यादव बहुल करहल विधानसभा सीट परंपरागत रूप से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के पास रही है। सिर्फ एक बार ये सिलसिला 2002 में टूटा था जब भाजपा ने इसे जीता था। 2017 में तो सपा ने राज्य में भाजपा की लहर के बावजूद 38,000 से अधिक मतों के अंतर से यहां जीत दर्ज की थी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव पहली मर्तबा चुनाव लड़ने जा रहे हैं और उन्होंने इसके लिए करहल सीट (karhal Assembly Seat Mainpuri) को ही चुना है। वैसे, करहल का प्रतिनिधित्व कभी भी यादव परिवार ने नहीं किया है।
करहल से चुनाव लड़ने के जरिये अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav karhal Assembly Seat) और उनकी पार्टी फिरोजाबाद से कन्नौज तक पूरे यादव क्षेत्र में एक बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रही है। ऐसा संदेश देना समाजवादी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों में, बसपा के साथ गठबंधन के बावजूद समाजवादी पार्टी यादव-बेल्ट के गढ़ माने जाने वाली फिरोजाबाद, बदायूं, इटावा और कन्नौज की सीटों पर हार गई थी।
2017 के विधानसभा चुनावों में सपा ने फिरोजाबाद जिले की पांच सीटों में से सिर्फ एक, बदायूं की छह में से एक, इटावा जिले की तीन में से एक और कन्नौज जिले की तीन में से एक सीट जीती थी। मैनपुरी (Mainpuri Election Date) जिले में भी भाजपा चार में से एक सीट पर जीत हासिल करने में सफल रही थी।
समाजवादी पार्टी को लगता है कि करहल से अखिलेश यादव की उम्मीदवारी और शिवपाल सिंह यादव के साथ गठजोड़ करखे पार्टी अपने गढ़ में फिर से झण्डा गाड़ सकती है। ये झंडा फहराना उसके लिए जरूरी भी है। लेकिन भाजपा भी सपा के मंसूबे नाकाम करने के लिए कमर कसे हुये है। फिरोजाबाद के सिरासगंज के मौजूदा विधायक अखिलेश के चाचा हरिओम यादव हैं।
2017 में फिरोजाबाद जिले की सिर्फ इसी सीट पर सपा जीती थी। लेकिन अब हरिओम यादव भाजपा में शामिल हो गए हैं और इस सीट पर वही भाजपा प्रत्याशी भी हैं। भाजपा ने इसके अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारी और दलित चेहरे असीम अरुण को कन्नौज से उतारा है। पिछले चुनाव में यहां सपा जीती थी। भाजपा ने अभी तक अखिलेश यादव के खिलाफ करहल से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है। लेकिन मैनपुरी से पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य की संभावना हो सकती है जिन्होंने अच्छी टक्कर दी थी।
यादव परिवार की पहली पारी
करहल सीट की स्थापना के बाद से हुए सात चुनावों में से छह बार समाजवादी पार्टी यहां से जीती है। समाजवादी पार्टी के अस्तित्व में आने से पहले इस सीट पर जनता पार्टी, लोक दल और भारतीय क्रांति दल का वर्चस्व रहा करता था। करहल पश्चिम सीट 1951 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में किसान मजदूर प्रजा पार्टी द्वारा और 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी द्वारा जीती गई थी।