विश्व रक्तदाता दिवस: 'हर 2 सेकेंड में किसी न किसी को रक्त की आवश्यकता होती है'

विश्व रक्तदाता दिवस- 14 जून को रक्तदाताओं के सम्मान में कार्ल लैण्ड स्टीनर प्रख्यात ऑस्ट्रेलियन जीव विज्ञानी के जन्मदिन पर मनाया जाता है। उन्होंने रक्त में ऐब्लूटिनन की मौजूदगी के आधार पर ब्लड ग्रुप का वर्गीकरण किया।

Update:2020-06-13 18:53 IST
विश्व रक्तदाता दिवस: 'हर 2 सेकेंड में किसी न किसी को रक्त की आवश्यकता होती है'

हीरालाल

विश्व रक्तदाता दिवस- 14 जून को रक्तदाताओं के सम्मान में कार्ल लैण्ड स्टीनर प्रख्यात ऑस्ट्रेलियन जीव विज्ञानी के जन्मदिन पर मनाया जाता है। उन्होंने रक्त में ऐब्लूटिनन की मौजूदगी के आधार पर ब्लड ग्रुप का वर्गीकरण किया। जिसके लिए 1930 में नोबेल पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया। रक्त सुरक्षा कार्यक्रम का मूल उद्देश्य आवश्यकतानुसार प्रत्येक व्यक्ति को उसकी सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति को नजरअंदाज करते हुए उच्च गुणवत्ता वाला रक्त या रक्त अवयव उपलब्ध कराना है। बिना भुगतान वाले स्वैच्छिक रक्तदाताओं द्वारा सुरक्षित रक्तदान से ही इसे पूरा किया जा सकता है। साथ ही व्यवसायिक रक्तदान को समाप्त करते हुए स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देना तथा प्रतिस्थानी रक्त में कमी लाना है।

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लोगो में जागरूकता बढ़ानेके लिए जगह-जगह प्रतियोगिता की जाती है। रैली निकाली जाती है। पोस्टर प्रतियोगिता में लोगों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। जिससे पता चलता है कि लोग रक्तदान के प्रति जागरूक हो रहे है। आंकडे़ बताते है कि उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 22 लाख यूनिट की आवश्यकता होती है। जबकि मात्र 13 लाख 59 हजार यूनिट ही पूर्व वर्ष में संग्रहीत किया गया है। यह देखा गया है कि कुल रक्तदान का मात्र 27 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान होता है। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2020 तक 100 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

रक्त की आवश्यकता केवल नियमित एवं स्वैच्छिक रक्तदान से ही पूरी की जा सकती है। स्वैच्छिक रक्तदान से प्राप्त रक्त ही सबसे सुरक्षित होता है। रक्तदान से गंभीर रोगों से पीड़ित

लोगों को नया जीवन दिया जा सकता है। इसलिए स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस दिन को पूरे माह मनाया जायेगा। इस वर्ष विश्व रक्तदाता दिवस की थीम “Safe Blood Saves Lives" तथा स्लोग्न “Give blood and make world a healthier place" है।

रक्त का कोई विकल्प नहीं है

रक्त का कोई विकल्प नहीं है। रक्त किसी लैब में बनाया नहीं जा सकता। जिसे रक्त की आवश्यकता होती है उसे केवल रक्त से ही जीवनदान मिल सकता है। एक यूनिट रक्तदान से 04 लोगों की जान बचायी जा सकती है। हर दो सेकेंड में किसी न किसी को रक्त की आवश्यकता पड़ती है। रक्तदान करने योग्य व्यक्ति में सिर्फ 04 प्रतिशत ही रक्तदान करते है। आज रक्तदान कर जीवनदान दें। कल आवश्यकता पड़ने पर आपको भी रक्त प्राप्त होगा।

रक्तदान कई जिन्दगी बचाता है। इसका एहसास तब होता है जब हमारा अपना कोई जिन्दगी और मौत से जूझ रहा होता है। बच्चों के जन्मदिन या अन्य खुषी के अवसरों पर रक्तदान कर खुषियों को बढ़ाया जा सकता है और परोपकार व मानवता जैसी मूल्यों को जिन्दा

रखा जा सकता है।

कुछ भ्रॉतियॉ है। जिसके कारण लोग स्वेच्छा से रक्तदान करने से हिचकते है। यह भी बताना है कि शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया सदैव चलती रहती है। रक्तदान के लिए स्पष्ट प्रक्रिया का पालन किया जाता है। स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। रक्तदान में मात्र 10 से 15 मिनट का समय लगता है। व्यक्ति पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। रक्तदान करने से बहुत ज्यादा सन्तुष्टि मिलती है। रक्तदान की महत्वा को अपने से जुडे सभी लोगों को समझाना चाहिए ताकि वे रक्तदान के लिए आगे आयें। स्वैच्छिक रक्तदान से ही प्रतिस्थानी रक्त में कमी लायी जा सकती है। यदि हम जागरूकता बढ़ाकर रक्तदान करायेंगे तो प्रतिस्थानी रक्तदाता की आवश्यकता कम हो जायेगी।

वर्तमान में देश ही नहीं पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है

वर्तमान में देश ही नहीं पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में जहां सर्जरी तथा दुर्घटनाएं कम होने के कारण रक्त की आवश्यकता में कमी आयी है वही आवागमन में असुविधा व कोरोना को लेकर भ्रॉन्तियों के चलते स्वैच्छिक रक्तदान में कमी आयी है।

स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए शिविर हेतु एन0बी0टी0सी0 तथा एस0बी0टी0सी0 द्वारा गाइडलाइन जारी किये गये है जिसमें सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए शिविर लगाये जा रहे है।

हमारे प्रदेश में कुल-352 रक्तकोष संचालित है। जिनमें सरकारी- 107 एवं गैर सरकारी- 245 रक्तकोष है। आउटडोर शिविर अथवा रक्तकोष में जाकर कोई भी व्यक्ति जिसकी उम्र 18-65 वर्ष के बीच हो तथा वजन 45 किग्रा0 से अधिक हो तथा हीमोग्लोबिन कम से कम 12.5 हो प्रत्यके तीन माह पर पुरूष तथा 04 माह पर महिलाएं रक्तदान कर सकते है। किसी को रक्तदान देकर आप उसे जीवनदान देते है और तमाम जिन्दगियों के चेहरे पर मुस्कराहट पैदा करते है।

महिलाओं में रक्तदान का प्रतिशत बहुत ही कम, मात्र 4.33 प्रतिशत है। शायद महिलाएं रक्तदान के क्षेत्र में इसीलिए पीछे है कि वे इसकी आवश्यकता पर ध्यान कम दे रही है। समय नहीं निकाल पाती है। परिवार में व्यस्त रहती है। अक्सर एनीमिक होती है। कुछ तो भ्रॉतियों की शिकार है। महिलाओं को आगे आना चाहिए। सभी भ्रॉतियों को दूर करे। मात्र 10-15 मिनट का समय निकाले। रक्तदान कर जीवनदान देकर अपना नाम जगत जीवनदायिनी के रूप में सार्थक करें। जहां महिलाएं सभी क्षेत्रों में आगे है। रक्तदान के क्षेत्र में भी महिलाओं को अपना पूर्ण योगदान देना चाहिए।

कोविड-19 के संक्रमण के दृष्टिगत विश्व रक्तदाता दिवस के उपलक्ष्य में अपने निकटतम् लाइसेंसशुदा रक्तकोष अथवा रक्तदान शिविर में जाकर स्वेच्छा से रक्तदान करें, जिससे विषेषकर गर्भवती माताओं, गम्भीर रूप से बीमार रोगियों, सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों, हीमोफीलिया/थैलीसीमिया इत्यादि के रोगियों को रक्त की कमी ना होने पाये। साथ ही भावी रक्तदाता के रूप में अपना पंजीकरण भी कराएं। जिससे आवश्यकता पड़ने पर जरुरतमंद को दुलर्भ रक्त ग्रुप (मुख्यतः निगेटिव ब्लड ग्रुप) की कमी से होने वाली जीवन हानि से बचाया जा सके।

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प्रदेश में स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ाने में युवा वर्ग तथा महिलाओं के योगदान की विशेष आवश्यकता है।

इस अवसर पर उन सभी रक्तदाताओं को धन्यवाद, जिन्होंने रक्तदान करके अनेकों चेहरों को मुस्कान दी है। आप इसी प्रकार लोगों को जीवनदान देते रहे और जो लोग इस अभियान में नहीं जुड़े है उनसे निवेदन है कि वे भी स्वेच्छा से रक्तदान करें। यकीन मानिए यदि रक्तदान करेगे तो अपने को इतना संतुष्ट और गौरान्वित महसूस करेंगे कि बार-बार करने की इच्छा होगी।

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