UP MLC Election 2022: कैसे होता है विधान परिषद का चुनाव, जानें एमएलसी को मिलने वाली सैलरी और अन्य सुविधाओं के बारे में
UP MLC Election 2022: विधान पार्षदों का दर्जा विधायकों के समकक्ष का ही होता है। एमएलसी का कार्यकाल छह साल का होता है। एमएलसी का चुनाव लड़ने के लिए भी न्यूनतम 30 साल की आयु जरूरी है।
UP MLC Election 2022: उत्तर प्रदेश में इन दिनों 13 विधान परिषद (legislative council election) की सीटों पर होने जा रहे चुनाव को लेकर काफी सियासी गहमागहमी है। प्रदेश की दो प्रमुख पार्टियां सत्ताधारी बीजेपी (BJP) और मुख्य विपक्षी सपा (Samajwadi Party) ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। बीजेपी ने जहां 9 उम्मीदवारों को उतारा है तो वहीं सपा ने चार उम्मीदवार उतारे हैं। चूंकि भाजपा और सपा दोनों के मिलाकर 13 ही प्रत्याशी मैदान में हैं इसलिए यह चुनाव निर्विरोध होने की पूरी संभावना है। बीजेपी के सभी उम्मीदवारों ने आज नामांकन दाखिला किया है, वहीं सपा के उम्मीदवारों ने बुधवार को ही नामांकन दाखिल कर दिया है।
बता दें कि विधान परिषद चुनाव (legislative council election) की प्रक्रिया विधानसभा चुनाव (assembly elections) से पूरी तरह भिन्न होती है। विधानसभा चुनाव में जनता की सीधे भागीदारी होती है जबकि विधान परिषद के चुनाव में ऐसा नहीं होता है। तो आईए विधान परिषद के चुनाव और इसके लिए चुने जाने वाले सदस्यों को मिलने वाली सुविधाएं और वेतन के बारे में जानते हैं।
विधान परिषद (legislative council)
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना देश में ये केवल छह राज्य हैं, जहां विधानसभा के साथ –साथ विधान परिषद भी है। विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं। विधानसभा के एक तिहाई से अधिक सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए। उदाहरण के लिए जैसे यूपी विधानसभा का स्ट्रेंथ 403 सदस्यों की है। इस हिसाब से यूपी विधान परिषद में 134 से अधिक सदस्य नहीं हो सकते। यह अधिकतम संख्या है। इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्यों का होना भी अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश में फिलहाल विधान परिषद की 100 सीटें हैं।
कैसे होता है चुनाव (how is the election)
विधान पार्षदों का दर्जा विधायकों के समकक्ष का ही होता है। लेकिन एमएलसी का कार्यकाल छह साल का होता है। एमएलसी का चुनाव लड़ने के लिए भी न्यूनतम 30 साल की आयु जरूरी है। विधान परिषद के एक तिहाई सदस्यों (38) का चुनाव विधायक करते हैं। एक तिहाई सदस्यों को यानि 36 सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं। 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नामांकित करते हैं। इसके अतिरिक्त 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती है। इन सदस्यों को शिक्षक और पंजीकृत ग्रैजुएट चुनते हैं। ये आंकड़े उत्तर प्रदेश विधान परिषद में मौजूद सीटों के मुताबिक हैं।
विधान पार्षद को मिलने वाली सुविधाएं
विधान परिषद के सदस्य को 40 हजार रूपया मासिक वेतन के रूप में मिलता है। क्षेत्रीय भत्ते के नाम पर 50 हजार रूपए हर माह सरकार की ओर से मिलते हैं। सरकार की तरफ से इन्हें 10 हजार रूपया प्रतिमाह स्टेशनरी पर खर्च करने के लिए भी मिलते हैं। वहीं यात्रा भत्ता के तौर पर 20 रूपये प्रति किलोमीटर राज्य के अंदर और 25 रूपये प्रति किलोमीटर राज्य के बाहर का मिलता है। इसके अलावा बिजली की दो हजार यूनिट प्रति माह मुफ्त मिलती है।
वहीं बात करें दैनिक भत्ते की तो एमएलसी को राज्य में प्रतिदिन के हिसाब से 2 हजार रूपये और राज्य के बाहर प्रतिदिन के हिसाब से 25 हजार रूपये मिलते हैं। विधान परिषद के सदस्यों को तीन लाख रूपये (चार सह यात्रियों के साथ) के रेलवे या हवाई जहाज कूपन मिलते हैं। वहीं घर के फोन और मोबाइल के लिए 1 लाख रूपये दिया जाता है।