Sonbhadra News: धान खरीद: न रोशनी, न अलाव, आसमान तले ठिठुरते मिले 'अन्नदाता', कई दिन इंतजार के बाद भी नहीं बिक पा रही उपज

Sonbhadra News: जनपद सोनभद्र में धान खरीद केंद्रों पर किसान कोई ट्राली के नीचे तो कोई आसमान तले रात गुजारता मिल रहा है। कई भगवान भरोसे धान छोड़ घर चले गए।

Published By :  Shashi kant gautam
Update:2021-12-16 17:00 IST

Sonbhadra News: एक तरफ जहां योगी सरकार (Yogi Sarkaar) धान खरीद केंद्रों (Paddy Procurement Centers) पर बेहतर इंतजाम का दावा कर रही है। वहीं सोनभद्र में अन्नदाता कई-कई दिन अपनी बारी के इंतजार में, झाड़-झंखाड़ भरे स्थलों पर, अंधेरे में आसमान तले रात गुजारने को विवश हैं। कई केंद्रों पर न तो पर्याप्त बोरे हैं, ना ही डबल कांटा का इंतजाम। कई दिन इंतजार के बाद बारी आ भी रही है तो केंद्र प्रभारियों, बिचौलियों और दबंग किसानों की तिकड़ी उन्हें पीछे धकेल दे रही है।

बुधवार की रात News Track ने धान खरीद के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे अन्नदाताओं का हाल जाना तो दूसरे केंद्रों की कौन कहे, जिला मुख्यालय स्थित हाट शाखा पर दिखी तस्वीरों ने झकझोर कर रख दिया। यह स्थिति तब मिली जब यह केंद्र सदर तहसील कार्यालय (Sadar Tehsil Office) से चंद कदम की दूरी पर और धान खरीद विपणन अधिकारी के कार्यालय से सटा है।

कोई ट्राली के नीचे तो कोई आसमान तले गुजारता मिला रात, कई भगवान भरोसे धान छोड़ चले गए थे घर

रात नौ बजे जब Newstrack का Reporter वहां पहुंचा तो हर तरफ अंधेरा छाया हुआ था। लावारिस सरीखे हाल में ट्राली पर धान लगा पड़ा था। किसी ने त्रिपाल से ढक रखा था तो किसी का बोरे में कसा धान ट्राली पर खुले हाल में ही आसमान तले पड़ा हुआ था। खड़ी ट्रालियों के बीच जाने पर एक ट्राली के नीचे पिपरी गांव निवासी सजाउद्दीन और बेठिगांव निस्फ निवासी जमद पाल एक ट्राली के नीचे रात गुजारते मिले।


सलाउद्दीन ने बताया कि वह 8 दिन से धान लेकर यहां पड़े हुए हैं लेकिन उनकी बारी कब आएगी इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। यहां लाने के भाड़ा के अलावा हर रात उन्हें ₹300 ट्राली का अलग से देना पड़ रहा है। कुछ कदम दूर बेठिगांव निस्फ के बीडीसी योगेश मौर्या आसमान तले रजाई में लिपटे मिले।

आठ दिन से जमे हुए हैं लेकिन अब तक उनकी बारी नहीं आ पाई

बताया कि वह भी आठ दिन से जमे हुए हैं लेकिन अब तक उनकी बारी नहीं आ पाई है। उन्होंने अपना एक पैर दिखाते हुए बताया कि फ्रैक्चर हालत में भी उन्हें आसमान तले रात गुजारनी पड़ रही है। सत्यनारायण और कमलेश भी कई दिन से लाइन लगाए मिले। धान नदी तालियों के समूह से आगे बढ़ने पर एक कोने में नई बाजार निवासी निर्मल कुमार अपने ट्राली पर लदे धान के बोरों को रस्सी से बांधते मिले। बताया कि आठ दिन के इंतजार के बाद बुधवार को उनकी बारी आई। ट्राली पर लदे धान को उतारने के लिए पल्लेदार आ गए, चलना भी लग गया लेकिन अचानक से एक प्रभावशाली किसान वहां पहुंचे और उसे पीछे धकेल कर अपना धान उतारने के लिए लगा दिया


बिचौलियों के हाथ बेचने के लिए मजबूर

केंद्र प्रभारी और मौजूद कर्मियों ने भी उनका धान उतारना शुरू कर दिया। अनुनय-विनय के बाद भी किसी ने एक न सुनी। कब बारी आएगी, इसका भी जवाब नहीं मिला। इसलिए अब वह इस धान को बिचौलियों के हाथ बेचने के लिए वापस जा रहे हैं। लावारिस सरीखी खड़ी धान लदी ट्रालियों के बारे में बताया गया कि ठंड के चलते कुछ लोगों की हालत बिगड़ गई इसलिए कहीं ज्यादा तबीयत न खराब हो जाए, कई लोग धान इसी हाल में छोड़ कर चले गए।


सुरक्षा के इंतजाम नदारद, चोरी की बढ़ रही शिकायतः किसानों का कहना था कि ठंड के चलते कई लोगों द्वारा लावारिश हाल में छोड़ कर चले जाने से और रोशनी तथा सुरक्षा का कोई इंतजाम ना होने से रात में धान चोरी भी होने लगा है।


उधर जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी संजय पांडेय का कहना है कि नंबर क्या हिसाब से धान की खरीदारी करवाई जा रही है। कुछ लोग जल्दबाजी कर रहे हैं, उसी से दिक्कत आ रही है। नई बाजार वाले किसान की समस्या जैसे ही संज्ञान में आई वैसे ही पहल कर उसका समाधान कराया गया। आज उसका धान खरीदा जा रहा है।

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