UP News : यूपी के इस कारोबारी ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद की कौड़ियों के भाव खरीद डाली थी संपत्ति, अब मिली जीत, जानिए पूरा मामला

Businessman Hemant Jain : फिरोजाबाद के रहने वाले कारोबारी भाईयों हेमंत जैन और पीयूष जैन ने 2001 में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद की सम्पत्ति को खरीदा था। 23 साल बाद रजिस्ट्री तो हो गई, लेकिन कब्जा अभी नहीं मिला है। जानिए क्या है पूरा मामला?

Newstrack :  Network
Update:2025-01-01 17:21 IST

Underworld Don Dawood Ibrahim and Businessman Hemant Jain (Pic- Social Media)

Businessman Hemant Jain : अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की मुंबई के नागपाड़ा इलाके स्थित दुकान की 2001 में नीलामी हुई थी। डॉन दाऊद की दहशत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसकी सम्पत्ति को खरीदने के लिए कई दिनों तक कोई खरीदार नहीं मिला, तब यूपी के कारोबारी भाईयों ने हिम्मत दिखाते हुए उसकी संपत्ति को खरीदा था। वह पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने उसकी संपत्ति को खरीदा था। हालांकि यह संपत्ति विवादों में फंस गई थी, 23 साल तक चली लंबी लड़ाई के बाद रजिस्ट्री तो हो गई हैं, लेकिन मालिकाना हक अभी नहीं मिला है। सपा नेता रामजी लाल सुमन ने उनके इस साहस के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखकर सम्मानित किए जाने की मांग की है।

आयकर विभाग ने मुंबई के नागपाड़ा इलाके में जयराज भाई स्ट्रीट के पास अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की 23 सम्पत्तियों को साल 2001 में जब्त किया था। इन सम्पत्तियों की नीलामी के लिए विज्ञापन भी प्रकाशित कराए गए थे, लेकिन कई दिनों तक इन सम्पत्तियों के लिए कोई खरीदार नहीं मिला था। इस विज्ञापन पर यूपी के फिरोजाबाद के रहने वाले कारोबारी भाईयों हेमंत जैन और पीयूष जैन की नजर पड़ी तो उन्होंने 144 वर्ग फुट की दुकान खरीदने का फैसला लिया। उन्होंने 20 सितंबर 2001 यानी आज से करीब 23 साल पहले दो लाख रुपए में दुकान को खरीद लिया था। उन्होंने 20 सितंबर और 28 सितंबर को क्रमश: एक-एक लाख रुपए जमा करा दिए थे।

अधिकारियों ने किया गुमराह

कारोबारी भाईयों ने दुकान को तो खरीद लिया था, लेकिन उस समय उन्हें कब्जा नहीं दिया गया था। इसे लेकर कारोबारी ने कई बार आयकर विभाग को पत्र लिखा और कब्जा दिलाए जाने की गुहार लगाई थी, लेकिन यह मामला धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में चला गया। कारोबारी ने बताया कि अधिकारियों ने केंद्र के स्वामित्व वाली सम्पत्तियों को हस्तांतरित करने का पर प्रतिबंध होने का दावा करत करते हुए उन्हें गुमराह किया गया, क्योंकि उन्हें बाद में पता चला कि कोई भी प्रतिबंध नहीं था।

Dawood Ibrahim (Pic Social Media)

कई प्रधानमंत्रियों को लिख चुके पत्र

उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी को कई बार पत्र भी लिखे, लेकिन स्वामित्व हस्तांतरण प्रक्रिया अधर में ही लटकी रही। आयकर विभाग ने 16 साल बाद यानी 2017 में बताया कि मूल फाइलें गायब हो गईं हैं, वर्तमान बाजार मूल्य के हिसाब से स्टाम्प शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा, जो करीब 23 लाख रुपए बनता है। इसके बाद कारोबारी ने तर्क दिया कि सम्पत्ति नीलामी में खरीदी गई है, ऐसे में स्टाम्प ड्यूटी की गणना बाजार मूल्य के अनुसार नहीं की जानी चाहिए। इसके बाद उन्होंने कई वर्षों तक रजिस्ट्रार कार्यालय के भी चक्कर लगाए, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

23 साल बाद हुई रजिस्ट्री

इसके बाद उन्होंने स्टांप ड्यूटी और दंड के रूप में 1.5 लाख रुपए का भुगतान किया और अंतत: 19 दिसंबर, 2024 को संपत्ति उनके नाम पर पंजीकृत हो गई। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई अभी तब तक जारी रहेगा, जब तक कब्जा नहीं मिल जाता है। कब्जे के बिना जीत अधूरी है। बताया जा रहा है कि दुकान पर दाऊद के गुर्गों का अभी भी कब्जा है। कारोबारी ने बताया कि अधिकारियों ने उसने कहा था कि संपत्ति को भूल जाइये और शांति से रहिए। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद मुझे कोई डर नहीं लग रहा है, मेरी लड़ाई जारी रहेगी। बता दें कि दाऊद इब्राहिम की ये सम्पत्तियां तस्करी और विदेशी मुद्रा हेरफेर (संपत्ति जब्ती) अधिनियम 1976 (SAFEMA) के तहत कार्रवाई की गई थी।

सम्मान दिए जाने की मांग

वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर जैन कारोबारी को उनके साहस के लिए सम्मानित करने की मांग की है। उनकी यह लड़ाई भौतिक सीमाओं से परे है। कारोबारी ने कहा कि इस संपत्ति को खरीदने का मेरा मुख्य कारण दाऊद इब्राहिम के प्रभुत्व को चुनौती देना था।

Tags:    

Similar News