UP सरकार ने कहा- जनहित में जरूरी है शराब, और दिया ये तर्क
देश के कई राज्यों ने जहरीली शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए शराब बंदी कानून लागू किया है। हाल ही में बिहार ने भी इस दिशा में कदम उठाया है लेकिन यूपी सरकार का मानना है कि जनहित में शराबबंदी उचित नहीं है। शराबबंदी करने से राजस्व का भी नुकसान होगा। विधानसभा में बुधवार को एमएलए संजय प्रताप जायसवाल के सवाल के जवाब में यूपी सरकार की तरफ से लिखित तौर पर यह जानकारी दी गई हैं।
लखनऊ: देश के कई राज्यों ने जहरीली शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए शराब बंदी कानून लागू किया है। हाल ही में बिहार ने भी इस दिशा में कदम उठाया है लेकिन यूपी सरकार का मानना है कि जनहित में शराबबंदी उचित नहीं है। शराबबंदी करने से राजस्व का भी नुकसान होगा। विधानसभा में बुधवार को एमएलए संजय प्रताप जायसवाल के सवाल के जवाब में यूपी सरकार की तरफ से लिखित तौर पर यह जानकारी दी गई हैं।
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यूपी सरकार की तरफ से क्या कहा गया है ?
-राज्य सरकार द्वारा मदिरा व्यापार के अनन्य विशेषाधिकार को अनुज्ञापी के पक्ष में हस्तानांतरित किया जाता है।
-इसके बदले में राज्य सरकार को प्रतिफल शुल्क के रूप में राजस्व की प्राप्ति होती है।
-प्राप्त राजस्व का उपयोग राज्य की जनकल्याण एवं विकास योजनाओं में किया जाता है।
-शराब के उपभोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जाने से अवैध मधनिष्कर्षण और मदिरा के व्यापार को परोक्ष रूप से प्रश्रय मिलेगा।
-इससे जन सामान्य अवैध स्रोतों से क्रय कर मदिरा का सेवन करने के लिये दुष्प्रेरित होगा।
-जो जन स्वास्थ्य के लिए सर्वथा प्रतिकूल होगा।
-इससे व्यापक जनहानि की सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
-व्यापक राजस्वहित और जनहित को देखते हुए प्रदेश में शराबबंदी को लागू किया जाना उचित नहीं है।
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यह जानकारी भी दी गई
-भारतीय संविधान के अनुच्छेद-246 की 7वीं अनुसूची की सूची संख्या-2 की प्रविष्टि संख्या-8 के अंतर्गत राज्य को मदिरा के उत्पादन, वितरण और विनियमन का अधिकार प्राप्त है।
-जहरीली शराब से हो रही मृत्यु के नियंत्रण के लिए गुजरात, नागालैंड, मिजोरम और बिहार आदि प्रदेशों में शराबबंदी कानून लागू है।