UP News: अब Police विभाग में आउटसोर्सिंग से होंगी भर्ती! जानें क्या है सच्चाई?
UP News: पुलिस की ओर से कहा गया- सोशल मीडिया में पुलिस विभाग में आउचसोर्सिंग के संबंध में एक पत्र प्रसारित हो रहा है जिसके संबंध में अवगत कराना है कि यह पत्र त्रुटिवश जारी हो गया है
UP Police Bharti News: उत्तर प्रदेश पुलिस में आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया से जुड़ा एक लेटर वायरल हो रहा है। ये सर्कुलर डीजीपी मुख्यालय की ओर से जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि अब पुलिस विभाग में आउटसोर्सिंग के माध्यम से तमाम पद भरे जाएंगे। इसके सम्बन्ध में पुलिस के बड़े अधिकारियों से 17 जून तक राय मांगी गई है। वायरल लेटर पर पुलिस विभाग की ओर से सफाई देते हुए कहा गया है कि पुलिस विभाग में आउटसोर्सिंग के संबंध में एक पत्र प्रसारित हो रहा है जिसके संबंध में अवगत कराना है कि यह पत्र त्रुटिवश जारी हो गया है।
गलती से वायरल हुआ आउटसोर्सिंग भर्ती लेटर : UP Police
सोशल मीडिया पर वायरल लेटर को लेकर पुलिस ने देर रात करीब साढ़े बारह बजे स्पष्टीकरण दिया है। यूपी पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की व्यवस्था पूर्व से प्रचलित है। त्रुटिवश चतुर्थ कर्मचारियों के स्थान पर मिनिस्टीरियल स्टॉफ के लिए जारी पत्र को निरस्त कर दिया गया है। इस प्रकार का कोई भी प्रकरण पुलिस विभाग एवं शासन स्तर पर विचाराधीन नही है।
हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही है। लोगों की कहना है कि यदि आउटसोर्सिंग भर्ती का लेटर गलती से वायरल हुआ तो जिम्मेदारों के खिलाफ ऐक्शन लेना चाहिए था, जो नहीं किया है। पुलिस ने विभाग ने सफाई देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
क्या बोले अखिलेश यादव?
सपा नेता अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि उप्र में भाजपा सरकार ने ‘पुलिस व्यवस्था’ के प्रति लापरवाही भरा नज़रिया अपना रखा है, जिसकी वजह से अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। एक-के-बाद-एक कार्यवाहक डीजीपी के बाद अब कुछ ‘पुलिस सेवाओं की आउटसोर्सिंग’ पर विचार किया जा रहा है। ठेके पर पुलिस होगी तो, न ही उसकी कोई जवाबदेही होगी, न ही गोपनीय और संवेदनशील सूचनाओं को बाहर जाने से रोका जा सकेगा। भाजपा सरकार जवाब दे कि जब पुलिस का अपना भर्ती बोर्ड है तो बाक़ायदा सीधी स्थायी नियुक्ति से सरकार भाग क्यों रही है?
पुलिस सेवा में भर्ती के इच्छुक युवाओं की ये आशंका है कि इसके पीछे आउटसोर्सिंग का माध्यम बननेवाली कंपनियों से ‘काम के बदले पैसा’ लेने की योजना हो सकती है क्योंकि सरकारी विभाग से तो इस तरह पिछले दरवाज़े से ‘पैसा वसूली’ संभव नहीं है। अपने आरोप के आधार के रूप में वो कोरोना वैक्सीन बनानेवाली प्राइवेट कंपनी का उदाहरण दे रहे हैं, जिसे भाजपा ने नियम विरूद्ध जाते हुए, वैक्सीन बनाने वाली एक सरकारी कंपनी के होते हुए भी, वैक्सीन बनाने का ठेका दिया और उससे चंदा वसूली की।
पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक से आक्रोशित युवाओं में इस तरह की ‘पुलिस सेवा की आउटसोर्सिंग’ की ख़बर से और भी उबाल आ गया है। आउटसोर्सिंग का ये विचार तत्काल त्यागा जाए और उप्र के युवाओं को नियमित, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सीधी नियुक्ति प्रक्रिया के माध्यम से नौकरी दी जाए। भाजपा कहीं किसी दिन ‘सरकार’ ही आउटसोर्स न कर दे।