UP Election 2022: 2003 के बाद पहली बार CM विधानसभा चुनाव के मैदान में, मुलायम के बाद योगी ऐसे पहले नेता

UP Election 2022: दूसरी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को लेकर अभी भी तस्वीर साफ नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समय-समय पर कहते रहे हैं कि पार्टी कहेगी तो वे चुनाव मैदान में उतरेंगे।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Divyanshu Rao
Update: 2022-01-15 14:45 GMT

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath)

UP Election 2022: 2003 के बाद योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पहले ऐसे मुख्यमंत्री होंगे जो विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरेंगे। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की ओर से आज घोषित की गई पहली सूची में उन्हें गोरखपुर से पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया है। योगी आदित्यनाथ से पहले मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव ने 2003 में गुन्नौर विधानसभा सीट से किस्मत आजमाई थी। उसके बाद अभी तक सभी मुख्यमंत्री एमएलसी बनकर ही सरकार चलाते रहे हैं। ऐसे में योगी आदित्यनाथ के चुनाव लड़ने से 19 साल का रिकॉर्ड भी टूटेगा।

दूसरी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को लेकर अभी भी तस्वीर साफ नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समय-समय पर कहते रहे हैं कि पार्टी कहेगी तो वे चुनाव मैदान में उतरेंगे। वैसे बहुजन समाज पार्टी की मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने साफ कर दिया है कि वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी बल्कि पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने की कोशिश में जुटेंगी।

आखिरकार गोरखपुर से लड़ाने का फैसला

भाजपा की ओर से प्रत्याशियों की सूची की घोषणा से पहले योगी का अयोध्या से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा था। राम मंदिर भाजपा का चुनावी एजेंडा रहा है और योगी आदित्यनाथ मंदिर आंदोलन के बड़े चेहरों में एक रहे हैं। इसलिए माना जा रहा था कि योगी आदित्यनाथको अयोध्या से उतारकर पार्टी बड़ा संदेश देने की कोशिश करेगी। मीडिया में योगी के मथुरा से भी चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं मगर आखिरकार पार्टी की ओर से उन्हें गोरखपुर से ही प्रत्याशी बनाने का फैसला किया गया है।

योगी आदित्यनाथ की तस्वीर 

गोरखपुर को योगी का गढ़ माना जाता रहा है और वे पांच बार इस संसदीय सीट से लोकसभा का सफर तय कर चुके हैं। पार्टी का मानना है कि योगी के यहां से चुनाव मैदान में उतरने से वे अन्य चुनाव क्षेत्रों में ज्यादा वक्त दे सकेंगे। योगी के चुनाव मैदान में उतरने से गोरखपुर के आसपास के जिलों की सीटों पर भी असर पड़ना तय माना जा रहा है।

2003 में मुलायम ने जीता था उपचुनाव

योगी आदित्यनाथ से पहले 2003 में मुख्यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव ने आखिरी बार चुनाव लड़ा था। 2003 में मुलायम सिंह यादव ने तीसरी बार उत्तर प्रदेश की कमान संभाली थी और उन्होंने विधानसभा का चुनाव लड़ने का फैसला किया था। मुलायम के चुनाव लड़ने के लिए गुन्नौर विधानसभा सीट का चयन किया गया था।

2002 के विधानसभा चुनाव में जनता दल यू के अजित कुमार यादव राजू गुन्नौर विधानसभा सीट से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे। मुलायम सिंह यादव के लिए उन्होंने अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया था। मुलायम सिंह यादव ने गुन्नौर के उपचुनाव में बड़ी जीत हासिल की थी। मुलायम से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह भी 2000 में हैदरगढ़ विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतकर विधानसभा सदस्य बने थे।

2003 के बाद सभी मुख्यमंत्री एमएलसी

2003 के बाद मुख्यमंत्री बनने वाले सभी नेता विधानपरिषद का सदस्य बनकर ही सरकार चलाते रहे। 2007 में मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं और उन्होंने विधानपरिषद का सदस्य बनने का ही फैसला लिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव भी मैदान में नहीं उतरे थे। बाद में मुख्यमंत्री चुने जाने पर उन्होंने भी विधानसभा का चुनाव लड़कर सदन का सदस्य बनने से परहेज किया। वे भी विधानपरिषद का सदस्य बन कर ही सरकार चलाते रहे।

2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत हासिल करने में कामयाब हुई थी। भाजपा की ओर से योगी आदित्यनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया और मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ भी विधानपरिषद का सदस्य बनकर ही सरकार चलाते रहे। हालांकि इस बार भाजपा की ओर से घोषित की गई प्रत्याशियों की सूची में उन्हें चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की गई है।

अखिलेश और प्रियंका के फैसले का इंतजार

सपा मुखिया अखिलेश यादव को लेकर तस्वीर अभी साफ नहीं हो सकी है मगर बसपा मुखिया मायावती ने यह जरूर स्पष्ट कर दिया है कि वे चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे वह पार्टी प्रत्याशियों को जिताने की मुहिम में जुटेंगी। यदि कांग्रेस को देखा जाए तो गांधी परिवार का कोई भी सदस्य आज तक विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा है। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई इस बार प्रियंका गांधी के हाथों में है और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे विधानसभा के चुनाव में मैदान में उतरती है या नहीं।

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