Saharanpur News: महापौर टिकट के लिए दावेदारों ने झोंकी ताकत, इनमें किसकी तरफ करवट बदलेगी पार्टी?

Saharanpur News: निकाय चुनाव की घोषणा के साथ ही सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भाजपा के अलावा अन्य दलों में भी टिकट की दावेदारी जोर आजमाइश में तेजी आ गई है।

Update:2023-04-10 22:05 IST
सहारनपुर महापौर चुनाव, टिकट के लिए दावेदारों ने झोंकी ताकत- Photo- Newstrack

Saharanpur News: निकाय चुनाव की घोषणा के साथ ही सरगर्मियां तेज हो गई हैं। भाजपा के अलावा अन्य दलों में भी टिकट की दावेदारी जोर आजमाइश में तेजी आ गई है। भाजपा से टिकट मांगने वालों की भी एक लंबी फेहरिस्त है । यह अलग बात है कि पहले यह सीट महिला सीट थी । तब महिलाओं में इस महा समर में कूदने की होड़ लग गई थी । हर कोई अपने अर्द्धांगिनी को इस समर में उतारने के लिए तैयार था । कई कद्दावर नेता भी सपने देखने लगे । लेकिन सीट बदलते ही इन सबको बड़ा झटका लगा । अब यह सीट पिछड़ा वर्ग की हो गई है । सहारनपुर नगर निगम के महापौर पद हेतु बसपा ने खदीजा मसूद को अपना उम्मीदवार बनाया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश उत्तराखंड के प्रभारी शमसुद्दीन राईन ने की घोषणा।

बेशक चुनाव में टिकट को लेकर सत्तारूढ़ दल भाजपा ने अपने पत्ते ना खोले हों। लेकिन यहां टिकट पाने वालों की एक लंबी लाइन है । जिनमें मुख्य रूप से डॉक्टर अजय सिंह, संघ की विचारधारा में रचे बसे वरिष्ठ भाजपा नेता राजकुमार राजू, पुष्पेंद्र चौधरी और राजकुमार सैनी आदि है। अब यहां भाजपा को फूंक-फूंक कर कदम रखना है और एक ऐसे प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारना है कि जिसके साथ स्वर्ण समाज और पिछड़े के साथ-साथ दलित और मुस्लिम वोट भी बहुत ज्यादा नहीं, तो अच्छी खासी तादाद मे अवश्य मिले।

भाजपा का चुनावी गणित क्या है?

यदि भाजपा को स्वर्ण जातियों तथा पिछड़ा वर्ग के अलावा दलित और मुस्लिम वोट नहीं मिलता, तो महानगर में चुनाव की स्थिति यह है कि दलित प्लस मुस्लिम भाजपा के सारे सिस्टम और मशीनरी को जमीदोज करते हुए बाजी मार सकता हैं। ऐसे में डॉक्टर अजय सिंह चिकित्सा पेशे में रहते हुए जनता में अपना विश्वास पैदा नहीं कर सकते। क्योंकि चिकित्सा पेशे में रहने के चलते बहुत सारे लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है और वैसे भी एक योग्य डॉक्टर होने के चलते अजय सिंह बेहद व्यस्त भी हैं।

दूसरे पायदान पर राजकुमार राजू हैं। जो पिछले कुछ सालों से भाजपा में हैं ।मेयर के टिकट की दावेदारी कर रहे हैं । इन्हें संघ से संबंधित साधु संत महात्माओं का आशीर्वाद प्राप्त है। भाजपा की विचारधारा व पार्टी संगठन में जमीन से जुड़कर काम करने वाले राजकुमार राजू के शीर्ष नेताओं से अच्छे संबंध हैं। राजू भाजपा के पास एक ऐसा डायनामिक चेहरा हैं। इन्हें भाजपा के परंपरागत वोटों के साथ-साथ दलितों और मुस्लिमों के भी वोट मिल सकते हैं जिसके कारण उन्हें उम्मीद है ज़्यादा है।
राजकुमार सैनी भी रेस में हैं। पर महानगर की जनता इन्हें गंभीरता से नहीं लेती । उधर पुष्पेंद्र चौधरी के समाज से कई लोग महत्वपूर्ण पदों पर हैं। पूर्व मेयर संजीव वालिया का नाम भी लिया जा रहा है ।

दावेदारों की कमी नही

लेकिन सूत्रों का कहना है कि संजीव वालिया दूसरी बार चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। भले ही पार्टी में उनका कद कम ना हुआ हो । लेकिन आम जनता विरोध की लहरों पर तैर सकती है । क्योंकि सत्ता में रहने पर एक बड़ा वर्ग नाराज़ रहता है । वालिया के साथ ऐसा ही कुछ लग रहा है । पूर्व मेयर संजीव के अलावा पार्टी के पुराने पहरेदार अजीत चौधरी की भी दावेदारी है । वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भाजयुमो समेत संगठन के कई पदों पर रहे हैं । समर्पित कार्यकर्ताओं में अजीत चौधरी का नाम लिया जाता है । इसी तरह भाजपा में पुष्पेंद्र चौधरी का नाम भी चर्चा में चल निकला है । पुष्पेंद्र चौधरी युवा है और जाट बिरादरी से हैं।

अगर जाट नेताओं पर सहमति बनती है पुष्पेंद्र चौधरी पर विचार हो सकता है । जिला पंचायत चुनाव में चौधरी ने अहम भूमिका निभाई । भाजपा में पूर्व विधायक नरेश सैनी का नाम भी चल रहा है । नरेश सैनी बेहट विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। इस विधानसभा चुनाव में हाथ का साथ छोड़ कर कमल की सवारी की । लेकिन जनता को नहीं भाये। जनता ने उन्हें जीत का सेहरा नहीं पहनाया । इसके अलावा मनोज ठाकुर की भी दावेदारी है । मनोज ठाकुर महानगर उपाध्यक्ष और पिछले 20 सालों से भाजपा में सेवारत हैं।

इसके अलावा नागल विधानसभा से 20 साल पूर्व विधायक रहे मामचंद भी इस बार टिकट की दावेदारी ठोक रहे हैं। यह अलग बात है जिस नागल विधानसभा क्षेत्र से वह कभी विधायक रहे परिसीमन के बाद अब विधानसभा ही नहीं रही। वही डाक्टर नीलू राणा जो कि भाजपा में महिला महानगर मंत्री हैं, वह भी अपनी ताल ठोंके हुए हैं । नीलू राणा फिजियोथैरेपिस्ट हैं। मंडल मंत्री अजय खटाना इस दावेदारी की लिस्ट में शामिल हैं। राजकुमार सैनी जो कि महापौर का चुनाव लड़ने की दावेदारी कर रही है भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं।

वही महापौर के लिए भाजपा से विजेन्द्र राठी भी टिकट की मांग कर रहे हैं । विजेन्द्र राठी पर किसान मोर्चा में क्षेत्रीय उपाध्यक्ष हैं। विजेंद्र राठी के बारे में कहा जाता है यह जन्मजात भाजपाई हैं। पिछली बार भी मेयर प्रत्याशी पैनल में आखरी समय तक विजेंद्र राठी के नाम पर चर्चा हुई थी । उन्होंने अपना पूरा जीवन भाजपा को समर्पित किया है । विजेंद्र राठी कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।

कांग्रेस छोड़कर आए शशि वालिया भी टिकट की दावेदारी को लेकर मैदान में डटे हुए हैं । इतना ही नहीं नकुड विधानसभा क्षेत्र से विधायक मुकेश चौधरी के भाई विकेश चौधरी भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।

सहारनपुर में पहले मेयर भाजपा के बने थे

आरक्षण सूची के बाद महापौर की टिकट की दावेदारी को लेकर कई कद्दावर नेता चुनाव से बाहर हो गए हैं । भाजपा के कई दावेदारों को निराशा हाथ लगी है । तो वही ओबीसी के नेताओं के चुनावी समीकरण बन गए हैं । जो टिकट की दौड़ में शामिल हो गए हैं। सहारनपुर नगर निगम के महापौर का पद वर्ष 2017 में भी पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था। तब चुनाव जीतकर पहले मेयर भाजपा के बने थे ।

लेकिन भाजपा को मेयर पद के लिए प्रत्याशी का चयन करते हुए कई बातों का ध्यान रखना होगा। भाजपा के परंपरागत वोट के साथ-साथ प्रत्याशी की छवि और उसके साथ जोड़ने वाला वोट बैंक जीत को सुनिश्चित करने वाला हो । इस बार भाजपा जिस पर दांव खेलती है और किसके सर महापौर का ताज सजता है। यह तो शीर्ष नेताओं के चयन के बाद पता चलेगा। फिलहाल भाजपा में टिकट की दावेदारी को लेकर लंबी फेहरिस्त जरूर है। देखना यह भी है कि बसपा और सपा के पास भले ही मजबूत उम्मीदवार ना हो, फिर भी भाजपा के लिए महापौर का चुनाव जीतना इतना आसान नहीं, जितना वो समझे बैठी है।

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