UP Election 2022: बुंदेलखंड में भाजपा के सामने इतिहास दोहराने की चुनौती, विपक्ष की तैयारियों से कड़े मुकाबले की उम्मीद

UP Election 2022: 20 फरवरी को होने वाले मतदान में जिन सीटों का फैसला होगा उनमें सबकी नजर बुंदेलखंड की 19 सीटों पर भी लगी हुई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shreya
Update:2022-02-16 12:46 IST

सीएम योगी आदित्यनाथ (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में तीसरे चरण (UP Third Phase Voting) के मतदान के लिए चुनाव प्रचार (Election Campaign) अंतिम दौर में पहुंच गया है और इसी कारण सभी राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। 20 फरवरी को होने वाले मतदान में जिन सीटों का फैसला होगा उनमें सबकी नजर बुंदेलखंड (Bundelkhand) की 19 सीटों पर भी लगी हुई है। बुंदेलखंड के 7 जिलों की 19 सीटों पर 2017 के चुनाव में भाजपा (BJP) ने कब्जा कर लिया था। इस बार भाजपा के सामने 2017 का इतिहास एक बार फिर दोहराने की बड़ी चुनौती है। 

दूसरी ओर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party), बहुजन समाज पार्टी (BSP) और कांग्रेस (Congress) तीनों दल भाजपा का विजय रथ रोकने की कोशिश में जुटे हुए हैं। तीनों दलों ने इस बार बुंदेलखंड में काफी मेहनत भी की है। ऐसे में माना जा रहा है कि तीसरे चरण के मतदान में बुंदेलखंड की सभी सीटों (Bundelkhand Assembly Seats) पर कड़ा सियासी मुकाबला देखने को मिलेगा।

पिछली बार भाजपा ने जीती थीं सभी सीटें

बुंदेलखंड के 7 जिलों की 19 सीटों पर 2019 के चुनाव में भाजपा ने कमाल का प्रदर्शन किया था। पार्टी ने बुंदेलखंड पर अपनी मजबूत पकड़ साबित करते हुए सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। दूसरे किसी भी दल का यहां पर खाता तक नहीं खुला था। हालांकि उससे पहले 2012 के चुनाव में बसपा ने बुंदेलखंड में अच्छा प्रदर्शन किया था। सात सीटों पर जीत हासिल करके बसपा नंबर एक पार्टी बनी थी मगर 2017 के चुनाव में बसपा का सूपड़ा साफ हो गया था। ऐसे में भाजपा और बसपा दोनों के लिए इस बार की सियासी जंग काफी महत्वपूर्ण हो गई है। 

(फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

सभी दलों ने लगा रखी है पूरी ताकत

जहां एक ओर भाजपा 2017 का इतिहास दोहराने की कोशिश में जुटी हुई है वहीं बसपा भी अपने इस गढ़ में इस बार अच्छा प्रदर्शन करने के लिए बेकरार है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने भी इस बार बुंदेलखंड में मेहनत की है और सपा को भी यहां से उम्मीदें हैं। 2012 में सपा को बुंदेलखंड में 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। प्रियंका की अगुवाई में कांग्रेस भी यहां इस बार खाता खोलने के लिए बेचैन है। 2012 के चुनाव में कांग्रेस यहां पर तीन सीटें जीतने में कामयाब हुई थी।

ऐसे में सभी दलों की ओर से पूरी ताकत लगाई जा रही है। पिछले चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद विपक्षी दलों ने इस बार कमर कस रखी है। यही कारण है कि बुंदेलखंड की सीटों पर दिलचस्प मुकाबला दिख रहा है।

बुंदेलखंड की बड़ी समस्याएं

विभिन्न सरकारों की ओर से विकास के दावों के बीच बुंदेलखंड तमाम समस्याओं से जूझने के लिए अभिशप्त है। बुंदेलखंड को हर साल सूखे की मार झेलनी पड़ती है और इसके साथ ही यह इलाका सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाला इलाका है। गरीबी (Poverty) और बेरोजगारी (Unemployment) यहां के लोगों की सबसे बड़ी समस्या है, मगर किसी भी सरकार ने इस दिशा में अभी तक ठोस प्रयास नहीं किया है।

पानी का संकट (Water Crisis) भी यहां की बहुत बड़ी समस्या रहा है और किसानों को सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। अच्छी बारिश न होने पर किसानों को हर साल नुकसान उठाना पड़ता है। इस बार के विधानसभा चुनाव में ये सभी मुद्दे खूब गूंज रहे हैं और इन मुद्दों के जरिए एक-दूसरे को घेरने की कोशिश की जा रही है।

इस बार कड़े मुकाबले की उम्मीद

मतदान की तारीख (Chunav Ki Tarikh) नजदीक आने के साथ ही सभी राजनीतिक दलों ने बुंदेलखंड में पूरी ताकत झोंक रखी है। बुंदेलखंड में ओबीसी मतदाताओं की संख्या (OBC Voters In Bundelkhand) सबसे ज्यादा 43 फ़ीसदी है। 27 फ़ीसदी सामान्य और 21 फ़ीसदी एससी मतदाता भी चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएंगे। अल्पसंख्यक मतदाता कम होने की वजह से सपा की उम्मीद आठ फ़ीसदी यादव मतदाताओं पर टिकी हुई है।

सभी दल जातीय समीकरण साधने की कोशिश में जुटे हुए हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि इस बार बुंदेलखंड में किसी भी पार्टी की लहर नहीं दिख रही है मगर भाजपा ने पिछले चुनाव का इतिहास दोहराने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। दूसरी ओर विपक्ष भी सत्तारूढ़ दल की घेराबंदी में जुटा हुआ है। पक्ष और विपक्ष की इस खींचतान में कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है। 

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