Varanasi News: काशी के इस मंदिर में बैन किया गया मोबाइल-कैमरा, मंदिर प्रबंधन ने लिया निर्णय

Varanasi News: धर्म और आस्था की नगरी में अति प्राचीन दुर्गा मंदिर में अब मोबाइल, कैमरा, पेन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं जाएगा। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है।

Update: 2023-08-12 17:27 GMT
काशी के इस मंदिर में बैन किया गया मोबाइल-कैमरा: Photo- Newstrack

Varanasi News: धर्म और आस्था की नगरी में अति प्राचीन दुर्गा मंदिर में अब मोबाइल, कैमरा, पेन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नहीं जाएगा। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर मंदिर प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है। मंदिर परिसर में निःशुल्क लॉकर की व्यवस्था की गई ताकि दर्शनार्थियों को परेशानी न झेलनी पड़े। मंदिर प्रबंधन के सदस्यों की आज बैठक बुलाई गई थी। इसमें सदस्यों ने कहा कि मंदिर की मर्यादा, श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा व उनके हित सर्वोपरी है। इसको देखते हुए मंदिर परिसर के अंदर मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को ले जाना प्रतिबंधित किया गया है।

मंदिर प्रबंधन की तरफ से दिया गया निशुल्क लॉकर

मंदिर प्रबंधक बेचन त्रिपाठी ने बताया कि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था ध्यान में रखते हुए लॉकर में मोबाइल सहित अस्त्र-शस्त्र रखने की व्यवस्था की गई है और यह बिल्कुल निशुल्क है। किसी भी प्रकार का दर्शनार्थियों या अन्य लोगों से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि मोबाइल मंदिर के अंदर आने के बाद दुर्व्यवस्था फैलती थी। लोगों को मना करने पर उन्हें असहज भी लगता था।

सुरक्षा की दृष्टि से उठाया गया कदम

महंत परिवार के प्रेम शंकर त्रिपाठी ने बताया कि यह कदम सुरक्षा की दृष्टि से उठाया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि पुलिस, पत्रकार और मंदिर परिवार को छोड़कर किसी को भी मंदिर परिसर के अंदर मोबाइल, कैमरा आदि ले जाना वर्जित किया गया है। इस मीटिंग में महंत पं. राजनाथ दुबे, पं. कौशलपति द्विवेदी, पं. वेचन त्रिपाठी, पं. केवलकृष्ण द्विवेदी, पं. संजय दुबे, विकास दुबे, सोनू झा, पं. प्रेमशंकर त्रिपाठी, विश्वजीत दुबे समेत अन्य मौजूद रहे।

Varanasi News: काशी में संस्कृत भाषा का अपमान, पीएचडी प्रवेश परीक्षा में छात्रों ने लगाए ये आरोप

Varanasi News: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में संस्कृत की अनदेखी का आरोप लगाते हुए छात्रों ने प्रदर्शन किया। परीक्षा नियंत्रक के ऑफिस में संस्कृत की पीएचडी परीक्षा बीएचयू में ही करवाए जाने की मांग को लेकर छात्रों ने जमकर नारेबाजी की। परीक्षा नियंत्रक के कक्ष के बाहर घंटों तक छात्र धरने पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करते रहे।

सोमवार को फिर छात्र करेंगे आंदोलन

छात्रों ने अपनी मांग को लेकर कहा कि संस्कृत को भी बीएचयू के द्वारा कराई जा रही परीक्षा में शामिल किया जाए या फिर विश्विद्यालय के परीक्षा नियंत्रक अपना इस्तीफ़ा दे दें। छात्रों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों की अनदेखी की जाती है, तो आगामी सोमवार की दोपहर के पश्चात छात्र बड़ा आंदोलन करेंगे। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय बीएचयू का महत्वपूर्ण भाग है। इसकी स्थापना महामना ने भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म एवं ज्ञान परम्परा के अध्ययन एवं अनुशीलन हेतु की थी। इसके अंतर्गत 8 विभागों में 200 से अधिक शोधार्थी शोध कर रहे हैं। ऐसे में विगत दिनों विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी की प्रवेश परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया। जबकि ये परीक्षा विवि को स्वयं करानी चाहिए।

अभ्यर्थी सीटों के अनुपात में काफी कम संख्या में आवेदन कर पाते हैं

छात्रों ने कहा कि इस संबंध में निर्गत अधिसूचना में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय से सम्बन्धित विषयों को सूचीबद्ध नहीं किया गया है। यहां ध्यान देने वाली बात है कि संस्कृत के पारम्परिक विषयों की परीक्षा सम्मिलित रूप से होती है। जिससे प्राप्त अभ्यर्थी सीटां के अनुपात में काफी कम संख्या में होते हैं। अतः इन विषयों में विशेषज्ञता के आधार पर वृहद संख्या पंजीकृत होती है। विश्वविद्यालय द्वारा लिया गया वर्तमान निर्णय संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के छात्रों को पीएचडी में पंजीकृत होने से विरत करता है। छात्रों का आरोप है कि यह निर्णय हजारों छात्रों के भविष्य को अंधकार में कर रहा है। अतः विश्वविद्यालय से अनुरोध है, कि इस विषय का संज्ञान लेकर तत्काल इसे सम्मिलित कराएं या तो विश्वविद्यालय स्तर पर संकाय के लिए अलग परीक्षा कराने का निर्णय लें।

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