Sonbhadra News: प्रदेश में गहराया बिजली संकट, ओबरा-अनपरा सहित अन्य परियोजनाओं की 18 इकाइयां ठप
Sonbhadra News: एनटीपीसी से सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली, पंजाब, राजस्थान सहित कई राज्यों को बिजली आपूर्ति होती है।
Sonbhadra News: प्रदेश में बिजली उपलब्धता न होने से सिस्टम कंट्रोल को सोनभद्र सहित कई जनपदों में आपात कटौती का सहारा लेना पड़ा। बिजली उपलब्ध ना होने के कारण मंगलवार की रात पीक आवर में 1070 मेगावाट बिजली की कमी दर्ज की गई। वहीं 22,000 मेगा वाट के करीब पहुंचे अधिकतम मांग के मुकाबले भी बिजली की उपलब्धता कम बनी रही।
एनटीपीसी शक्तिनगर कि 200 मेगावाट क्षमता वाली दूसरी और लैंको अनपरा की 660 मेगावाट वाली पहली इकाई के उत्पादन पर आने के बाद जहां सस्ती बिजली की उपलब्धता बढ़ी है। वहीं एनटीपीसी रिहंद की 500 मेगावाट क्षमता वाली दो इकाइयां, ओबरा परियोजना की 200 मेगावाट क्षमता वाली दो इकाइयां, अनपरा परियोजना की 500 मेगावाट क्षमता वाली दो इकाइयां, NTPC शक्तिनगर की 500 मेगावाट क्षमता वाली एक इकाई सहित अन्य परियोजनाओं की कुल 18 इकाइयों के बंद रहने से राज्य में बिजली संकट बरकरार है।
नॉर्दन रीजन लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार पर्याप्त बिजली उपलब्ध ना होने के कारण मंगलवार की रात पीक आवर में 1070 मेगावाट बिजली की कमी दर्ज की गई। वहीं 22,000 मेगा वाट के करीब पहुंचे अधिकतम मांग के मुकाबले भी बिजली की उपलब्धता कम बनी रही। इसके चलते सिस्टम कंट्रोल को सोनभद्र सहित कई जनपदों में आपात कटौती का सहारा लेना पड़ा।
बंद पड़ी इकाइयों को उत्पादन पर लाने के प्रयास
बताते चलें कि जनपद स्थित ओबरा परियोजना की दो, अनपरा परियोजना की दो, एनटीपीसी शक्तिनगर की दो इकाई पिछले दिनों से बंद है। ब्वॉयलर ट्यूब लीकेज के चलते गत मंगलवार की रात से एनटीपीसी रिहंद की भी 500-500 मेगावाट क्षमता वाली दो इकाइयां बंद हो गई हैं। इसी तरह रोजा, टांडा, हरदुआगंज, परीक्षा की कई इकाइयां बंद है। राज्य विद्युत उत्पादन निगम के एमडी पी गुरु प्रसाद के सोनभद्र दौरे से लौटने के बाद सामने आई कई इकाइयों की बंदी से जहां शक्ति भवन तक हड़कंप की स्थिति बनाए हुए है।
वहीं बिजली संकट की स्थिति से निकलने के लिए राज्य सेक्टर की परियोजनाओं की बंद पड़ी इकाइयों को उत्पादन पर लाने के प्रयास भी तेजी से जारी हैं। परियोजना प्रबंधनों से मिली जानकारी के अनुसार आज देर शाम या रात तक राज्य और केंद्र सेक्टर की तीन से चार इकाइयां उत्पादन पर आ सकती हैं। उनके उत्पादन पर आने से जहां एक हजार मेगावाट से डेढ़ हजार मेगावाट तक बिजली की उपलब्धता बढ़ जाएगी। वहीं पिछले तीन दिन से बेचौनी की स्थिति से गुजर रहे पावर सेक्टर को भी बड़ी राहत मिली दिखाई देगी।
200 मेगावाट की आपात कटौती
नार्दर्न रीजन लोड डिस्पैच सेंटर और स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार की रात दस बजे बिजली की अधिकतम मांग 21972 मेगावाट तक पहुंच गई। इसके मुकाबले बिजली की उपलब्धता कम होने के कारण करीब 200 मेगावाट की आपात कटौती कराई गई, तब जाकर मांग और आपूर्ति में संतुलन की स्थिति बन पाई। वहीं पीक आवर में 19746 मेगा वाट के मुकाबले 18046 मेगावाट ही बिजली उपलब्ध हो पाई। इसके कारण पीक आवर में 1070 मेगावाट बिजली की पड़ी कमी के चलते सोनभद्र सहित प्रदेश के कई हिस्सों को जबरदस्त कटौती का सामना करना पड़ा। उधर, रिहंद जलाशय के जलस्तर में धीरे-धीरे बढ़ोतरी का क्रम बना हुआ है।
कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार बुधवार की सुबह रिहंद का जलस्तर 855 फीट पहुंच गया है। पिछले वर्ष के मुकाबले यह 2.5 फीट अधिक है। बेहतर जलस्तर होने के बाद पीक आवर में रिहंत जल विद्युत की उत्पादनरत इकाइयों से पूरी क्षमता से बिजली मिलने का क्रम शुरू हो गया है। बता दें कि एनटीपीसी से सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, देश की राजधानी दिल्ली, पंजाब, राजस्थान सहित कई राज्यों को बिजली आपूर्ति होती है। यहीं कारण है कि जब एनटीपीसी में उत्पादन लुढ़कता है तो उसका असर यूपी के साथ अन्य राज्यों में भी दिखाई देने लगता है।