UP Election 2022: पथरदेवा सीट पर फंसी हुई है शाही की प्रतिष्ठा, सपा-बसपा की ओर से मिल रही कड़ी चुनौती

UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के छठे चरण के मतदान में जनपद देवरिया के पथरदेवा विधानसभा सीट पर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही को इस बार बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस सीट पर जातीय समीकरण की अहम् भूमिका होगी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2022-03-02 12:06 GMT

यूपी कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही: Photo - Social Media

Lucknow: छठे चरण के मतदान (6th phase polling) में जिन सीटों पर प्रत्याशियों की किस्मत का फ़ैसला होना है, उनमें देवरिया (Deoria) की पथरदेवा विधानसभा सीट (Pathardeva assembly seat) को भी काफी अहम माना जा रहा है। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही (Agriculture Minister Surya Pratap Shahi) एक बार फिर इस सीट पर किस्मत आजमाने के लिए चुनावी रण में उतरे हैं। उनका मुकाबला प्रदेश के दो पूर्व मंत्रियों से हो रहा है।

सपा (Samajwadi Party) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे ब्रह्माशंकर त्रिपाठी (Brahmashankar Tripathi) और बसपा (Bahujan Samaj Party) के टिकट पर लड़ रहे परवेज आलम शाही को कड़ी चुनौती देने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कांग्रेस (Congress) भी जिला पंचायत सदस्य अंबरजहां को चुनाव मैदान में उतार कर ताकत दिखाने की कोशिश में जुटी हुई है।

पथरदेवा सीट पर इस बार शाही कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। इस सीट से जुड़ा हुआ एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि शाही और ब्रह्माशंकर त्रिपाठी के बीच आठवीं बार मुकाबला हो रहा है। पहले के सात मुकाबलों में चार बार ब्रह्माशंकर ने जीत हासिल की है जबकि तीन बार सूर्य प्रताप शाही भी विजयी होने में कामयाब हुए हैं। मजे की बात यह है कि सभी प्रत्याशी जातीय समीकरण के जरिए अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं।

पिछले चुनाव में मिली थी शाही को बड़ी जीत

2008 के परिसीमन के बाद पथरदेवा विधानसभा सीट अस्तित्व में आई थी। इससे पहले क्षेत्र के मतदाता कसया विधानसभा सीट से जुड़े हुए थे। यदि सीट के सियासी इतिहास को देखा जाए तो यहां पर भाजपा और सपा के बीच ही मुख्य रूप से मुकाबला होता रहा है। 2012 के विधानसभा चुनाव (2012 assembly elections) में समाजवादी पार्टी के शाकिर अली को इस सीट पर जीत हासिल हुई थी। उन्होंने भाजपा (Bhartiya Janata Party) के वरिष्ठ नेता सूर्य प्रताप शाही को चुनावी जंग में पराजित कर दिया था।

पांच साल बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में शाही ने सपा के शाकिर अली को हराकर अपनी हार का बदला ले लिया था। 2017 में शाही ने शाकिर अली को 42,997 मतों के भारी अंतर से हराया था। बहुजन समाज पार्टी के नीरज कुमार तीसरे नंबर पर रहे थे जबकि पीस पार्टी के हारून अली चौथे नंबर पर थे।

सपा और बसपा ने शाही को घेरा

पथरदेवा विधानसभा सीट पर शाही एक बार फिर अपनी सियासी ताकत दिखाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे हैं। सपा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी को चुनाव मैदान में उतार कर शाही को घेरने का प्रयास किया है। बसपा (BSP) ने पूर्व मंत्री स्वर्गीय शाकिर अली के बेटे परवेज आलम को चुनाव मैदान में उतारकर कड़ी चुनौती पेश की है। कांग्रेस ने मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने के लिए जिला पंचायत सदस्य अंबरजहां को मैदान में उतार कर अपनी चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश की है। विपक्षी दलों की ओर से तगड़ी घेराबंदी किए जाने से शाही इस बार कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं।

पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी: Photo - Social Media

भाजपा की ओर से सैंथवार और अनुसूचित जाति के मतदाताओं को साधने की कोशिश की जा रही है। सपा प्रत्याशी ने पार्टी के कोर मतदाताओं के साथ ही ब्राह्मण वोटर्स पर भी नजरें गड़ा रखी हैं। सपा के टिकट पर उतरने के कारण उन्हें मुस्लिम मतों पर भी काफी भरोसा है।

विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण (caste equation)

पथरदेवा विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण को देखा जाए तो 60 हजार मुस्लिम मतदाता इस चुनाव का फैसला करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। दलित मतदाताओं की संख्या भी करीब 50,000 है और उनकी भी चुनाव में बड़ी भूमिका होगी। सैंथवार मतदाताओं की संख्या करीब 38,000 और वैश्य मतदाताओं की संख्या करीब 32,000 है। इनके साथ ही यादव, ब्राह्मण, क्षत्रिय, राजभर, कुशवाहा, निषाद और भूमिहार मतदाता भी चुनाव में हार जीत का फैसला करेंगे।

सभी दलों के प्रत्याशियों की ओर से जातीय समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है। जातीय समीकरण को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस बार के चुनाव में प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के बीच कड़ा मुकाबला होना तय है।

भाजपा (BJP) के लिए प्रतिष्ठा की सीट

शाही को प्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता माना जाता रहा है और वे प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के साथ ही कई महकमों के मंत्री भी रहे हैं। इसलिए यह सीट भाजपा के लिए काफी प्रतिष्ठा वाली मानी जा रही है। विपक्षी दलों की ओर से विभिन्न मुद्दों को लेकर भाजपा की घेराबंदी की जा रही है। इसके साथ ही शाही के सामने नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की भी चुनौती है।

पथरदेवा विधानसभा सीट (Pathardeva assembly seat) पर छठे चरण में गुरुवार को मतदान होना है। चुनावी शोर थमने के बाद सभी दलों के प्रत्याशी और नेता अपने मतदाताओं का ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं। शाही ने इस विधानसभा सीट पर पूरी ताकत लगा रखी है मगर यह देखने वाली बात होगी कि वे विपक्ष के चक्रव्यूह को तोड़ने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं।

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