इस जगह पर भाजपा के किले में सेंध नही लगा पाए केजरीवाल

दिल्ली विधानसभा चुनावों में प्रवासियों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी उत्तराखंड से आकर बसी है। करीब 45 लाख की इस आबादी में लगभग 25 लाख वोटर हैं, जो किसी भी...

Update:2020-02-11 19:19 IST
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नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनावों में प्रवासियों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी उत्तराखंड से आकर बसी है। करीब 45 लाख की इस आबादी में लगभग 25 लाख वोटर हैं, जो किसी भी पार्टी का गणित बनाने या बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं। परंपरागत रूप ये यह वोटर भाजपा के साथ रहा है, जो कि मंगलवार को आए नतीजों में भी देखा जा सकता है।

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दिल्ली विधानसभा चुनावों में जिस एक सीट पर सबसे रोमांचकारी मुकाबला देखने को मिला वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया की सीट पटपड़गंज थी। इस सीट पर उत्तराखंड के मतदाता सबसे ज्यादा संख्या में हैं।

आम आदमी पार्टी ने वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी

यही नहीं, जो सात सीटें भाजपा ने जीती हैं, उनमें से तीन सीटों पर उत्तराखंड के वोटरों ने पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई। भाजपा और कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड मूल के प्रत्याशियों को वोट दिया तो आम आदमी पार्टी ने वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

2016 में घोषणा करने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली चुनावों से ऐन पहले उत्तराखंड मूल के वोटरों को लुभाने के लिए सांस्कृतिक अकादमी का गठन भी किया। उत्तराखंड के लोक गायक हीरा सिंह बिष्ट को गढ़वाली-कुमाउंनी-जौनसारी भाषा अकादमी में उपाध्यक्ष बनाया।

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इसके अलावा, विनोद नगर में उत्तरायणी मेले के आयोजन से भी सिसोदिया ने इन वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश की थी। दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने गढ़वाली भाषा में अपने प्रचार का गीत ट्वीट किया था। गढ़वाली भाषा में आम आदमी पार्टी का चुनावी गीत। इतना शानदार गीत गाने के लिए सुनील थापलियाल जी का शुक्रिया।

इन इलाकों में उत्तराखंड के वोटर रहे BJP के लिए अहम

दिल्ली के विनोद नगर, पांडव नगर, लक्ष्मी नगर, गीता कॉलोनी, मयूर विहार फेज 2, मयूर विहार फेज 3, दिलशाद गार्डन, शाहदरा, सोनिया विहार, करावल नगर, संगम विहार, बदरपुर, आर के पुरम, पालम, महावीर इन्क्लेव, सागरपुर, उत्तम नगर, नज़फगढ़, शकूरपुर, वसंतकुंज, पटेल नगर, बुराड़ी, संत नगर और विश्वास नगर जैसे इलाकों में उत्तराखंड मूल के वोटर अहम हैं।

ये मतदाता किसी भी उम्मीदवार की जीत-हार में अहम भूमिका निभाते आए हैं। ये वोटर आमतौर पर भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है, जिसमें आम आदमी पार्टी और कांग्रेस सेंध लगाती रही है। कहा जा सकता है कि इन्हीं वोटरों की बदौलत विधानसभा चुनावों में लक्ष्मीनगर, करावल नगर और विश्वासनगर विधानसभा में भाजपा को जीत मिली तो शाहदरा, नजफगढ़ और कृष्णानगर में भाजपा ने आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर दी।

करावल नगर में मोहन सिंह बिष्ट ने खिलाया कमल

करावल नगर में भाजपा ने उत्तराखंड मूल के पूर्व विधायक मोहन सिंह बिष्ट को टिकट दिया था। उन्होंने बड़े अंतर से आम आदमी पार्टी के दुर्गेश पाठक को मात दी। मोहन सिंह बिष्ट इस सीट से 1998 से 2015 तक विधायक रहे हैं। उन्हें यहां से 2015 में आम आदमी पार्टी के कपिल मिश्रा ने हराया था।

लेकिन बाद में कपिल मिश्रा ने पार्टी छोड़ दी और इस बार भाजपा के टिकट पर मॉडल टाउन से उतरे। इस बार यहां आम आदमी पार्टी की ओर से दुर्गेश पाठक और कांग्रेस की ओर से अरविंद सिंह मैदान में थे। करावल नगर की बात करें तो यहां भी करीब 2.25 लाख कुल मतदाता हैं, जिनमें से करीब 60-65 हजार के आसपास उत्तराखंड मूल के मतदाता हैं।

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उत्तराखंड एकता मंच के संयोजक डॉ। विनोद बछेती का कहना है कि पूर्वी दिल्ली समेत दिल्ली के दूसरे हिस्सों में उत्तराखंड मूल के मतदाता बड़ी संख्या में रहते हैं। लेकिन संगठित न होने की वजह से ये टिकट के लिए राजनीतिक दलों पर दबाव नहीं बना पाते हैं।

उन्होंने कहा, 'एकता मंच की ओर से मांग की गई थी पूर्वी दिल्ली से उत्तराखंड मूल के शख्स को टिकट दिया जाए ताकि इन्हें महज वोटबैंक की तरह ट्रीट न किया जा सके। और इसका नतीजा करावल नगर से लेकर पटपड़गंज विधानसभा सीट पर देखने को मिला।'

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