काम की बात: इस गुलाब की पंखुड़ियों को सुखाकर बनती है गुलाबजल-अगरबत्ती
उत्तर प्रदेश के उद्यान निदेशक डाॅ एसबी शर्मा ने पुष्प उत्पादन क्षेत्र में कोविड-19 महामारी की विषम परिस्थितियों के दृष्टिगत पुष्प उत्पादकों को सलाह देते हुए बताया कि गुलाब के उत्पादक वर्तमान में रोपण प्रणाली में इस प्रकार विविधता लायें।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उद्यान निदेशक डाॅ एसबी शर्मा ने पुष्प उत्पादन क्षेत्र में कोविड-19 महामारी की विषम परिस्थितियों के दृष्टिगत पुष्प उत्पादकों को सलाह देते हुए बताया कि गुलाब के उत्पादक वर्तमान में रोपण प्रणाली में इस प्रकार विविधता लायें। ताकि लगभग 45 दिनों के बाद उत्पादन को फिर से शुरू किया जा सके। उन्होंने बताया कि हल्की खुशबू वाली किस्मों की पंखुड़ियों को धूप में सुखाया जा सकता है और इसका उपयोग मिष्ठान, आइसक्रीम और बेकरी में प्रयोग किया जा सकेगा। सुखी पंखुड़ियों को पीसकर उसके पाउडर को अगरबत्ती बनाने के काम आएगी। पंखुड़ियों को पंखुड़ियों का इस्तेमाल गुलकंद बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
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गुलाबजल एवं अगरबत्ती बनाने के प्रयोग में
डाॅ शर्मा ने बताया कि गुलाब के बिना खुशबू वाली किस्मों की पंखुड़ियों को सुखाकर पर्यावरण के अनुकूल, गुलाबजल एवं अगरबत्ती बनाने के प्रयोग में किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि फूलों की कलियों को गोद में मिलाकर विभिन्न प्रकार के स्मृति चिन्ह बनाने के लिए किया जा सकता है तथा अवशेष भाग को खाद के रूप में परिवर्तित कर खेत में प्रयोग किया जा सकता है अथवा विक्रय किया जा सकता है। इससे गुलाब उत्पादकों की आय हो सकती है।
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किसान देशी गुलाब उगा रहे
उद्यान निदेशक ने बताया कि लूज फूलों को स्वतः सूखने और चाइना एस्टर को सुखाना एक अच्छा उपाय है। सूखी पंखुड़ियों का उपयोग बाद में पर्यावरण के अनुकूल गुलाल बनाने के लिए किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि जो किसान देशी गुलाब उगा रहे हैं वे फूलों को फेंकने के बजाय गुलकंद तैयार कर सकते हैं। आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध होने की स्थिति में वैकल्पिक रूप से गुलाब जल, गुलाब का तेल बनाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि यदि किसी प्रकार की समस्या आती है तो मण्डलों के उप निदेशक उद्यान, जिला उद्यान अधिकारी से सम्पर्क किया जा सकता है।
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