यूपी पंचायत चुनाव: जौनपुर में आरक्षण की सूची जारी, इन जातियों को मिली मायूसी

जनपद के 1740 ग्राम सभाओं के आरक्षण की सूची जारी होने के बाद आरक्षण की स्थिति साफ हो गयी है। 1740 ग्राम सभाओं में 799 गांव अनुसूचित और पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित हुए हैं।

Update: 2021-03-03 13:38 GMT
यूपी पंचायत चुनाव: जौनपुर में आरक्षण की सूची जारी, इन जातियों को मिली मायूसी

जौनपुर। पंचायत चुनाव के लिये जनपद जौनपुर में आरक्षण की सूची बीते अर्ध रात्रि को प्रशासन सहित पंचायत विभाग ने जारी कर दिया है। अब इस सूची को लेकर आपत्तियों का इन्तजार है आपत्तियां 10 मार्च तक लिया जायेगा। इसके बाद उसका निस्तारण होगा। तत्पश्चात जारी सूची के आधार पर पंचायत का चुनाव सम्पन्न होगा। पंचायत राज विभाग एवं सरकारी तंत्र द्वारा जारी आरक्षण सूची के बाद ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने की मंशा पाले बड़ी संख्या सामान्य वर्ग के लोगों में खासी मायूसियत नजर आयी।लोग आरक्षण के मानक और फार्मूले की आलोचना करते नजर आये हैं।

आरक्षण की सूची जारी

यहाँ बता दें कि जनपद के 1740 ग्राम सभाओं के आरक्षण की सूची जारी होने के बाद आरक्षण की स्थिति साफ हो गयी है। 1740 ग्राम सभाओं में 799 गांव अनुसूचित और पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित हुए हैं। इसमें अनुसूचित जाति महिला के लिए 138 ग्राम सभायें है तो षुरूष के लिए 245 गांव सभायें है कुल 383 गांव सभायें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गयी है।

इसी तरह पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए 165 गांव सभायें आरक्षित हुईं हैं तो पुरुष के लिए 311 गांवो में आरक्षण मिला है। जबकि 881 ग्राम सभायें समान्य करते हुए अनारक्षित कर दिया गया है जिसमें कोई भी चुनाव लड़ सकता है। इसमें महिला के लिए 283 गांव सभायें रिजर्व की गयी है तो पुरुष के लिए 598 गांव सभायें रखी गयी है जहां से कोई भी चुनाव लड़ सकता है। आरक्षण की इस प्रक्रिया में जनपद के अन्दर अनुसूचित जनजाति के लिए एक भी गांव सभा को आरक्षित नहीं किया गया है। जैसा कि आरक्षण के सरकारी अभिलेख से स्पष्ट होता है।

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आरक्षण के मानक और फार्मूले की आलोचना

आरक्षण की सूची जारी होने के पश्चात अब इसको लेकर आम जन मानस मे आरक्षण के मानक और फार्मूले की आलोचना भी शुरू हो गयी। बताया जा रहा है कि जिन गांवों को अनारक्षित करते हुए सामान्य घोषित किया गया है। ऐसे बड़ी संख्या में गांव सभायें ऐसी भी हैं जहाँ पर सामान्य वर्ग के लोग नहीं है। वहां भी पिछड़ी जातियों को लाभ मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। मजेदार बात यह भी है कि आरक्षण की सूची में ऐसे भी गांव है कि जिस वर्ग जाति के लिए आरक्षित किया गया है उस जाति के लोग सम्बन्धित गांव में नहीं है। ग्रामीण जनो ने आरक्षण को लेकर अपनाये गये मानक को गलत ठहराते हुए तर्क दिया कि जिसके लिए आरक्षित किया गया उस जाति के लोग नहीं है तो ऐसी दशा में आरक्षण का मतलब क्या होगा।

चुनावी समीकरण

आरक्षण ने विगत कई माह से चुनावी जंग में आने के लिए ताल ठोंकने वालों को निराशा हुई है। विकास भवन परिसर में सूची का अवलोकन करने आये दावेदारों का यह भी कहना था कि सरकार की नीति का लाभ सवर्ण समाज को पंचायत चुनाव में कम मिलेगा। जिसका असर 2022 के विधानसभा चुनाव में देखने को जरूर मिल सकता है। सामान्य गांवो में भी पिछड़ी जातियों के लोग बड़ी संख्या ताल ठोंकने जा रहें है। जो भी हो लेकिन आरक्षण सूची जारी होने के बाद अब चुनावी समीकरण बदलने की प्रबल संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

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रिपोर्ट- कपिल देव मौर्य

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