UP Rajya Sabha Election: यूपी में राज्यसभा चुनाव हुआ दिलचस्प, रालोद विधायकों पर टिकीं सबकी निगाहें, दोनों खेमों में दिख रही बेचैनी
UP Rajya Sabha Election: रालोद के सभी विधायकों ने गुरुवार को पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी से दिल्ली में मुलाकात की और एकजुटता का संकल्प जताया।
UP Rajya Sabha Election: उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर हो रहे चुनाव में भाजपा की ओर से आठवां उम्मीदवार उतारे जाने के बाद मुकाबले काफी दिलचस्प हो गया है। समाजवादी पार्टी के तीन प्रत्याशी पहले ही नामांकन कर चुके हैं और ऐसे में निर्विरोध चुनाव की संभावना पूरी तरह खत्म हो गई है। भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच टाइट फाइट मानी जा रही है और ऐसे में राष्ट्रीय लोकदल के नौ विधायक काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं। अब राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान तक जबर्दस्त जोड़-तोड़ का माहौल बना रहेगा।
हालांकि रालोद के सभी विधायकों ने गुरुवार को पार्टी के मुखिया जयंत चौधरी से दिल्ली में मुलाकात की और एकजुटता का संकल्प जताया। इसके बावजूद जयंत की मुश्किलें खत्म होती हुई नहीं दिख रहे हैं क्योंकि उनकी पार्टी के तीन विधायक सपा की पृष्ठभूमि वाले हैं। रालोद से जीत हासिल करने वाले चंदन चौहान, अनिल कुमार और गुलाम मोहम्मद को विधानसभा चुनाव के समय रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ाया गया था।
समाजवादी पृष्ठभूमि वाले हैं तीन विधायक
युवा राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चंदन चौहान का कहना है कि समाजवादी पृष्ठभूमि वाले तीन विधायकों को लेकर यह चर्चाएं सुनी जा रहे हैं कि वे भाजपा गठबंधन से नाखुश हैं और वापस अखिलेश यादव के साथ जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि गुरुवार को रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने अपने दिल्ली स्थित आवास पर पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई थी और इसमें सभी नौ विधायकों ने हिस्सा लिया। सभी ने जयंत चौधरी के साथ एकजुटता दिखाई।
वैसे हाल में जब उत्तर प्रदेश के सभी विधायकों को अयोध्या ले जाया गया था तो राष्ट्रीय लोकदल के चार विधायक भगवान रामलला का दर्शन करने नहीं गए थे। इसके बाद गुलाम मोहम्मद, अशरफ अली, मदन भैया और चंदन चौहान को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया था। लोकदल में फूट की चर्चाओं ने तेजी पकड़ ली थी।
भाजपा के साथ समन्वय की जयंत की अपील
लोकदल के नेता चंदन चौहान ने कहा कि बैठक के दौरान जयंत चौधरी ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन के बड़े लक्ष्य हैं। उनका कहना था कि हमें इस चक्कर में नहीं फंसना चाहिए कि हमें कितनी सीट मिलेगी बल्कि हमें समन्वय बना कर गठबंधन को सभी सीटों पर जीत दिलाने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पार्टी के सभी विधायक भाजपा के साथ ऊपर से लेकर नीचे तक समन्वय बनाने का प्रयास करेंगे और जयंत चौधरी केंद्रीय स्तर पर इस जिम्मेदारी को निभाएंगे। जयंत चौधरी ने किसानों से भी धैर्य बनाए रखने और आंदोलन को हिंसक न बनाने की अपील की है।
सपा नेता रविदास मल्होत्रा का बड़ा दावा
राष्ट्रीय लोकदल की ओर से चाहे जो भी दावे किए जा रहे हों मगर समाजवादी पार्टी के विधायक और प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री रविदास मल्होत्रा ने हाल में बड़ा दावा किया था। उन्होंने दावा किया था कि राष्ट्रीय लोकदल के चार विधायक सपा के पक्ष में हैं और राज्यसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान कर सकते हैं। रविदास मल्होत्रा का कहना था कि जयंत चौधरी ईडी और सीबीआई के दबाव में हैं और इसी कारण उन्होंने भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए के साथ जाने का फैसला किया है मगर पार्टी के चार विधायक इस फैसले से नाराज हैं।
उन्होंने कहा कि यह कितनी अजीब बात है कि विधानसभा सत्र की शुरुआत के समय लोकदल के विधायक भाजपा के खिलाफ बोल रहे थे मगर बीच सत्र में ही ये सभी विधायक भाजपा के साथ खड़े हो गए। उधर राष्ट्रीय लोकदल की ओर से रविदास मल्होत्रा के विधायकों की नाराजगी के दावे का खंडन किया गया है।
ऐसा हुआ तो जीत जाएंगे सपा के तीनों प्रत्याशी
प्रदेश विधानसभा में सपा के पास 108 विधायकों की ताकत है। कांग्रेस के दो विधायकों के समर्थन को जोड़ लिया जाए तो पार्टी के पास 110 मतों की ताकत है। सपा को अपने तीनों उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए 111 मतों की जरूरत है। सपा विधायक पलवी पटेल ने पीडीए समीकरण की अनदेखी के कारण सपा प्रत्याशियों को वोट न देने का ऐलान कर दिया है। दो सपा विधायकों के जेल में होने के कारण उनके मतदान की संभावना नहीं है।
ऐसे में यदि सपा मुखिया अखिलेश यादव राष्ट्रीय लोकदल के कुछ विधायकों का समर्थन हासिल करने में कामयाब हुए तो निश्चित रूप से उनकी पार्टी के तीनों उम्मीदवार जया बच्चन, रामजीलाल सुमन और आलोक रंजन को जीत हासिल हो जाएगी।
इस तरह बढ़ सकती हैं अखिलेश की मुश्किलें
दूसरी ओर मौजूदा समय में भाजपा के पास 252 विधायकों की ताकत है और घटक दलों के विधायकों को मिलाने पर यह संख्या 271 हो जाती है। राष्ट्रीय लोकदल के 9 विधायकों को भी जोड़ दिया जाए तो यह संख्या 280 तक पहुंच जाती है। ऐसी स्थिति में अपने आठवें उम्मीदवार को जिताने के लिए भाजपा को 16 अतिरिक्त मतों की जरूरत है।
यदि राजा भैया की पार्टी के दो विधायकों को भी जोड़ दिया जाए, तब भी भाजपा को 14 अतिरिक्त मतों की व्यवस्था करनी होगी जो कि पार्टी नेताओं के लिए आसान साबित नहीं होगा। वैसे भाजपा की ओर से आठवें प्रत्याशी बनाए गए संजय सेठ पहले समाजवादी पार्टी में भी रहे हैं और उनके सपा के कई नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते बताए जाते हैं।
यदि वे विपक्षी गठबंधन में तोड़फोड़ करने में कामयाब हुए तो निश्चित रूप से समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। राज्यसभा चुनाव के लिए 27 फरवरी को मतदान होना है और मतदान के पहले उत्तर प्रदेश में जबर्दस्त जोड़-तोड़ की राजनीति दिखेगी।