UP Lawyers Protest: प्रदेश में वकीलों का जोरदार प्रदर्शन, CM योगी का फूंका पुतला, इलहाबाद HC में यूपी के अधिवक्ता तृतीय ने दिया इस्तीफा
UP Lawyers Protest: पुतला फूंक रहे वकीलों को पुलिस ने दौड़ा दिया। इस दौरान प्रदर्शन को कवर कर रहे पत्रकारों से भी पुलिस ने मारपीट की।
UP Lawyers Protest: हापुड़ कांड को लेकर प्रदेश के वकीलों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। मांगें पूरी न किए जाने से नाराज 14 सितंबर तक प्रदेश के अधिवक्ता हड़ताप पर हैं। इसी को लेकर गुरूवार को एकबार फिर राजधानी लखनऊ में अधिवक्ता सड़कों पर उतरे और जोरदार प्रदर्शन किया। वकीलों ने यूपी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ के पुतले जलाए।
वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट में यूपी सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता तृतीय और यूपी बार कॉउंसिल के सदस्य अखिलेश अवस्थी ने पद से इस्तीफा दे दिया है। हापुड़ घटना में सरकार की ओर कोई कार्रवाई न होने के चलते उन्होंने ने ये कदम उठाया। मालूम हो कि उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्रीन योगी आदित्यनाथ से मिलने का समय मांगा था लेकिन मुलाकात नहीं हुई। उन्होंने कहा कि मैं
वकीलों के प्रदर्शन को देखते हुए परिवर्तन चौराहे पर पहले से ही भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए थे। प्रदर्शनकारी जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुतला जलाने की कोशिश कर रहे थे, तब पुलिसकर्मियों से उनकी बहस हो गई। देखते ही देखते दोनों पक्षों के बीच झड़प शुरू हो गई। पुतला फूंक रहे वकीलों को पुलिस ने दौड़ा दिया। इस दौरान प्रदर्शन को कवर कर रहे पत्रकारों से भी पुलिस ने मारपीट की।
प्रदर्शन कर रहे वकीलों की क्या है मांग –
- हापुड़ के डीएम और एसपी का ट्रांसफर।
- दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो।
- वकीलों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।
- एडवोकेक्ट्स प्रोटेक्शन एक्ट फौरन प्रदेश में लागू किया जाए।
- हापुड़ लाठीचार्ज में घायल हुए वकीलों को मुआवजा मिले।
क्या है हापुड़ लाठीचार्ज मामला ?
हापुड़ जिले में एक महिला वकील और सिपाही के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। दोनों के बीच यह विवाद सड़क पर हुआ था, जिसका वीडियो भी काफी वायरल हो चुका है। इसके बाद पुलिस ने महिला अधिवक्ता और उनके पिता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली थी। हापुड़ बार एसोसिएशन पुलिस के इस कदम के विरोध में सड़क पर उतर गया। एसोसिएशन ने पुलिस पर फर्जी रिपोर्ट लिखने का आरोप लगाते हुए सड़क जाम कर दिया।
बड़ी संख्या में तहसील चौराहे पर वकीलों के जमा हो जाने के कारण रास्ता पूरी तरह बंद हो गया। जाम खुलवाने मौके पर पहुंची पुलिस से अधिवक्ताओं का विवाद शुरू हो गया। मामूली खींचतानी के बाद बात इतनी बढ़ गई कि पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई वकीलों को चोटें आईं। हालांकि, इसके बाद जाम जरूर खुल गया। लेकिन पुलिस की इस हरकत से वकीलों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। हापुड़ के वकीलों के समर्थन में बार काउंसिल ऑफ यूपी भी मैदान में उतर गया है।
सरकार ने गठित की जांच कमिटी
प्रदेश में जारी वकीलों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हापुड़ लाठीचार्ज मामले की जांच के लिए कमिश्नर मेरठ की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। इस कमेटी में आईजी मेरठ और डीआइजी मुरादाबाद के अलावा रिटायर प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, लखनऊ हरिनाथ पांडे को भी शामिल किया गया है। हालांकि, वकीलों द्वारा इसका विरोध किए जाने पर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद एक नई टीम का गठन किया गया है। वहीं, बार काउंसिल ऑफ यूपी ने साफ कर दिया है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती, प्रदेश के अभिवक्ता न्यायिक कामकाज में हिस्सा नहीं लेगें। वकील आज यानी 14 सितंबर को भी हड़ताल पर हैं।
बांदा में भी प्रदर्शन
हापुड़ में 29 अगस्त को अधिवक्ताओं पर हुए लाठी चार्ज के विरोध में आज बांदा जनपद में सैकड़ो की संख्या में वकील इकट्ठा हो गए और नारेबाजी करते हुए अशोक लाट पहुंचे हैं। यहां पर वकीलों ने प्रदेश सरकार का पुतला फूंकते हुए नाराजगी जाहिर की है। वकीलों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए भारी पुलिस फोर्स बल भी तैनात किया गया है। सैकड़ों की संख्या में वकील सरकार और शासन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में वकील मौजूद रहे हैं। वही अधिवक्ताओं का कहना है कि पुलिस कर्मियों के गिरफ्तारी की मांग की गई लेकिन इसके बाद भी अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। अधिवक्ताओं की मांग है कि घटना में शामिल पुलिस कर्मियों को बर्खास्त किया जाए और घायल अधिवक्ताओं को उचित मुआवजे दिया जाए।
हरदोई में भी बवाल
हापुड़ में अधिवक्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में पूरे प्रदेश के वकीलों में रोष है। बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश बीते 15 दिनों से अनवरत हड़ताल कर विरोध जता रहा है। इसी कड़ी में गुरुवार को भी हरदोई के वकीलों ने हड़ताल पर रहकर विरोध जताया। वकीलों ने सरकार का पुतला जलाकर जमकर नारेबाजी की। हापुड़ में वकीलों पर हुए लाठी चार्ज के विरोध में बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश ने हड़ताल का ऐलान किया था जो लगातार जारी है ।अधिवक्ताओं की मांग है कि हापुड़ के डीएम, एसपी व सीओ का ट्रांसफर किया जाए और घायलों को मुआवजा दिलाया जाए। इसके साथ ही एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू किया जाए। आंदोलन की अगली रूपरेखा तय करने के लिए बार कौंसिल अध्यक्ष ने प्रदेश के सभी बार एसोसिएशन से सुझाव मांगे।
मेरठ में वकीलों का प्रदर्शन
हापुड़ प्रकरण को लेकर मेरठ कचहरी में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने मेरठ बार एसोसिएशन और जिला बार एसोसिएशन की अगुवाई में वकीलों ने सरकार का पुतला फूंका। इस दौरान वकीलो ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। एहितयात के तौर पर पूरा कलक्ट्रेट परिसर छावनी में तब्दील कर दिया। गुस्साये वकीलों का कहना है कि हापुड़ कांड के खिलाफ विगत दिनों से चली आ रही वकीलों की प्रदेशव्यापी हड़ताल के बाद भी वकीलों की मांगे न मानना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश शासन का रवैया चिंताजनक है, जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा। अधिवक्ताओं पर बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज करने के आरोपियों पर कार्रवाई करने, अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू करने, वकीलों पर दर्ज मुकदमे समाप्त करने और अन्य मांगो को पूरा नही करना तानाशाही को दर्शाता है।
सिद्धार्थनगर में एकत्रित हुए वकील
हापुड़ में शांतिपूर्वक धरना दे रहे अधिवक्ताओं पर पुलिस के लाठीचार्ज की घटना से वकीलों का रोष थमने का नमा नहीं ले रहा है। गुरुवार को बार काउंसिल आफ उत्तर प्रदेश के निर्देश क्रम में डुमरियागंज बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने तहसील परिसर में प्रदेश सरकार का पुतला नरोबाजी करते हुए जलाया। कलम बंद हड़ताल करते हुए धरना देने के बाद एसडीएम डुमरियागंज को ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ताओं के साथ स्टाम्प विक्रेता व वसीका नवीस भी हड़ताल पर रहकर समर्थन दिए। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष इंद्रमणि पांडेय ने अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस प्रशासन ने हापुड़ में बर्बरता पूर्ण हरकत की है। शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठे अधिवक्ता भाईयों पर लाठी चार्ज की घटना निंदनीय है। महामंत्री राम बहादुर यादव ने कहा कि हम हापुड़ के डीएम व पुलिस अधीक्षक के स्थानांतरण की तत्काल मांग करते हैं। अगर हमारी मांग नहीं पूरी हुई तो आगे प्रदर्शन और तेज होगा। कहा कि घटना में सम्मिलित पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराकर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। घायल अधिवक्ताओं को पांच- पांच लाख रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जाए साथ ही प्रदेश में अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू हो।