Yogi Adityanath Birthday: भगवामय बेदाग जीवन, हिन्दुत्व का विकास ही ध्येय
Yogi Adityanath Birthday: योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के संभवतः एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनके चार वर्ष के कार्यकाल के दौरान राजनीतिक चरित्र बेदाग रहा है।
Yogi Adityanath Birthday: योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath) के संभवतः एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिनके चार वर्ष के मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान राजनीतिक चरित्र बेदाग रहा है। जिनके भगवामय बेदाग जीवन की सर्वत्र सराहना होती है। जिनका उद्देश्य पीड़ित मानवता के प्रति समर्पण है। जो हिन्दू गौरव के उत्थान के साथ सामाजिक समरसता पर यकीन रखते हैं। भ्रष्टाचार, आतंकवाद और अपराध चाहे वह किसी रूप में क्यों न हो, योगी आदित्यनाथ का रौद्र रूप में सामने आता है।
कोरोना महामारी (Corona Virus) के इस विशेष काल में उनकी पूजा और आराधना शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय रूप से दिखी है। उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिए जो सबका साथ सबका विकास के मंत्र पर प्रतिबद्ध हैं। 5 जून को योगी के जन्मदिवस (Yogi Adityanath Birthday) के अवसर आइये चर्चा करते हैं इस महायोगी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं की।
भगवामय बेदाग जीवन
योगी आदित्यनाथ एक खुली किताब हैं जिसे कोई भी कभी भी पढ़ सकता है। मुख्यमंत्री होने के बावजूद उनका जीवन एक योगी का है, सन्त का जीवन है। पीड़ित, गरीब, असहाय के प्रति करुणा, किसी के भी प्रति अन्याय एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध तनकर खड़ा हो जाना उनके निर्भीक मन, विचारधारा एवं सिद्धान्त के प्रति अटल विश्वास का नतीजा है। इसके लिए वह लाभ-हानि, मान-सम्मान की चिन्ता किये बगैर साहस के साथ किसी भी सीमा तक जाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा का प्रयास करते हैं और सफल होते हैं।
पीड़ित मानवता को समर्पित जीवन
वैभवपूर्ण ऐश्वर्य का त्यागकर कंटकाकीर्ण पगडंडियों का मार्ग उन्हें सहज स्वीकार्य है। उनके जीवन का उद्देश्य है- 'न त्वहं कामये राज्यं, न स्वर्गं न पुनर्भवम्। कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।। अर्थात् ''हे प्रभो! मैं लोक जीवन में राजपाट पाने की कामना नहीं करता हूँ। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिये इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणिमात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूँ।''
योगी आदित्यनाथ को निकट से जानने वाला हर शख्स यह जानता है कि वे उपर्युक्त अवधारणा को साक्षात् जीते हैं। वरना जहां सुबह से शाम तक हजारों सिर उनके चरणों में झुकते हों, जहां भौतिक सुख और वैभव के सभी साधन एक इशारे पर उपलब्ध हो जायं, जहां मोक्ष प्राप्त करने के सभी साधन एवं साधना उपलब्ध हों, ऐसे जीवन का प्रशस्त मार्ग तजकर मान-सम्मान की चिंता किये बगैर, यदा-कदा अपमान का हलाहल पीते हुए इस कंटकाकीर्ण मार्ग का वे अनुसरण क्यों करते?
सामाजिक समरसता के अग्रदूत
'जाति-पाँति पूछे नहिं कोई-हरि को भजै सो हरि का होई' गोरक्षपीठ का मंत्र रहा है। महायोगी गोरक्षनाथ ने भारत की जातिवादी-रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया, उसे इस पीठ ने अनवरत जारी रखा। गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त अवेद्यनाथ के पद-चिह्नों पर चलते हुए योगी आदित्यनाथ ने भी हिन्दू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी-पुरुष, अमीर-गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव एवं छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए, इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है। गाँव-गाँव में सहभोज के माध्यम से 'एक साथ बैठें-एक साथ खाएँ ' मंत्र का उन्होंने जिया है।
भ्रष्टाचार-आतंकवाद-अपराध विरोधी संघर्ष के नायक
बीते चार सालों में योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार-विरोधी तेवर के हम सभी साक्षी हैं। अपराधियों के विरुद्ध आम जनता एवं व्यापारियों के साथ खड़ा होने के कारण ही उत्तर प्रदेश में अपराधियों का मनोबल टूटा। अधिकांश बड़े अपराधी या तो जेल में हैं या प्रदेश छोड़कर भाग गए हैं।
शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के पुजारी
सेवा के क्षेत्र में शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता दिये जाने के गोरक्षपीठ द्वारा जारी अभियान को योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सशक्त ढंग से आगे बढ़ाया। कोरोना काल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अमीर-गरीब सभी के लिये एक समान उच्च कोटि की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी हैं। निःशुल्क स्वास्थ्य की मुहीम को घर घर तक पहुंचाया है।
अनवरत गतिशील
योगी आदित्यनाथ के व्यक्तित्व में सन्त और जननेता दोनों के गुणों का अद्भुत समावेश है। यही कारण है कि एक तरफ जहॉ वे धर्म-संस्कृति के रक्षक के रूप में दिखते हैं तो दूसरी तरफ वे जनसमस्याओं के समाधान हेतु संवेदनशील रहते हैं। सड़क, बिजली, पानी, खेती आवास, दवाई और पढ़ाई आदि की समस्याओं से प्रतिदिन जूझती जनता के दर्द को समझने वाले जन-नेता के रूप में उनकी ख्याति इसी वजह से फैल रही है।
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