Sonbhadra news: यूपी में गहराया बिजली संकट, 23993 मेगावाट पहुंची अधिकतम डिमांड
यूपी में बिजली संकट के कारण 23993 मेगावाट पहुंची अधिकतम डिमांड, न्यूनतम मांग भी बढ़कर 16419 हो गई, सोनभद्र जिला मुख्यालय समेत प्रदेश के कई हिस्सों में ताबड़तोड़ कटौती जारी है, 5.53 रुपए प्रति यूनिट तक खरीदी गई बिजली।
Sonbhadra news: मानसून की बेरुखी के चलते बढ़ती गर्मी और भारी उमस के चलते यूपी में बने बिजली संकट के हालात बेकाबू होने लगे हैं। सोमवार की रात रिकॉर्ड हुई अधिकतम मांग 23870 जहां मंगलवार की रात आठ बजे ही 23000 मेगावाट को पार कर गई। वहीं अर्धरात्रि के बाद 2.10 बजे आंकड़ा 23993 मेगावाट पहुंच गया। इसके चलते पूरी रात पावर सेक्टर में हड़कंप की स्थिति रही।
सोनभद्र जिला मुख्यालय सहित प्रदेश के कई हिस्सों में ताबड़तोड़ कटौती की गई। वहीं हालात संभालने के लिए ₹5.53 से भी अधिक की दर से बिजली खरीदनी पड़ी। न्यूनतम बिजली खपत ने भी उच्च स्तर बनाए रखा। मंगलवार को 15731 मेगावाट रही मिनिमम डिमांड बुधवार की सुबह सात बजे 16419 पर पहुंच गई। मंगलवार शाम सात बजे के बाद से ही अचानक से बढ़ी डिमांड ने पावर सेक्टर से जुड़े लोगों में खलबली मचा कर रख दी।
जारी रही आपात कटौती
महंगी बिजली खरीदने के साथ ही एनटीपीसी रिहंद का उत्पादन बेहतर होने और राज्य सेक्टर तथा निजी सेक्टर के कई इकाइयों से पूर्ण क्षमता से उत्पादन होने के बाद जाकर स्थिति नियंत्रित हुई। नॉर्दन रीजन लोड डिस्पैच सेंटर और यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के मुताबिक इसके बावजूद विद्युत उपलब्धता में लगभग 300 मेगावाट की कमी बनी रहे, जिसके चलते आपात कटौती का क्रम जारी रखना पड़ा।
एनटीपीसी रिहंद और लैंको में उत्पादन हुआ बेहतर
रिहंद जल विद्युत गृह ने भी दी रिकॉर्ड बिजली : बिजली संकट से जूझ रहे राज्य के पावर सेक्टर को 3000 मेगावाट क्षमता वाली एनटीपीसी रिहंद और 1200 मेगावाट क्षमता वाली लैंको अनपरा ने बड़ी राहत दी। एनटीपीसी रिहंद के तीनों स्टेजों में बेहतर उत्पादन और लैंको की बंद पड़ी 600 मेगावाट वाली इकाई के पूर्ण क्षमता से उत्पादन पर आने के बाद पावर सेक्टर ने बड़ी राहत महसूस की।वहीं जरूरत को देखते हुए रिहंद डैम का जलस्तर बेहतर न होने के बावजूद इस पर स्थित 300 मेगावाट वले जल विद्युत गृह से सेड्यूलिंग से दोगुनी क्षमता से उत्पादन लिया गया। जो इस वर्ष का अब तक का सर्वाधिक उत्पादन है।
ओबरा परियोजना का उत्पादन बढ़ाकर 600 मेगावाट कर दिया गया
ओबरा परियोजना में भी जरूरत को देखते हुए 500 मेगावाट के करीब रहने वाला उत्पादन बढ़ाकर 600 मेगावाट कर दिया गया। इसके चलते राज्य के विद्युत उपलब्धता में 1500 से 2000 मेगावाट की वृद्धि हो गई, जिससे सिस्टम कंट्रोल को मांग बढ़ने के साथ विद्युत आपूर्ति नियंत्रित रखने में काफी राहत मिली। उधर एनटीपीसी रिहंद प्रबंधन का कहना है कि परियोजना के प्रथम स्टेज में बंद चल रही है कि एख इकाई को भी उत्पादन पर लाने में अभियंता जुटे हुए हैं पूरी उम्मीद है की देर रात तक इसे भी उत्पादन पर ले लिया जाएगा। बता दें कि एनटीपीसी से उत्पादित बिजली उत्तर प्रदेश के अलावा देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य कई राज्यों को दी जाती है और उसकी बिजली भी सबसे सस्ती होती है। यहीं कारण है कि जब एनटीपीसी में विद्युत उत्पादन लुढ़कता होता है तो उसका असर कई राज्यों में देखने को मिलता है। -Kaushlendra pandey, mo. 8542035134.