विकास दुबे एनकाउंटरः सवाल उठे हैं-उठेंगे भी, लेकिन सच ये है दुर्दांत का हो गया अंत

आश्चर्य की बात ये भी है कि मध्य प्रदेश सरकार व उसका पुलिस प्रशासन लगातार चिल्लाता रहा कि विकास दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया है बावजूद इसके लिखत पढ़त में मध्य प्रदेश पुलिस ने इतना बड़ा क्रेडिट नहीं लिया और गिरफ्तारी न दिखाते हुए यूपी की टीम के हैंडओवर कर दिया।

Update: 2020-07-10 11:54 GMT

अचानक सुर्खियों में आए कानपुर वाले विकास दुबे का चिरप्रतीक्षित एनकाउंटर आखिर हो ही गया। इसकी आशंका एक पुलिस अधिकारी समेत तमाम लोग पहले ही जता चुके थे। यहां तक कि एनकाउंटर का मामला कल रात ही सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंच गया था कि पुलिस को एनकाउंटर करने से रोका जाए। लेकिन सवाल तो उठ ही रहे हैं और उठते भी रहेंगे।

सवालों की शुरुआत विकास दुबे को उज्जैन से लखनऊ के लिए लेकर चलने से होती है। सोशल मीडिया पर कल से ही ये बात घूम रही थी कि अगर विकास दुबे को प्लेन से वापस लाया जाएगा तब तो ठीक है वरना सड़क से लाया गया तो एनकाउंटर की स्थिति हो सकती है। हो सकता है लोगों की आशंका उसकी दुर्दांत छवि की वजह से हो।

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पर सवाल ये है कि इतने खतरनाक अपराधी को जिसने कथित रूप से आठ पुलिसकर्मियों को उनके ही असलहों को छीनकर मार दिया था, ऐसे अपराधी को बिना हथकड़ी डाले क्यों लाया जा रहा था, पत्रकारों की टीम को ओवरटेक कर गाड़ी क्यों भगाई गई। क्यों पत्रकारों की टीम को दो जगह रोक दिया गया।

सवाल दर सवाल

जहां एक्सीडेंट हुआ बताया जा रहा है वहां 80-90 की स्पीड में आ रही गाड़ी के स्लिप होने से गाड़ी के टायर के कोई निशान क्यों नहीं हैं। एक्सीडेंट के बाद विकास दुबे हथियार छीन कर भागा तो पुलिस वाले इतने असावधान क्यों थे। सवाल यह भी है कि भाग रहे विकास दुबे को सीने में गोलियां कैसे मारी गईं।

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सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि जब विकास दुबे के दोनों पैर में रॉड पड़ी थी और वह लंगड़ाकर चलता था, पैदल 500 मीटर भी नहीं चल सकता था। तो इतनी भारी संख्या में हथियारों से लैस पुलिस बल के होते हुए उसने दिनदहाड़े भागने की कोशिश क्यों की। जबकि वह जानता था कि वह ज्यादा दूर नहीं भाग पाएगा।

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सवाल ये भी है कि विकास दुबे को भागना ही था तो वह उज्जैन मंदिर में जाकर सरेंडर क्यों किया। पकड़े जाने से पहले करीब दो घंटे तक वहीं रहा, इसके अलावा पकड़े जाने पर लोगों को खुद चिल्लाकर अपना नाम बताया। उसने चिल्ला-चिल्लाकर बताया कि वो विकास दुबे है कानपुर वाला। देखो पुलिस वालों ने पकड़ लिया है। वह तब भी वह नहीं भागा।

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आश्चर्य की बात ये भी है कि मध्य प्रदेश सरकार व उसका पुलिस प्रशासन लगातार चिल्लाता रहा कि विकास दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया है बावजूद इसके लिखत पढ़त में मध्य प्रदेश पुलिस ने इतना बड़ा क्रेडिट नहीं लिया और गिरफ्तारी न दिखाते हुए यूपी की टीम के हैंडओवर कर दिया।

खैर मामला अब सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है और मानवाधिकार आयोग में भी। सच ये है कि आठ पुलिसकर्मियों का हत्यारा विकास दुबे अब मारा जा चुका है।

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