Sonbhadra News: चार परियोजनाओं पर 4.36 करोड़ पेनाल्टी, राख से भरा रिहंद डैम, रेणुका-सोन नदियां भी चपेट में

Sonbhadra Special : रेणुका नदी से होते हुए सोन में राख जाने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है।

Published By :  Shraddha
Update:2021-10-06 13:51 IST

राख से भरा रिहंद डैम

Sonbhadra News: बिजलीघरों की राख-औद्योगिक अवशिष्टों से पट रहा रिहंद डैम, प्रदूषित हो रही रेणुका और सोन, केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सख्त, चार परियोजनाओं पर 4.36 करोड़ पेनाल्टी ये है आज की बड़ी खबर।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) की सख्ती और औद्योगिक अवशिष्टों के भराव के कारण रिहंद डैम (Rihand Dam)को खतरा तथा डैम के आस-पास के जलस्रोतों के प्रदूषित होने की चेतावनी के बावजूद रिहंद डैम में बिजली घरों की राख एवं अन्य औद्योगिक अवशिष्टों के प्रवाह की शिकायतें थमने का नाम नहीं ले रही है।

रेणुका नदी से होते हुए सोन में राख जाने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इससे नाराज केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने जहां गड़बड़ियों के बाबत विस्तृत रिपोर्ट NGT को सौंपी है। वहीं हिण्डाल्को (HINDALCO) की रेणुकूट स्थित अल्युमिनियम फैक्ट्री, राज्य के स्वामित्व वाले अनपरा, ओबरा बिजलीघर और केंद्र सेक्टर की मिनी रत्न कंपनी नार्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (NCL) की दुधीचुआ कोल परियोजना पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए चार करोड़ 36 लाख (प्रत्येक को 1.9 करोड़) की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति वसूलने का निर्देश देने की रिपोर्ट दी है।


रेणुका नदी

परियोजनाओं को अगले दौरे से पूर्व गड़बड़ी दुरुस्त करने के निर्देश के साथ ही, अन्य परियोजनाओं को भी प्रदूषण मानकों के पालन के लिए कई कड़े निर्देश दिए गए हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) और जिला प्रशासन की तरफ से NGT को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि सीपीसीबी के क्षेत्रीय निदेशक राजेंद्र डी पाटिल, यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी राधेश्याम, जिले के नोडल एसडीएम दुद्धी रमेश कुमार की संयुक्त टीम ने यूपी स्थित बिजली, कोल एवं अन्य परियोजनाओं का दौरा किया था।

एनटीपीसी शक्तिनगर के ऐशडैम के निरीक्षण के दौरान पाया कि यहां भरा राख मिश्रित पानी ओवरफ्लो होकर सीधे रिहंद में जा रहा है। इस पर नाराजगी जताते हुए किसी भी रूप में रिहंद का राख प्रवाह शीघ्र रोकने के निर्देश दिए गए। एनटीपीसी रिहंद के ऐशडैम की स्थिति करीब-करीब ठीक मिली। किसी भी हाल में राख मिश्रित पानी का रिसाव आसपास फैलने न पाए, इसके लिए प्रभावी निगरानी की हिदायत दी गई।

अनपरा परियोजना के बेलवादह ऐशडैम के पास रिहंद जलाशय के सतह पर राख का जमाव और मोर्चा नाले में राख के प्रवाह पर नाराजगी जताते हुए 1.9 करोड़ की पर्यावरण क्षति तय की गई और अगले दौरे से पूर्व राख प्रवाह पूरी तरह रोकने की व्यवस्था के निर्देश दिए गए।


प्रदूषित हो रही रेणुका और सोन

लैंको और रेणुसागर पावर प्लांट को भी कई निर्देश दिए गए। ओबरा में जहां पावर प्लांट की राख एवं अन्य अवशिष्टों का प्रवाह सीधे रेणुका नदी होते हुए सोन में मिला। वहीं ऐशडैम की भी कई कमियां दिखीं। इसके लिए ओबरा परियोजना पर भी 1.9 करोड़ की क्षतिपूर्ति तय की गई।

एनसीएल की दुधीचुआ परियोजना में पाया गया कि ईटीपी परिचालन ठप पड़ा है और ईटीपी परिसर में बड़ी मात्रा में गाद (कोयला डस्ट) भराव है। ईटीपी संचालित न होने की कारण बिना किसी उपचार के इसे बलिया नाला में छोड़ा जा रहा था, जो रिहंद डैम से जुड़ता है। जबकि पूर्व के दौरे में इसको लेकर सचेत भी किया गया था। इसके लिए दुधीचुआ परियोजना पर भी 1.9 करोड़ की पर्यावरण क्षतिपूर्ति तय की गई।

खड़िया, बीना, कृष्णशिला और ककरी परियोजना में भी कई कमियां पाई गईं, जिसे दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए। इसी तरह हिण्डाल्को अल्युमिनियम फैक्ट्री रेणुकूट में रेड मड आदि के निस्तारण में खामियां मिलीं। टीम ने इसे Zero Liquid Discharge System (ZLD) की शर्तों का उल्लंघन किया और इसके जरिए पर्यावरण को 10 वर्ष तक पहुंची क्षति के लिए 1.9 करोड़ की क्षतिपूर्ति तय की गई।

155.42 करोड़ की पर्यावरणीय क्षति तय करने के बाद भी नहीं सुधरे हालात

बलिया नाला के जरिए रिहंद डैम में बड़ी मात्रा में मरकरी के उत्सर्जन की कई रिपोर्ट और पूर्व में त्रिसदस्यीय समिति द्वारा रेणुकूट स्थित ग्रासिम इंडस्ट्रीज केमिकल डिवीजन पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति 155.42 करोड़ लगाए जाने के बावजूद हालात बेहतर नहीं बन सके हैं।



रिपोर्ट के मुताबिक दौरे पर गई टीम ने पाया कि पारा युक्त नमकीन कीचड़ को सुरक्षित स्थानांतरित करने और क्लोरीनयुक्त रसायन के सुरक्षित निस्तारण की प्रक्रिया अब तक नहीं पूरी की जा सकी है। जबकि इसके लिए एनजीटी ने इसके निर्देश तो दिए ही हैं, एचडब्ल्यूएम नियम 2016 के तहत इसे खतरनाक अपशिष्ट के रूप में वर्गीकृत किया गया है। 155 करोड़ की पर्यावरणीय क्षति का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण, क्षतिपूर्ति के मसले पर तो कोई कार्रवाई नहीं की गई लेकिन खतरनाक अवशिष्टों के असुरक्षित निस्तारण को रोकने के लिए निर्देश दिए गए हैं।

उधर, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी टीएन सिंह का कहना है कि परियोजनाओं पर तय की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की रिपोर्ट मुख्यालय को भेज दी गई है। वहां से निर्देश मिलते ही वसूली की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। वहीं जिन खामियों को दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए थे। परियोजनाओं की तरफ से उसके अनुपालन की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम आने पर भौतिक स्थिति जांची जाएगी और उसके परिप्रेक्ष्य में जरूरी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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