सहायक शिक्षक भर्ती मामले में सरकार की ओर से किया जा रहा जोरदार बचाव
प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में योगी सरकार के बचाव पूरी ताकत लगाते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत चंद्रा ने बुधवार को लगातार तीन घंटे बहस की। बहस गुरूवार को भी जारी रहेगी। इस बीच केार्ट ने परीक्षा परिणाम न घोषित करने के बावत पारित अंतरिम आदेश याचिकाओं के निस्तारण तक बढ़ा दिया है।
लखनऊ : प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में योगी सरकार के बचाव पूरी ताकत लगाते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत चंद्रा ने बुधवार को लगातार तीन घंटे बहस की। बहस गुरूवार को भी जारी रहेगी। इस बीच केार्ट ने परीक्षा परिणाम न घोषित करने के बावत पारित अंतरिम आदेश याचिकाओं के निस्तारण तक बढ़ा दिया है। केार्ट याचिकाओं पर रोज-ब-रेाज सुनवाई करने का निर्णय लिया है।
दरअसल जस्टिस राजेश सिंह चैहान की बेंच ने मो0 रिजवान आदि की अेार से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इस केस में पहले सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता प्रथम श्रीप्रकाश सिंह पेश हेा रहे थे किन्तु बाद में सरकार ने वरिष्ठ वकील प्रशांत चंद्रा को लगा दिया है। चंद्रा ने अपनी बहस में लिखित परीक्षा के बाद सरकार द्वारा क्वालिफांइग मार्क्स तय करने के निर्णय को सही करार दिया है।
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चंद्रा ने कहा है कि सरकार की मंशा है कि अच्छे अभ्यर्थियेां का चयन हेा। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि 25 जुलाई 2017 केा सुप्रीम कोर्ट ने करीब एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रेां की सहायक शिक्षकों के रूप में नियुक्ति केा रद करते हुए उन्हेें देा बार भर्ती में वेटेज देने की जो बात कही है उसका तात्पर्य यह नहीं है कि मेरिट से समझौता किया जाये। सरकार के निर्णय का जोरदार बचाव करते हुए चंद्रा ने कहा कि सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पूर्व में हुई परीक्षा में एक लाख सात सौ अभ्यर्थी शामिल हुए थे जबकि इस बार 6 जनवरी 2019 को हुई परीक्षा में चार लाख दस हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे। बडे पैमाने पर अभ्यर्थियेां के शामिल होने के कारण क्वालिफाइंग मार्क्स नियत करना आवश्यक हो गया था।
सरकार ने 1 दिसम्बर 2018 को प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकेां की भर्ती के लिए प्रकिया प्रारम्भ की। इसके लिए 6 जनवरी 2019 को लिखित परीक्षा हुई। बाद में 7 जनवरी को सरकार ने सामान्य अभ्यर्थियेां के लिए 65 प्रतिशत व ओबीसी के लिए 60 प्रतिशत क्वालिफाइंग मार्क्स तय कर दिये। इसे याचियों ने कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट के 17 जनवरी के आदेश से परीक्षा परिणाम अधर मे लटक गया है जो कि याचिकाओं के निस्तारण तक जारी रहेगा।
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कोर्ट में लगातार तीन घंटे तक सरकार की ओर से बहस के बाद सुनवायी गुरूवार को भी जारी रखने का आदेश देते हुए केार्ट ने कहा कि चूंकि सुनवायी रोज रोज चल रही है अतः अंतरिम आदेश याचिकाओें के निस्तारण तक बढ़ाया जाता है।